बढ़ती महंगाई के बीच मिलेगी खुशखबरी! सस्ती हो सकती है रसोई गैस और CNG
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बढ़ती महंगाई के बीच मिलेगी खुशखबरी! सस्ती हो सकती है रसोई गैस और CNG

बढ़ती महंगाई में एक राहत की खबर आने वाली है. रसोई गैस (LPG), CNG और PNG की कीमतों में भारी गिरावट आ सकती है. दरअसल नैचुरल गैस (Natural Gas) कीमतों में भारी कटौती होने वाली है. गैस की कीमतें हर 6 महीने में तय की जाती हैं. पहली बार अप्रैल में और दूसरी बार अक्टूबर में.

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: बढ़ती महंगाई में एक राहत की खबर आने वाली है. रसोई गैस (LPG), CNG और PNG की कीमतों में भारी गिरावट आ सकती है. दरअसल नैचुरल गैस (Natural Gas) की कीमतों में भारी कटौती होने वाली है. गैस की कीमतें हर 6 महीने में तय की जाती हैं. पहली बार अप्रैल में और दूसरी बार अक्टूबर में. अप्रैल की कीमतें तय हो चुकी हैं, अब अक्टूबर में तय होने वाली नैचुरल गैस कीमतें 1.90-1.94 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू (MMBTU) पर आ सकती हैं, जो कि एक दशक से ज्यादा समय में नैचुरल गैस की कीमतों का अबतक का सबसे निचला स्तर होगा.

  1. अक्टूबर से सस्ती होगी रसोई गैस, CNG
  2. नैचुरल गैस के दाम घटाने की तैयारी
  3. अक्टूबर में नैचुरल गैस के दाम तय होने हैं

बेंचमार्क दरों में होगा बदलाव 
दरअसल गैस निर्यातक देश नैचुरल गैस की बेंचमार्क दरों में बदलाव करने वाले हैं. सूत्रों के मुताबिक, 1 अक्टूबर 2020 से नैचुरल गैस की कीमतों में संशोधन होना है. गैस निर्यातक देशों (Natural Gas Exporters) की बेंचमार्क दरों में बदलाव के हिसाब से गैस का दाम घटकर 1.90 से 1.94 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (MMBTU) रह जाएगा. अगर ऐसा होता है तो एक साल में यह नैचुरल गैस की कीमतों में लगातार तीसरी कटौती होगी. इससे पहले अप्रैल में नेचुरल गैस की कीमतों में 26 परसेंट की बड़ी कटौती की गई थी. इससे नेचुरल गैस के दाम घटकर 2.39 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू रह गए थे. 

लेकिन ONGC का बढ़ेगा घाटा
गैस की कीमतों में कटौती का मतलब है कि देश की सबसे बड़ी तेल और गैस उत्पादक कंपनी ONGC का घाटा बढ़ जाएगा. ONGC को 2017-18 में गैस कारोबार में 4,272 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. चालू वित्त वर्ष में इसके बढ़कर 6,000 करोड़ रुपये पर पहुंचने का अनुमान है. ओएनजीसी को प्रतिदिन 6.5 करोड़ घनमीटर गैस के उत्पादन पर नुकसान हो रहा है. केंद्र सरकार ने नवंबर, 2014 में नया गैस मूल्य फॉर्मूला पेश किया था. यह अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे गैस अधिशेष वाले देशों के मूल्य केंद्रों पर आधारित है. इस समय गैस का दाम 2.39 डॉलर प्रति इकाई है, जो पिछले एक दशक से अधिक समय में सबसे कम है. सरकार ने मई 2010 में बिजली और उर्वरक कंपनियों को बेची जाने वाली गैस का दाम 1.79 डॉलर प्रति इकाई से बढ़ाकर 4.20 डॉलर प्रति इकाई किया था.

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नए फॉर्मूले से घटते बढ़ते हैं दाम 
ONG और ऑयल इंडिया को गैस उत्पादन के लिए 3.818 डॉलर प्रति यूनिट का दाम मिलता था. इसमें 10 परसेंट रॉयल्टी जोड़ने के बाद उपभोक्ताओं के लिए इसकी लागत 4.20 डॉलर बैठती थी. कांग्रेस के नेतृत्‍व वाली यूपीए (UPA) सरकार ने एक नए मूल्य फॉर्मूले को मंजूरी दी थी, जो 2014 से लागू होना था. इससे गैस के दाम बढ़ जाते. लिहाजा, बीजेपी के नेतृत्‍व वाली एनडीए (NDA) सरकार ने इसे रद्द कर नया फॉर्मूला पेश किया. इसके जरिये पहले संशोधन के समय गैस के दाम 5.05 डॉलर प्रति इकाई रहे. इसके बाद छमाही संशोधन में गैस के दाम नीचे आते रहे.

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