बिकने की कगार पर पहुंची CCD को मिली बड़ी राहत, NCLAT ने अगली सुनवाई तक दिवाला कार्यवाही पर लगाई रोक
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बिकने की कगार पर पहुंची CCD को मिली बड़ी राहत, NCLAT ने अगली सुनवाई तक दिवाला कार्यवाही पर लगाई रोक

CCD Latest News: NCLT ने आईडीबीआई ट्रस्टीशिप सर्विसेज लिमिटेड (आईडीबीआई टीएसएल) द्वारा दायर याचिका को आठ अगस्त को स्वीकार कर लिया था, जिसमें 228.45 करोड़ रुपये की चूक का दावा किया गया था. 

 

बिकने की कगार पर पहुंची CCD को मिली बड़ी राहत, NCLAT ने अगली सुनवाई तक दिवाला कार्यवाही पर लगाई रोक

Cafe Coffee Day: बिकने की कगार पहुंची मशहूर कैफे कॉफी डे यानी CCD को बड़ी राहत मिली है. राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) ने CCD चलाने वाली कंपनी कॉफी डे एंटरप्राइजेज लिमिटेड (CDEL) के खिलाफ दिवाला कार्यवाही पर बुधवार को अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है.

NCLAT की चेन्नई पीठ ने कंपनी के सस्पेंडेड डायरेक्टर बोर्ड की कार्यकारी निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी मालविका हेगड़े द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण के आदेश के अमल पर रोक लगा दी. एनसीएलएटी ने सीडीईएल के वित्तीय ऋणदाता आईडीबीआई ट्रस्टीशिप सर्विसेज लिमिटेड (IDBITSL) को कंपनी के प्रस्तुतीकरण पर जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है. IDBITSL ने 228.45 करोड़ रुपये की चूक का दावा किया है.

ऋण डिफॉल्ट पर निर्णय बाद मेंः NCLAT

जस्टिस शरद कुमार शर्मा और जस्टिस जतिन्द्रनाथ स्वैन की पीठ ने कहा है कि ऐसी परिस्थितियों में प्रतिवादियों को तीन सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है. अगली सुनवाई तक अपीलकर्ता (सीडीईएल) को धारा-7 की प्रक्रियाओं में शामिल करने संबंधी आदेश को स्थगित रखा जाएगा.

हालांकि, NCLAT ने सीडीईएल के चूक की स्थिति पर टिप्पणी से बचते हुए कहा कि यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर बाद में निर्णय लिया जाएगा. अभी हम केवल पक्षकारों द्वारा प्रस्तुत तर्क पर विचार कर रहे हैं, जो प्रतिवादी (आईडीबीआईटीएसएल) द्वारा धारा-7 के तहत कार्यवाही शुरू करने में की गई प्रक्रियागत त्रुटि से संबंधित है. यह पक्षकारों द्वारा भरोसा किए गए न्यास विलेख (ट्रस्ट डीड) की शर्तों के तहत अनिवार्य थी.

एनसीएलटी की बेंगलुरु पीठ ने आईडीबीआई ट्रस्टीशिप सर्विसेज लिमिटेड (आईडीबीआई टीएसएल) द्वारा दायर याचिका को आठ अगस्त को स्वीकार कर लिया था, जिसमें 228.45 करोड़ रुपये की चूक का दावा किया गया था. पीठ ने कर्ज में डूबी कंपनी के परिचालन की देखरेख के लिए एक अंतरिम समाधान पेशेवर की नियुक्ति की थी. 

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