निर्धारित समय में रेलवे के कई जोन इस खतरे से नहीं निपट पाए, मांगा और समय
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निर्धारित समय में रेलवे के कई जोन इस खतरे से नहीं निपट पाए, मांगा और समय

रेल मंत्रालय की ओर से रेलवे के सभी जोनों में मानव रहित क्रासिंगों को खत्म करने की अंतिम तिथि 30 सितम्बर रखी गई थी.

रेलवे के कई जोन  30 सितम्बर तक मानव रहित रेलवे क्रासिंग खत्म नहीं कर सके (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : रेल मंत्रालय की ओर से रेलवे के सभी जोनों में मानव रहित क्रासिंगों को खत्म करने की अंतिम तिथि 30 सितम्बर रखी गई थी. लेकिन अब तक लगभग 900 ऐसी क्रासिंगों को खत्म नहीं किया जा सका है. ऐसे में इन क्रासिंगों को खत्म करने के लिए जोनल रेलवे की ओर से मार्च 2019 तक का समय मांगा गया है. अंग्रेजी के अखबार द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है.

  1. रेलवे के कई जोन  30 सितम्बर तक मानव रहित रेलवे क्रासिंग खत्म नहीं कर सके
  2. जोनों ने मानव रहित रेलवे क्रासिंग खत्म करने के लिए मांगा और समय
  3. सबसे अधिक मानव रहित रेलवे क्रासिंग नॉर्दन रेलवे में हैं बाकी

रेलवे बोर्ड अध्यक्ष ने की समीक्षा बैठक
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्वनी लोहानी की ओर से की गई समीक्षा बैठक में सामने आया कि सबसे अधिक मानव रहित रेलवे क्रासिंग अभी उत्तर रेलवे में बाकी हैं. यहां अब तक लगभग 500 मानव रहित रेलवे क्रासिंगों को खत्म किया जाना बाकी है. हालांकि चार जोनल रेलवे ने मानव रहित क्रासिंगों को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है. उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में क्रासिंग पर हुए हादसे के बाद रेल मंत्री ने 30 सितम्बर तक सभी रेलवे क्रासिंगों को खत्म करने के निर्देश दिए थे. इसमें 13 बच्चों की स्कूल जाते समय जान गई थी. भारतीय रेलवे में जुलाई 2018 तक कुल 2869 मानव रहित क्रासिंग थीं.

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व्यस्त रूटों पर खत्म हुईं क्रासिंग
अब तक जिन क्रासिंगों को खत्म नहीं किया जा सका है उसके पीछे सबसे बड़ा कारण इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है. रेलवे की ओर से बड़े पैमाने पर ओवर हेड ब्रिज, अंडर पास व मानव रहित क्रासिंगों पर प्रशिक्षित कर्मियों को तैनात कर इन क्रासिंगों को खत्म किया जा रहा है. रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार बिजी रूटों पर क्रासिंगों को पूरी तरह से खत्म किया जा चुका है. अब तक जो मानव रहित क्रासिंगें बाकी हैं वो ऐसे रूटों पर हैं जिन पर रेलगाड़ियों की रफ्तार कम रहती है. रेलवे क्रासिंगों को खत्म करने के लिए रेलवे की ओर से वर्ष 2017-18 में बनाए गए रेल संरक्षा कोष का प्रयोग किया जा रहा है. इस कोष में 1 लाख करोड़ की राशि रखी गई थी.

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