IOCL Dividend: कंपनी को क्रूड ऑयल की कीमत में गिरावट के बावजूद पेट्रोल-डीजल में कमी नहीं आने से नुकसान की भरपाई करने में मदद मिली. दूसरी तिमाही में पेट्रोलियम प्रोडक्ट की बिक्री से आईओसी की टैक्स पूर्व आमदनी 17,755.95 करोड़ रुपये हो गई.
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IOCL Share Price: पब्लिक सेक्टर की ऑयल मार्केटिंग कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOCL) को रिकॉर्ड मुनाफा हुआ है. कंपनी की तरफ से बताया गया कि मौजूदा वित्तीय वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में नेट प्रॉफिट बढ़कर 12,967.32 करोड़ रुपये हो गया. आईओसी (IOC) को इस तिमाही में अपने सबसे ज्यादा सालाना फायदे के आधे से थोड़ा ज्यादा प्रॉफिट हुआ है. कंपनी की तरफ से शेयर बाजार को दी गई जानकारी में बताया गया कि प्रॉफिट में यह बढ़ोतरी रिफाइनिंग और मार्केटिंग मार्जिन बढ़ने से हुआ है.
पिछली तिमाही में 272 करोड़ का नुकसान
पिछले फाइनेंशियल ईयर की समान तिमाही में कंपनी को 272 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था. क्रूड ऑयल की कीमत में गिरावट के बावजूद पेट्रोल-डीजल की कीमत में कमी नहीं आने से नुकसान की भरपाई करने में मदद मिली है. मौजूदा फाइनेंशियल ईयर की दूसरी तिमाही में पेट्रोलियम प्रोडक्ट की बिक्री से आईओसी की टैक्स पूर्व आमदनी बढ़कर 17,755.95 करोड़ रुपये हो गई. यह आंकड़ा पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 104.04 करोड़ रुपये था.
5 रुपये प्रति शेयर का डिविडेंट
आईओसी की आमदनी जुलाई-सितंबर तिमाही में घटकर 2.02 लाख करोड़ रुपये रह गई. इससे पहले पिछले फाइनेंशियल ईयर में यह 2.28 लाख करोड़ रुपये थी. आईओसी ने कहा कि अप्रैल-सितंबर 2023 की छमाही में क्रूड ऑयल के एक बैरल को तेल में बदलने पर 13.12 अमेरिकी डॉलर कमाए. रिकॉर्ड मुनाफे से खुश कंपनी बोर्ड ने साल 2023-2024 के लिए 5 रुपये प्रति शेयर का डिविडेंड देने का ऐलान किया है. इसके लिए रिकॉर्ड डेट 10 नवंबर की तय की गई है.
कंपनी की तरफ से डिविडेंड
कंपनी की तरफ से डिविडेंड का ऐलान किये जाने के बाद शेयर में भी तेजी देखी जा रही है. सोमवार को 88.26 रुपये पर बंद हुआ शेयर मंगलवार सुबह 89.14 रुपये पर खुला. इंट्रा डे के दौरान इसने 89.94 रुपये का हाई टच किया. इस दौरान यह 87.67 रुपये के लो लेवल तक भी गया.
डिविडेंड क्या होता है?
किसी भी कंपनी की तरफ से अपने शेयर होल्डर्स को डिविडेंड तब दिया जाता है जब उस कंपनी को फायदा हुआ हो. साथ ही वह कंपनी अपने मुनाफे को निवेशकों के साथ बांटना चाहती हो. इस कोई तय नियम नहीं है कि यह कब और कितना दिया जाएगा. यह कंपनी के बोर्ड पर निर्भर होता है कि वे अपने शेयरहोल्डर्स को कितना फायदा देना चाहती है.