महाराष्ट्र में डेवलपर्स को सरकार ने बड़ी राहत दी है. सरकार ने बिल्डरों के रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स के लिए प्रीमियम में 50 परसेंट तक की छूट को मंजूरी दे दी है. कल राज्य सरकार की कैबिनेट में इस प्रस्ताव पर मुहर लगी. जो भी डेवलपर्स इस 50 परसेंट प्रीमियम छूट का फायदा लेंगे उन्हें 31 दिसंबर 2021 तक ग्राहकों की ओर से चुकाई जाने वाली स्टैम्प ड्यूटी खुद भरेंगे.
मुंबई जैसे शहर में जमीन की किल्लत की वजह से बिल्डर को कम जमीन में ज्यादा कंस्ट्रक्शन करना पड़ता है. लिफ्ट, सीढ़ियां, बालकनी वगैरह में अतिरिक्त कंस्ट्रक्शन की मंजूरी जरूरी होती है जिसके लिए म्युनिसिपल कॉरपोरेशन प्रीमियम और सेस चार्ज करता है. अतिरिक्त कंस्ट्रक्शन की मंजूरियां प्रोजेक्ट शुरू होने से लेकर प्रोजेक्ट के पूरे होने तक होती हैं.
इस फैसले से मुंबई, ठाणे, पुणे और नवी मुंबई जैसे महानगरों में बनने वाली बिल्डिंग और फ्लैट लेने वाले ग्राहकों को फायदा होगा, उन्हें सस्ते में घर मिल सकेगा. सरकार के इस फैसले से रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स की लागत घटेगी और घर खरीदारों के लिए भी फ्लैट खरीदना सस्ता होगा. बिल्डर ग्राहकों को जीरो स्टैम्प ड्यूटी के ऑफर्स से ग्राहकों को लुभा सकेंगे.
दरअसल मुंबई जैसे शहरों में प्रोजेक्ट की कुल लागत का करीब 30 परसेंट हिस्सा प्रीमियम और सेस के रूप में चुकाना पड़ता है. महंगी जमीन, प्रीमियम और सेस के चार्ज की वजह से कुल प्रोजेक्ट की कीमत काफी बढ़ जाती है. इससे घर खरीदारों के लिए भी फ्लैट की कीमत ज्यादा हो जाती है. लेकिन प्रीमियम आधा होने की वजह से अब सिर्फ 15 परसेंट ही बिल्डरों को देना होगा. जिसका सीधा असर घर की कीमतों पर पड़ेगा.
सरकार के इस फैसले का फायदा केवल उन्हीं बिल्डर्स को मिलेगा जो ग्राहकों को स्टांप ड्यूटी के रूप में इसका फायदा आगे घर खरीदारों को देंगे. राज्य सरकार ने प्रीमियम की राशि को किस्तों में चुकाने का भी विकल्प दिया है, ताकि बिल्डर्स को एक बार में ज्यादा नकदी न देना पड़े और उसके पास अपने कामकाज के लिए पर्याप्त नकदी मौजूद रहे.
महानगर पालिकाओं की ओर से भी लंबे समय से मांग की जा रही थी कि कोरोना की वजह से उनके रेवेन्यू में काफी कमी आई है. हर साल प्रीमियम और सेस से BMC को करीब 2000- 2500 करोड़ का रेवेन्यू मिलता है. लेकिन 2020 में रेवेन्यू कलेक्शन 600 करोड़ के करीब ही रहा है. महानगर पालिकाओं ने राज्य सरकार को चिट्ठी लिखकर मांग की थी कि प्रीमियम में बिल्डरों को अगर छूट दी जाएगी तो ज्यादा से ज्यादा बिल्डिंग के प्रोजेक्ट रजिस्टर होंगे. इसका फायदा महानगरपालिका को भी होगी उनकी कमाई बढ़ेगी.
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