Bikanerwala: नहीं रहे बीकानेरवाला के मुखिया, कभी दिल्ली की सड़कों पर बेचते थे भुजिया-रसगुल्ला
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Bikanerwala: नहीं रहे बीकानेरवाला के मुखिया, कभी दिल्ली की सड़कों पर बेचते थे भुजिया-रसगुल्ला

Success Story of Bikanerwala: केदारनाथ अग्रवाल ने अपना कारोबारी सफर दिल्ली से शुरू किया था. बीकानेर के रहने वाले उनके परिवार के पास 1905 से शहर की गलियों में एक मिठाई की दुकान थी. उस दुकान का नाम बीकानेर नमकीन भंडार था और वह कुछ प्रकार की मिठाइयां और नमकीन बेचते थे.

Bikanerwala: नहीं रहे बीकानेरवाला के मुखिया, कभी दिल्ली की सड़कों पर बेचते थे भुजिया-रसगुल्ला

Kedarnath Aggarwal Dead: मिठाई और नमकीन की नामी चेन बीकानेरवाला के संस्थापक लाला केदारनाथ अग्रवाल का सोमवार को निधन हो गया. वह 86 साल के थे. बीकानेर के चेयरमैन अग्रवाल शुरुआत में पुरानी दिल्ली में भुजिया और रसगुल्ले टोकरी में रखकर बेचते थे.

बीकानेरवाला ने बयान में कहा कि 'काकाजी' के नाम से मशहूर अग्रवाल के निधन से एक युग का अंत हो गया है, जिसने स्वाद को समृद्ध किया है और अनगिनत लोगों के जीवन में अपनी जगह बनाई है. भारत में बीकानेरवाला की 60 से अधिक दुकानें हैं और यह अमेरिका, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, नेपाल और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जैसे देशों में भी मौजूद है. बीकानेरवाला का टर्नओवर 1300 करोड़ रुपये है. 

समूह के प्रबंध निदेशक श्याम सुंदर अग्रवाल ने कहा, 'काकाजी का जाना सिर्फ बीकानेरवाला के लिए क्षति नहीं है; यह पाककला परिदृश्य में एक शून्य है. उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व हमेशा हमारी खानपान यात्रा का मार्गदर्शन करेगा.'

कैसे शुरू हुआ सफर

केदारनाथ अग्रवाल ने अपना कारोबारी सफर दिल्ली से शुरू किया था. बीकानेर के रहने वाले उनके परिवार के पास 1905 से शहर की गलियों में एक मिठाई की दुकान थी. उस दुकान का नाम बीकानेर नमकीन भंडार था और वह कुछ प्रकार की मिठाइयां और नमकीन बेचते थे.

अग्रवाल बड़े सपनों के साथ 1950 के दशक की शुरुआत में अपने भाई सत्यनारायण अग्रवाल के साथ दिल्ली आ गए. वह अपने परिवार का नुस्ख लेकर आए थे. शुरुआत में दोनों भाई भुजिया और रसगुल्ले से भरी बाल्टियां लेकर पुरानी दिल्ली की सड़कों पर इन्हें बेचते थे. हालांकि, अग्रवाल बंधुओं की कड़ी मेहनत और बीकानेर के अनूठे स्वाद को जल्द ही दिल्ली के लोगों के बीच पहचान और मंजूरी मिल गई. इसके बाद अग्रवाल बंधुओं ने दिल्ली के चांदनी चौक में दुकान शुरू कर दी, जहां उन्होंने अपना पारिवारिक नुस्खा अपनाया, जिसे अब पीढ़ी-दर-पीढ़ी बढ़ाया जा रहा है. कहा जाता है कि पहली बार दिल्ली वालों को मूंग दाल का हलवा इन्होंने ही खिलाया था.

गौरतलब है कि अगले तीन में कंपनी आईपीओ लाने की भी तैयारी कर रही है. उसका टारगेट साल 2030 तक 600 स्टोर्स खोलने और 10 हजार करोड़ का राजस्व हासिल करने पर है. 

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