पेट्रोल और डीजल जीएसटी के दायरे में नहीं आएगा. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो राज्य और केंद्र सरकार इसे लेकर गंभीर नहीं हैं.
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नई दिल्ली: पेट्रोल और डीजल जीएसटी के दायरे में नहीं आएगा. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो राज्य और केंद्र सरकार इसे लेकर गंभीर नहीं हैं. दोनों ही राजस्व में किसी भी तरह की कमी नहीं चाहते हैं. एक राष्ट्र-एक कर की व्यवस्था बीते साल जुलाई में लागू हुई थी. लेकिन इसमें पेट्रोल, डीजल, क्रूड ऑयल, प्राकृतिक गैस और एविएशन टरबाइन फ्यूल (एटीएफ) को शामिल नहीं किया गया था. हालांकि बीते दिनों पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और रोड ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गडकरी समेत कुछ केंद्रीय मंत्रियों का कहना था कि ईंधन को जीएसटी में शामिल करने को लेकर बातचीत चल रही है.
मंत्रालय का ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के मुताबिक ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं किया गया है. हालांकि ऐसी खबर थी कि इस माह की शुरुआत में जीएसटी काउंसिल की बैठक में ऐसा प्रस्ताव आया था, लेकिन उस बैठक में हरेक राज्य ने ईंधन को जीएसटी दायरे में लोन का विरोध किया था. अगर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो इससे केंद्र सरकार को 20 हजार करोड़ रुपए के इनपुट टैक्स क्रेडिट का नुकसान होगा. दूसरी तरफ राज्यों को भी ऐसा करने से राजस्व में भारी कमी हो जाएगी.
पहले नेचुरल गैस को जीएसटी में लाने का था प्रस्ताव
पहले खबर आई थी कि मोदी सरकार पेट्रोल और डीजल से पहले नेचुरल गैस को जीएसटी के दायरे में ला सकती है. इसके लिए प्रयास भी तेज कर दिए गए थे. सूत्रों के मुताबिक कई राज्यों ने जीएसटी काउंसिल को नेचुरल गैस से जुड़े राजस्व का ब्यौरा सौंप दिया था. पंजाब और पश्चिम बंगाल ने प्राकृतिक गैस से जुड़े राजस्व संबंधी रिपोर्ट सौंप दिए थे. सूत्रों के मुताबिक अगले कुछ दिनों में गुजरात और महाराष्ट्र भी अपनी रिपोर्ट सौंप देंगे. लेकिन अब आशंका है कि सरकार इस प्रस्ताव को ड्रॉप कर दे.