‘मेक इन इंडिया’ को सिर्फ विनिर्माण पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए: राजन
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‘मेक इन इंडिया’ को सिर्फ विनिर्माण पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए: राजन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के प्रति सतर्क रख अख्तियार करते हुए रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने शुक्रवार को कहा कि इसके तहत सिर्फ विनिर्माण पर ही ध्यान नहीं दिया जाना चाहिये।

‘मेक इन इंडिया’ को सिर्फ विनिर्माण पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए: राजन

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के प्रति सतर्क रख अख्तियार करते हुए रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने शुक्रवार को कहा कि इसके तहत सिर्फ विनिर्माण पर ही ध्यान नहीं दिया जाना चाहिये।

राजन ने फिक्की में आयोजित भरत राम स्मृति व्याख्यान में कहा ‘मैं प्रोत्साहन दिये जाने के लिए किसी एक क्षेत्र, मसलन, विनिर्माण को चुने जाने के प्रति केवल इसलिये आगाह कर रहा हूं कि यह प्रयोग चीन में सफल रहा है पर .. भारत अलग है और एक अलग दौर में विकसित हो रहा है और हमें इस बारे में संशयवादी होना चाहिए कि क्या सफल होगा।’

उन्होंने कहा ‘जब हम विनिर्माण पर केंद्रित मेक इन इंडिया के बारे में बात करते हैं तो एक खतरा सामने होता है कि . यह निर्यात केंद्रित वृद्धि मार्ग के अनुकरण की कोशिश है जिसका अनुसरण चीन ने किया। मुझे नहीं लगता है कि इस तरह किसी एक क्षेत्र पर इतना विशिष्ट ध्यान देने की जरूरत है।’

मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने पहले भाषण में लाल किले की प्राचीर से इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘मेक इन इंडिया’ की घोषणा की थी ताकि विदेशी निवेश आकषिर्त किया जा सके और देश को विनिर्माण का बड़ा केंद्र बनाया जा सके। राजन ने कहा कि जब भारत विनिर्माण से जुड़े निर्यात पर जोर देगा तो उसकी प्रतिस्पर्धा चीन से होगी और निर्यात केंद्रित वृद्धि हासिल करना इतना आसान नहीं होगा जितनी उन अर्थव्यवस्थाओं के लिए रहा है जिन्होंने भारत से पहले यह मार्ग अपनाया था।

उन्होंने कहा ‘मैं निर्यात केंद्रित रणनीति के खिलाफ सुझाव दे रहा हूं जिसमें निर्यातकों को सस्ते कच्चे माल और बाजार दर से कम विनिमय दर के जरिए सिर्फ इसलिए सब्सिडी प्रदान करनी होगी क्योंकि यह इस स्थिति में यह उतना असरकारी साबित नहीं होगा।’ उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया के तहत शुल्क बाधाओं के जरिए आयात विकल्प की रणनीति का दिखना उचित नहीं होगा।

राजन ने कहा ‘इस रणनीति को अपनाया गया और यह सफल नहीं रहा है क्योंकि इससे घरेलू प्रतिस्पर्धा घटी है, उत्पादक अक्षम बने और उपभोक्ताओं की लागत बढ़ी है।’ उन्होंने कहा कि भारत को घरेलू मांग पर भी ध्यान देना चाहिए और इस बात को ध्यान में रखकर एकीकृत बाजार तैयार करना चाहिए कि लेन-देन लागत घटाई जाए।

उन्होंने कहा, ‘यदि वाह्य मांग वृद्धि बहुत हल्की होती है तो हमें आंतरिक बाजार के लिए उत्पादन करना होगा। इसका मतलब यह है कि हमें एक बेहद मजबूत सतत एकीकृत बाजार तैयार करने के लिए काम करना होगा जिसके लिए देश भर में खरीद-बिक्री की लेन-देन लागत में कटौती की जरूरत होती है।’ राजन ने कहा ‘परिवहन नेटवर्क में सुधार से मदद मिलेगी . अच्छी तरह तैयार जीएसटी विधेयक, राज्य सीमाओं पर लगने वाले कर से सही मायनों में वस्तुओं और सेवाओं के लिये एक राष्ट्रीय बाजार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी जो आने वाले दिनों में हमारी वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण होगा।’

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