रिजर्व बैंक और सरकार के बीच कोई मतभेद नहीं : जेटली
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रिजर्व बैंक और सरकार के बीच कोई मतभेद नहीं : जेटली

वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक के बीच दरार जैसी कोई बात नहीं है और उन्होंने दोनों के बीच मतभेद की अफवाहों को खारिज किया। जेटली ने यह उम्मीद भी जतायी कि बैंक ब्याज दरों में कटौती के मामले में केंद्रीय बैंक की नीतियों का अनुसरण करेंगे।

रिजर्व बैंक और सरकार के बीच कोई मतभेद नहीं : जेटली

नई दिल्ली : वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक के बीच दरार जैसी कोई बात नहीं है और उन्होंने दोनों के बीच मतभेद की अफवाहों को खारिज किया। जेटली ने यह उम्मीद भी जतायी कि बैंक ब्याज दरों में कटौती के मामले में केंद्रीय बैंक की नीतियों का अनुसरण करेंगे।

जेटली ने कहा कि सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच नियमित तौर पर बातचीत होती रहती है। वहीं रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि सरकारी ऋण के प्रबंध के लिए प्रस्तावित एजेंसी सरकार और रिजर्व बैंक से स्वतंत्र होनी चाहिए। बजट के बाद वित्त मंत्री और रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल की परंपरागत बैठक के बाद राजन ने कहा कि भविष्य में नीतिगत ब्याज दर में कटौती मुद्रास्फीति की स्थिति पर निर्भर करेगी। उन्होंने कहा कि हाल की बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से कीमतों पर असर पड़ सकता है।

वित्त वर्ष 2015-16 के बजट प्रस्तावों पर रिजर्व बैंक के निदेशक मंडलों को संबोधित करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में वित्त मंत्री ने कहा, ‘हम रिजर्व बैंक के साथ बजट से पहले और उसके बाद चर्चा करते हैं। हमारे बीच मुक्त और खुली चर्चा होती है और इसीलिए किसी प्रकार की कोई दरार जैसी बात नहीं है। मैंने बार-बार इसे स्पष्ट किया है।’

गौरतलब है कि जेटली ने अपने बजट में सरकारी बांड में कारोबार का नियमन आरबीआई के पास से हटाकर सेबी के हाथों में देने का प्रस्ताव किया है। खबरों के अनुसार इसके अलावा सरकार और रिजर्व बैंक के बीच मौद्रिक नीति व्यवस्था के समझौते पर भी कुछ मतभेद हैं। इस समझौते में मुद्रास्फीति को पूर्व निर्धारित स्तर तक रखने के उपाय किये जाएंगे और मुद्रास्फीति का लक्ष्य सरकार तथा केंद्रीय बैंक मिलकर तय करेंगे।

वित्त मंत्री ने कहा, ‘जहां तक वित्त विधेयक के प्रस्तावों का सवाल है, वह संसद के समक्ष रखे जा चुके हैं। उनमें से कुछ प्रस्तावों पर हमारी पहले चर्चा हो चुकी थी, उस पर हमने आज भी चर्चा की...इस अवसर और कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता।’ उन्होंने आगे कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक के बीच हमेशा बातचीत होती रहती है। ‘हमारे बीच बजट से पहले और बजट के बाद भी चर्चा होती है।’

यह पूछे जाने पर कि रिजर्व बैंक द्वारा पिछले तीन महीने में रेपो दर में दो बार कटौती के बावजूद बैंकों द्वारा इसका लाभ ग्राहकों को नहीं दिये गये और क्या सरकार इसके लिये बैंकों पर दबाव देगी उन्होंने कहा, ‘सरकार किसी पर दबाव नहीं देती लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि बैंक रिजर्व बैंक की नीतियों के अनुरूप इस दिशा में कदम उठाएंगे।’

वित्त मंत्री जेटली ने कहा, ‘हम उन पर (बैंकों पर) दबाव नहीं देते। हम केवल उम्मीद करते हैं और हमारी उम्मीदें सही साबित होती हैं।’ उल्लेखनीय है कि पिछले तीन महीने में रिजर्व बैंक ने रेपो देर में दो बार कुल 0.5 प्रतिशत की कटौती कर चुका है। फिलहाल यह 7.5 प्रतिशत है। रेपो वह दर है जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक उधार देता है।

इस महीने की शुरूआत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों की बैठक में भी ब्याज दर में कटौती का मुद्दा उठा था। इस बैठक की अध्यक्षता जेटली ने की थी। उस समय कुछ बैंकों ने कहा था कि वह अपने खुदरा और बड़े ऋण लेने वाले ग्राहकों को लाभ देने से पहले सात अप्रैल को रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति में मिलने वाले संकेत का इंतजार करेंगे।

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