Meaning of Lines on Trains: ट्रेन के कई डिब्बों पर क्यों बनी होती हैं हरी-पीली लाइनें? कभी सोचा है आपने, पीछे छिपा है ये गहरा राज
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Meaning of Lines on Trains: ट्रेन के कई डिब्बों पर क्यों बनी होती हैं हरी-पीली लाइनें? कभी सोचा है आपने, पीछे छिपा है ये गहरा राज

Indian Railways Interesting Facts: आपने ट्रेन में सफर करते हुए कई बार डिब्बों के बाहर सफेद, हरी या पीले रंग की धारियां देखी होंगी. आखिर इन लाइनों का क्या मतलब होता है. 

 

Meaning of Lines on Trains: ट्रेन के कई डिब्बों पर क्यों बनी होती हैं हरी-पीली लाइनें? कभी सोचा है आपने, पीछे छिपा है ये गहरा राज

Why are White, Yellow, Green Stripes on Trains: आपने ट्रेनों में कई बार सफर किया होगा. इस सफर के दौरान आपने रेलवे स्टेशन और ट्रेनों पर कई तरह के चिह्न और नंबर लिखे देखे होंगे लेकिन जानकारी न होने की वजह से उनका अर्थ नहीं जान पाएंगे. ऐसा ही एक चिह्न है ट्रेनों के ऊपर कुछ नीली और सफेद लाइनों का बना हो. इन लाइनों को ट्रेन पर डिजाइन बनाने के लिए नहीं बनाया जाता बल्कि इसके पीछे एक खास वजह होती है. आज हम आपको ट्रेनों पर बनी इन पीली-सफेद लाइनों का राज बताते हैं. 

हरे रंग की धारियों का जानें अर्थ

ट्रेन से यात्रा करने पर अगर आपको किसी डिब्बे के किनारे पर हरे रंग की धारियां (Meaning of Lines on Trains) बनी दिखाई दें तो इसका मतलब होता है कि वह कोच महिलाओं के लिए आरक्षित है. ऐसे में उस कोच में घुसने से पुरुष यात्री बचें वरना उन्हें भारी जुर्माना देना पड़ सकता है. 

इसलिए बनाई जाती हैं सफेद धारियां

अगर किसी नीले रंग के कोच पर सफेद रंग की धारियां (Meaning of Lines on Trains) बनी नजर आएं तो आप समझ जाएं कि वह जनरल कोच है. इस तरह के कोच आमतौर पर ट्रेन के सबसे अगले और पिछले हिस्से में लगे होते हैं. इन डिब्बों में वे लोग सफर करते हैं, जिन्हें कंफर्म सीट नहीं मिल पाती है. 

पीले रंग की लाइनों का क्या होता है मतलब?

किसी नीले रंग के कोच में अगर बाहरी किनारे पर पीले रंग से धारियां (Meaning of Lines on Trains) बनी हों तो इसका अर्थ होता है कि उस डिब्बे में दिव्यांग और बीमार लोग भी सफर कर सकते हैं. इस तरह के डिब्बों में दिव्यांग-बीमारों के लिए सीट और टॉयलेट की खास सुविधा होती है. 

इस राज्य में बनते हैं ये खास डिब्बे

जिन नीले रंग के कोचों पर इस तरह की धारियां (Meaning of Lines on Trains) बनी होती हैं, उन्हें इंटीग्रल कोच कहते हैं. इस तरह के कोच तमिलनाडु के चेन्नई वाली फैक्ट्री में तैयार होते हैं. इन डिब्बों को इंटीग्रल कोच कहा जाता है. इस तरह के नीले रंग के कोच वाली अधिकतर ट्रेनें 70 से 140 किमी प्रतिघंटा की स्पीड से दौड़ती हैं. 

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