OPS: कांग्रेस शासित राज्यों में पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर दिया गया है. इससे कर्मचारियों की उम्मीदें बढ़ गई हैं. इस बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का बड़ा बयान सामने आया है.
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Manohar Lal Khattar Statement: पुरानी पेंशन योजना (OPS) को लेकर देश के अंदर बवाल मचा हुआ है. विपक्षी पार्टियों के नेता और सरकारी कर्मचारियों की तरफ से लगातार पुरानी पेंशन को बहाल करने की मांग की जा रही है. इसी बीच पंजाब और कुछ कांग्रेस शासित राज्यों में पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर दिया गया है. इससे कर्मचारियों की उम्मीदें बढ़ गई हैं. इस बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का बड़ा बयान सामने आया है. खट्टर ने एक ‘व्हाट्सएप’ संदेश का हवाला देते हुए पुरानी पेंशन योजना (OPS) की कमियों के बारे में बोला.
योजना का दृष्टिकोण अदूरदर्शी
मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि मुझे व्हाट्सएप पर एक संदेश मिला, जिसमें केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि अगर पुरानी पेंशन योजना (OPS) लागू होती है तो देश 2030 तक दिवालिया हो जाएगा. खट्टर ने आगे कहा कि 2006 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी पुरानी पेंशन योजना का विरोध किया था. सीएम खट्टर ने कहा कि मनमोहन सिंह एक महान अर्थशास्त्री हैं और उन्होंने 2006 में कहा था कि पुरानी पेंशन योजना भारत को पिछड़ा बना देगी, क्योंकि इस योजना का दृष्टिकोण अदूरदर्शी है.
इन राज्यों में लागू हुई पुरानी पेंशन
पिछले दिनों भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी कुछ राज्यों की तरफ से पुरानी पेंशन योजना को वापस लेने पर चेतावनी दी थी. यह कहा था कि 'उप-राष्ट्रीय राजकोषीय क्षितिज' पर एक बड़ा जोखिम पैदा करता है. इसके परिणामस्वरूप आने वाले सालों में अनफंडेड देनदारियों का संचय होगा. इससे पहले राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और पंजाब सरकार की तरफ से कर्मचारियों के लिए ओपीएस (OPS) को फिर से शुरू करने के अपने फैसले के बारे में केंद्र और पीएफआरडीए (PFRDA) को सूचित किया था.
पंजाब सरकार ने 18 नवंबर, 2022 को भी राज्य सरकार के उन कर्मचारियों के लिए ओपीएस के कार्यान्वयन के संबंध में एक अधिसूचना जारी की थी, जो वर्तमान में एनपीएस के तहत कवर किए जा रहे हैं. साल 2004 में, केंद्र सरकार पुरानी पेंशन योजना की जगह एक परिभाषित अंशदान पेंशन योजना, राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) लेकर आई. गौरतलब है कि पुरानी पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों को निर्धारित पेंशन मिलती है. इसके तहत, एक कर्मचारी पेंशन के रूप में अंतिम आहरित वेतन की 50% राशि का हकदार होता है.
कई अर्थशास्त्रियों ने भी ओपीएस की ओर लौटने पर चिंता जताते हुए कहा है कि इससे राज्यों की वित्तीय स्थिति पर दबाव पड़ेगा. तत्कालीन योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने हाल ही में ओपीएस को वापस लाने के खिलाफ बोलते हुए कहा था कि यह सबसे बड़े ‘रेवड़ियों’ में से एक है. 2022-23 के लिए, आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्यों ने राजस्व खर्च में वृद्धि का अनुमान लगाया है, जो मुख्य रूप से गैर-विकासात्मक व्यय जैसे पेंशन और प्रशासनिक सेवाओं के कारण होता है. (Input : IANS)
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