निवेशकों के बेहतर रिटर्न देगा भारतः अरुण जेटली
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निवेशकों के बेहतर रिटर्न देगा भारतः अरुण जेटली

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 'मेक इन इंडिया' पर जोर देते हुए भरोसा दिलाया कि अन्य देशों की तुलना में भारत निवेशकों को बेहतरीन रिटर्न देगा। साथ ही उन्होंने कहा कि विदेशी निवेश से देश के बुनियादी ढांचा और अन्य क्षेत्रों को काफी अतिरिक्त संसाधन मिल सकते हैं।

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हांगकांग: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 'मेक इन इंडिया' पर जोर देते हुए भरोसा दिलाया कि अन्य देशों की तुलना में भारत निवेशकों को बेहतरीन रिटर्न देगा। साथ ही उन्होंने कहा कि विदेशी निवेश से देश के बुनियादी ढांचा और अन्य क्षेत्रों को काफी अतिरिक्त संसाधन मिल सकते हैं।

जेटली ने निवेशकों और उद्योग जगत के नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार देश में कारोबारी सुगमता पर विशेष ध्यान दे रही है और ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहल से विनिर्माण क्षेत्र को काफी प्रोत्साहन मिलेगा।भारत अन्य देशों की तुलना में बेहतर रिटर्न देगा। विदेशी निवेश से बड़े अतिरिक्त संसाधन मिल सकते हैं और देश के बुनियादी ढांचा क्षेत्र को भारी निवेश की दरकार है।

वित्त मंत्री ने कहा, "रेलवे, राजमार्ग और बिजली क्षेत्रों को काफी धन की जरूरत है और इन परियोजनाओं की सफलता बैंक क्षमता पर काफी हद तक निर्भर करती है।" पिछले दो दिन के दौरान सिंगापुर में सरकारी नेताओं और निवेशकों के साथ बैठक के बाद अब जेटली दो दिन के लिए हांगकांग में हैं। 

जेटली के साथ बंबई शेयर बाजार के प्रमुख आशीष कुमार चौहान सहित एक बड़ा व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भी यहां आया है। उन्होंने कहा कि कारोबार में सुगमता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। पूर्व में निवेशकों का यह मानना रहा है कि भारत में प्रक्रियाएं काफी जटिल हैं।

उन्होंने कहा कि ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘मेक इन इंडिया’ को विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साह्न देने के लिए डिजाइन किया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि कुछ राज्य बिजली के लिए पर्याप्त शुल्क नहीं ले रहे हैं। इसकी वजह से बिजली वितरण कंपनियों की सेहत खराब हुई है। उन्होंने कहा कि इन राज्यों को यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि डिस्कॉम के घाटे की भरपाई सरकारी बैंक करेंगे। कई बिजली वितरण कंपनियां या डिस्कॉम इस समय भारी वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं। 

जेटली ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत करना है। उन्होंने कहा कि कुछ कमजोर बैंकों को मजबूत बैंक में मिलाया जा सकता है। सिर्फ बैंकों की हिस्सेदारी बिक्री से गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की समस्या हल नहीं होने वाली। यह कोष सरकार से अलग एक अन्य स्वतंत्र निवेशक के रूप में काम करेगा। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि रूकी हुई परियोजनाओं से निजी क्षेत्र की कंपनियों की वित्तीय स्थिति प्रभावित हुई है। वित्त मंत्री ने कहा कि प्रस्तावित राष्ट्रीय निवेश और ढांचागत कोष से न केवल निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे ऐसी कंपनियों की वित्तीय स्थिति सुधारने में भी मदद मिलेगी।

भारत के वित्त मंत्री के रूप में इस वैश्विक वित्तीय केंद्र की पहली यात्रा के दौरान कल जेटली एपीआईसी-इंडिया कैपिटल मार्केट्स और संस्थागत निवेशक सम्मेलन को संबोधित करेंगे। वह वैश्विक निवेशकों को भारत के विकास की कहानी की ओर आकर्षित करने का प्रयास करेंगे। इसके अलावा वह निवेशकों को यह भी बताएंगे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार किस तरह इन चुनौतियों से निपट रही है।

इसके अलावा वित्त मंत्री जेटली बुनियादी ढांचा सहित अन्य क्षेत्रों में विदेशी निवेश को आकर्षित करने का प्रयास भी करेंगे। अंतरराष्ट्रीय बाजार में संकट के बावजूद भारत वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में है। वित्त मंत्री इसके साथ बड़े विदेशी खिलाड़ियों को भी भारतीय बाजार में आकर्षित करने का प्रयास करेंगे। इनमें से काफी हांगकांग और सिंगापुर के जरिये एशिया में परिचालन करते हैं।

एशिया प्रशांत निवेशक सहयोग (एपीआईसी) एक व्यापारिक प्लेटफार्म है, जिसका गठन एशियाई संस्थागत निवेशकों द्वारा किया गया है। इनमें पेंशन कोष, सावरेन संपदा कोष, सरकारी कोष, सामाजिक सुरक्षा प्रणाली और बीमा कंपनियां शामिल हैं। ये संस्थान एपीआईसी की निजी सदस्यता का प्रतिनिधित्व करते हैं। एपीआईसी के दायरे में एशिया प्रशांत के 22 बाजार आते हैं। इसके प्रबंधन के तहत 30 हजार अरब डॉलर से अधिक की परिसंपत्तियां हैं।

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