Train coach color: कोच का कलर इसलिए होता है लाल, हरा और नीला; क्‍या आप जानते हैं वजह?
Advertisement
trendingNow11504874

Train coach color: कोच का कलर इसलिए होता है लाल, हरा और नीला; क्‍या आप जानते हैं वजह?

Indian Railway Coach Color: आपने ट्रेन से तो कई बार सफर किया होगा, लेकिन क्‍या आपने कभी सोचा है कि ट्रेन में कोच अलग अलग तरह के क्‍यों होते हैं? अगर आप नहीं जानते हैं तो आज जान लीजिए.    

Train coach color: कोच का कलर इसलिए होता है लाल, हरा और नीला; क्‍या आप जानते हैं वजह?

Railway coach color: रोजाना इंडियन रेलवे का इस्‍तेमाल  करोड़ों लोग करते हैं. भारत दुनिया का चौथा बड़ा रेल नेटवर्क है. आपने भी ट्रेन मे सफर किया होगा. आपने रेलवे स्‍टेशनों पर नोटिस किया होगा कि वहां अलग अलग रंग की ट्रेनें खड़ी रहती है. आपने नीले, लाल, हरे और पीले कलर के कोच देखे होंगे. क्‍या आपने कभी सोचा है कि इन कोच का कलर अलग अलग क्‍यों होता है? आप इन कलर के माध्‍यम से ही उन कोच के फीचर का पता लगा सकते हैं. आप कोच को देखकर ही बता सकते हैं कि ये कोच कहां बनता होगा, तो चलिए जानते हैं इस बारे में.        

अगर कोच का रंग है हरा 

गरीब रथ ट्रेन में हरे रंग के डिब्बों का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा, भूरे रंग के डिब्बों का इस्‍तेमाल मीटर गेज ट्रेनों में किया जाता है. नैरो गेज ट्रेन जैसे बिलिमोरा वाघाई पैसेंजर में हल्के हरे रंग के कोच लगाए जाते हैं. इनमें भूरे रंग के कोच भी इस्‍तेमाल किए जाते हैं.

कोच का रंग है नीला तो क्‍या है इसका मतलब

आपने ज्‍यादातर कोच नीले रंग के ही देखे होंगे. इन्‍हें इंटीग्रल कोच (Integral Coach Factory  ICF) भी कहा जाता है. ये कोच लोहे के बने हुए होते हैं और इन कोचों में एयर ब्रेक लगे होते हैं. ये चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में बनाए जाते हैं, लेकिन धीरे धीरे इनके इस्‍तेमाल का हो रहा है और इनकी जगह LBH कोच लगाए जा रहे हैं. वैसे आज भी कई मेल एक्सप्रेस और इंटरसिटी ट्रेनों में इन कोच को लगाया जाता है. 

लाल रंग 

लाल रंग के कोच को लिंक हॉफमेन बुश (LHB) कोच के नाम से जाना जाता है. इन कोच को साल 2000 में जर्मनी से लाया गया था, लेकिन अब ये कोच पंजाब के कपूरथला में बनाए जाते हैं. ये एल्युमिनियम के बनाए जाते हैं और दूसरे कोच से हल्के होते हैं. इन कोच में डिस्क ब्रेक का भी इस्‍तेमाल किया जाता है. इस खासियत की वजह से ये कोच 200 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से भागने में सक्षम होते हैं. इन कोच का इस्‍तेमाल स्‍पीड वाली ट्रेनों जैसे राजधानी और शताब्दी के लिए किया जाता है. हालांकि अब दूसरे कोच में भी इन कोच का इस्‍तेमाल करने की योजना बनाई जा रही है. 

पाठकों की पहली पसंद Zeenews.com/Hindi   अब किसी और की जरूरत नहीं

Trending news