भारतीय कंपनियों के विलय और अधिग्रहण (mergers & acquisitions) सौदों के मूल्यांकन में 2018 की पहली छमाही में 128.7 फीसदी का उछाल आया है.
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नई दिल्ली: भारतीय कंपनियों के विलय और अधिग्रहण (mergers & acquisitions) सौदों के मूल्यांकन में 2018 की पहली छमाही में 128.7 फीसदी का उछाल आया है. यह सौदा बढ़कर 77 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर गया है. 2007 में विलय और अधिग्रहण सौदा 67.4 अरब डॉलर का हुआ था. यानि 2018 के पहले 6 माह में ही यह 2007 के रिकॉर्ड को पार कर गया है. वहीं इन सौदों की संख्या में भी 10.2 फीसदी का उछाल आया है. 2017 की पहली छमाही में 87.9 मिलियन डॉलर के सौदे हुए थे जबकि यह 2018 की पहली छमाही में बढ़कर 154.1 मिलियन डॉलर पर पहुंच गया. इस साल अब तक 5 अरब डॉलर के 4 बड़े विलय और अधिग्रहण सौदे हुए.
घरेलू बाजार में 40 अरब डॉलर का विलय
घरेलू स्तर पर विलय और अधिग्रहण सौदे 40.2 अरब डॉलर के रहे यानि इसमें बीते साल की तुलना में 4 गुना की बढ़ोतरी हुई है. ऐसे सौदों की संख्या में 9.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है. वहीं विदेश में हुए विलय व अधिग्रहण के सौदे 36 अरब डॉलर के रहे. इसमें बीते साल की पहली छमाही के मुकाबले 57.7 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
रिटेल क्षेत्र की बाजार हिस्सेदारी अब 23 फीसदी
रिटेल क्षेत्र में सबसे ज्यादा अधिग्रहण हुआ. इससे भारतीय कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी बढ़कर 23.3 फीसदी हो गई है. मई में वालमार्ट ने फ्लिपकार्ट समूह में 77 फीसदी हिस्सेदारी लेने का फैसला किया था. यह सौदा 16 अरब डॉलर में होने का अनुमान है. यह एशिया प्रशांत के विलय और अधिग्रहण सौदे में सबसे बड़ी डील होगी. स्वास्थ्य क्षेत्र में बाजार हिस्सेदारी 25.8 फीसदी यानि 1.5 अरब डॉलर की हो गई है. वहीं वित्त बाजार में कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी 22.2 फीसदी हो गई है.