पीएम मोदी यह स्वीकार करने का साहस दिखाएं कि नोटबंदी असफल रही: चिदंबरम
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पीएम मोदी यह स्वीकार करने का साहस दिखाएं कि नोटबंदी असफल रही: चिदंबरम

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा देश आज काफी बुरी आर्थिक नीतियों को सामना कर रहा है. सरकार की गलत नीतियों का खामियाजा युवाओं को करना पड़ रहा है.

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और संप्रग शासन में वित्त मंत्री रहे पी. चिदंबरम. (फाइल फोटो)

मुंबई: वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने शनिवार (9 सितंबर) को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को यह स्वीकार करने का साहस दिखाना चाहिये की नोटबंदी का उनका फैसला गलत था. पूर्व वित्त मंत्री ने नोटबंदी को अर्थव्यस्था के लिये नुकसादायक बताते रहे हैं. उनका मानना है कि नोटबंदी के फैसले से 1.5 लाख रोजगारों का नुकसान हुआ और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 1.4 प्रतिशत अंक तक की कमी आई है. इससे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों का कामकाज करीब करीब समाप्त हो गया. चिदंबरम ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘आपको गलत निर्णय लेने के लिये साहस की जरूरत नहीं है लेकिन आपने गलत निर्णय लिया यह स्वीकार करने के लिये साहस होना चाहिये. नोटबंदी गलत फैसला था और प्रधानमंत्री को यह स्वीकार करने का साहस दिखाना चाहिये कि उन्होंने गलत निर्णय लिया.’’ 

चिदंबरम ने कहा, ‘‘नौकरियां कहां हैं? अप्रत्यक्ष तौर पर सरकार ने यह स्वीकार कर लिया है. एमएसएमई मंत्री कलराज मिश्र को हटा दिया गया है. कौशल विकास मंत्री को भी हटा दिया गया है. इसका मतलब यही है कि कौशल विकास और रोजगार सृजन दोनों मामलों में सरकार असफल रही है. श्रम मंत्री को भी हटा दिया गया है क्योंकि उनकी श्रम नीतियां भी असफल रही हैं.’’ पूर्व वित्त मंत्री ने कहा देश आज काफी बुरी आर्थिक नीतियों को सामना कर रहा है. सरकार की गलत नीतियों का खामियाजा युवाओं को करना पड़ रहा है.

'नोटबंदी एक आपदा थी, इसके लक्ष्य को हासिल नहीं किया गया'

नोटबंदी एक आपदा थी, जो उद्देश्यों को हासिल नहीं कर पाई. आर्थिक और वित्तीय प्रकाशन 'द ग्लूम, बूम एंड डूम रिपोर्ट' के संपादक और प्रकाशक मार्क फैबर ने शुक्रवार (8 सितंबर) को यह बात कही. फैबर ने बीटीवीआई से एक साक्षात्कार में कहा, "हम सभी जानते हैं कि नोटबंदी एक आपदा थी, इसके लक्ष्य को हासिल नहीं किया गया. इसे सौम्य तरीके से किया जा सकता था, जिसमें छह महीने का समय दिया जा सकता था. इस दौरान पुराने नोटों का आदान-प्रदान किया जा सकता था, ताकि किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचे." उन्होंने कहा कि यह कदम शिक्षाविदों की सलाह पर आधारित था, जिसमें सरकार के लोगों को यह पता नहीं था कि बाजार कैसे काम करता है.

फैबर ने कहा कि नोटबंदी का उद्देश्य संगठित अपराध को काबू में करना था, जो कि नकदी की प्रचुरता से बढ़ता है. लेकिन इन दिनों उनके पास पैसे उधार देने के अन्य साधन भी हैं. वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के बारे में उन्होंने कहा कि नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के तहत दरें काफी अधिक रखी गई हैं, जिससे कालाबाजारी को बढ़ावा मिलेगा. नोटबंदी और जीएसटी से देश की विकास दर प्रभावित हुई है और अप्रैल-जून तिमाही के दौरान यह गिरकर 5.7 फीसदी पर आ गई.

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