प्रतिष्ठित साइंस जर्नल की 2015 की एक रिपोर्ट में कहा गया कि प्लास्टिक कचरे को समुद्र में डंप करने वाले 20 देशों में भारत शामिल है. इस लिस्ट में भारत 12वें स्थान पर है.
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नई दिल्ली: सिंगल यूज प्लास्टिक (single use plastic) पर्यावरण और मानव प्रजाति के लिए बहुत बड़ा खतरा है. इसीलिए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से देशवासियों से अपील की थी कि वे इसका इस्तेमाल करने से बचें. उन्होंने कहा कि अगर पर्यावरण को सुरक्षित करना है तो इस पर देशव्यापी बैन लगाने की जरूरत है. प्रधानमंत्री की अपील के बाद इस दिशा में बहुत तेजी से काम हो रहा है. मंत्रालयों में तो इसका असर दिखना भी शुरू हो गया है. केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) ने प्लाटिक यूज़ बैन करने को लेकर इससे जुड़े सभी सरकारी संस्थाओं और संस्थाओं की बैठक बुलाई, जिसमें सबको पानी शीशे की बॉटल में ही दिया गया. पासवान ने अपने मंत्रालय के सभी विभागों में 15 सितंबर से सिंगल प्लाटिक यूज बैन को लागू करने के लिए कहा है.
CPCB (Central Pollution Control Board) ने देश के 60 शहरों में एक रिसर्च आयोजित किया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक, 60 शहरों में प्रति दिन 4059 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है. पूरे देश में रोजाना 25940 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है. प्रतिष्ठित साइंस जर्नल की 2015 की एक रिपोर्ट में कहा गया कि प्लास्टिक कचरे को समुद्र में डंप करने वाले 20 देशों में भारत शामिल है. इस लिस्ट में भारत 12वें स्थान पर है.
रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में सिर्फ 79% प्लास्टिक कचरा कूड़े के ढ़ेर में तब्दील होता है. सिर्फ 9% ही Recycle हो पाता है. रिपोर्ट का दावा है कि 2050 तक 1200 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा निकलेगा. इतनी बड़ी मात्रा में कचरा की वजह से एशिया पेसिफिक रिजन में टूरिज्म, फिशिंग और शिपिंग बिजनेस को बहुत बड़ा नुकसान होगा. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वर्तमान में प्लास्टिक कचरे की वजह से 1.3 बिलियन डॉलर का नुकसान हर साल हो रहा है. इसकी वजह से समुद्रीय पर्यावरण पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है.