दरअसल, जीएसटी के इस नियम के तहत हर व्यापारी जिसका महीने का कारोबार 50 लाख रुपये से ज़्यादा है, उसे एक परसेंट GST देनदारी को कैश में जमा करना होगा. इसका मकसद फर्जी बिलों के जरिए होने वाली टैक्स चोरी को रोकना है. वित्त मंत्रालय ने 22 दिसंबर को एक अधिसूचना में जीएसटी नियमों में नियम 86B जोड़ने के बारे में बताया था.
टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारियों का कहना है कि इस तर्क में कोई सच्चाई नहीं है कि इस नियम से छोटे कारोबारियों पर असर पड़ेगा और उनकी वर्किंग कैपिटल जरूरतें बढ़ जाएंगी. इस नियम के बारे में लोगों के मन में फैली गलतफहमी का कोई आधार नहीं है.
वित्त मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि नियम साफ है कि जहां रेवेन्यू को ज्यादा रिस्क है, ये नियम वहां यह लागू होगा. इस नियम से केवल 45,000 टैक्सपेयर्स पर ही असर पड़ेगा. जो 1.2 करोड़ टैक्स बेस का मात्र 0.37 परसेंट है. उन्होंने कहा कि, इस नियम से ईमानदार डीलर और कारोबारियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
टैक्स अधिकारियों ने कहा कि '1 परसेंट कैश भुगतान की गणना एक महीने की टैक्स देनदारी पर होगी, न कि एह महीने के टर्नओवर पर. उदाहरण के लिए अगर किसी टैक्सपेयर का मासिक टर्नओवर 100 रुपये है तो उसे 12 फीसदी टैक्स देना होगा. इसमें उसे केवल एक फीसदी यानी 0.12 पैसे कैश देना होगा.
व्यापारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने GST में नियम 86B को रोकने की मांग की है. CAIT ने इस बारे में शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को चिट्ठी भी लिखी थी, चिट्ठी में इस नियम को तुरंत स्थगित करने की मांग की. CAIT के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने सीतारमण को भेजे पत्र में कहा है कि अब समय आ गया है जब एक बार सरकार को व्यापारियों के साथ बैठकर GST टैक्स सिस्टम की समीक्षा करनी चाहिए और इसे आसान बनाना चाहिए.
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