राष्ट्रपति ने कर विवादों से निपटने के लिए किया इनोवेशन सिस्टम का आह्वान
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राष्ट्रपति ने कर विवादों से निपटने के लिए किया इनोवेशन सिस्टम का आह्वान

कारोबार सुगमता में भारत की रैंकिंग सुधारने पर जोर देते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि कर विवाद के बढ़ने मामलों और इसमें शामिल राशि को देखते हुए नवोन्मेषी कर मुकदमों की प्रबंधन प्रणाली की आवश्यकता है ताकि देश की वृद्धि की संभावना बढ़ सके।

राष्ट्रपति ने कर विवादों से निपटने के लिए किया इनोवेशन सिस्टम का आह्वान

नई दिल्ली: कारोबार सुगमता में भारत की रैंकिंग सुधारने पर जोर देते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि कर विवाद के बढ़ने मामलों और इसमें शामिल राशि को देखते हुए नवोन्मेषी कर मुकदमों की प्रबंधन प्रणाली की आवश्यकता है ताकि देश की वृद्धि की संभावना बढ़ सके।

आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल (आईटीएटी) के प्लैटिनम जुबिली कार्यक्रम का यहां उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में प्रत्यक्ष कर से जुड़े मामलों में भारी बढ़ोतरी हुई है।

उन्होंने कहा, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के साथ प्रत्यक्ष कर और करदाताओं की संख्या कई गुना बढ़ी है जिससे कर विवाद निपटान प्रणाली पर दबाव बढा है।’ मुखर्जी ने कहा, ‘कर विवादों के बढ़ते रुझान कर संबंधी मुकदमों में शामिल राशि को देखते हुए कर मुकदमों से जुड़ी नवोन्मेषी प्रबंधन प्रणाली की जरूरत है।’ 

राष्ट्रपति ने ट्रांस्फर प्राइसिंग, डिजिटल अर्थव्यवस्था के कराधान और अंतरराष्ट्रीय कराधान को कराधान का प्रमुख बिंदु के तौर पर रेखांकित किया और कहा कि विवादों के निपटान के लिए विशेष प्रकार के अलग अलग कौशल की जरूरत होगी।

मुखर्जी ने कहा कि हालांकि कराधान विभाग ने क्षमता विकास के जरिए चुनौती से निपटने के संबंध में पहल की है लेकिन इस क्षेत्रों में बढ़ते विवाद के संबंध में कर विभाग और कर न्याय व्यवस्था दोनों में प्रशिक्षित कर्मचारियों की जरूरत है ताकि भारत कर न्याय व्यवस्था के लिहाज से वैश्विक तौर पर प्रतिस्पर्धा कर सके। उन्होंने कहा कि कर विवाद का समाधान निवेश और कारोबार आकर्षित करने के माहौल को बढ़ावा देने का अभिन्न हिस्सा है।

विश्व बैंक समूह 2016 की रपट के मुताबिक भारत कारोबार सुगमता में 130वें स्थान पर है। इस स्थिति में सुधार होना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘तेजी से न्याय, निरंतर फैसले, उचित रवैया और कारोबार केंद्रित मुकदमा प्रबंधन प्रणाली के जरिए आप (आईटीएटी) भारत की वृद्धि की संभावना में योगदान कर सकते हैं जो अब सामने उभर रही है।’ उन्होंने कहा कि पिछले कुछ साल में भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं और 1860-61 में प्रत्यक्ष कर संग्रह सिर्फ 30 लाख रपए था जबकि आयकर प्रणाली जुलाई 1860 में पेश की गई थी और 2015-16 में यह बढ़कर 7.90 लाख करोड़ रुपए हो गई।

उन्होंने कहा, ‘इससे आयकर प्रणाली पेश किए जाने के बाद से प्रत्यक्ष कराधान का बढ़ता महत्व जाहिर होता है।’ इस कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर और केंद्रीय कानून मंत्री डी वी सदानंद गौड़ा और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल थे।

आईटीएटी समारोह के तकनीकी सत्रों में कराधान के तीन प्रमुख क्षेत्रों- सीमापार सौदों संबंधी कर कानून, न्याय प्रकिय्रा में प्रौद्योगिकी का बढ़ता प्रयोग और भारत में कारोबार सुगमता के मद्देनजर कर कानून आसान बनाने- पर विचार किया जाएगा।

मुखर्जी ने कहा, ‘स्थिर, उचित और समान कराधान प्रणाली मुहैया कराने के लिए ये कराधान नीति और मुकदमा प्रबंधन प्रणाली के तीन प्रमुख तत्व हैं।’ उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के कारण कारोबार की गति काफी तेज हुई है।

उन्होंने कहा, ‘प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने वाली उद्यमी और विश्व भर में वाले भारतीय देश में वैश्विक स्तर की न्याय प्रणली देखना चाहते हैं। 21वीं सदी के इन उद्यमियों की आकांक्षाएं पूरी करना चुनौतीपूर्ण है।’ उन्होंने उम्मीद जताई कि आईटीएटी के सदस्य और कानून मंत्रालय ऐसे समय में इन चुनौतियों पर सक्रियता से विचार करेगा जबकि प्रत्यक्ष कराधान प्रणाली की वृद्धि और विस्तार से ट्रिब्यूनल पर अतिरिक्त जिम्मेदारी आ जाती है। देश में 27 जगहों पर आईटीएटी की 63 पीठ हैं।

ई-अदालतों की पहलों का हवाला देते हुए मुखर्जी ने कहा कि अहमदाबाद में आईटीएटी के सदस्यों ने मिसाल कायम की जिन्होंने महीने भर में राजकोट में 300 याचिकाएं निपटाईं और यह सदस्यों द्वारा नयी प्रक्रियाओं के अपनाने की इच्छाशक्ति का अंग है। सदस्य ई-अदालतों में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए मामलों का समाधान करते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘आपको ऐसी पहलें देश भर में लागू करने की जरूरत है और करदाताओं की दहलीज पर कर न्याय लाने की वास्तविक मिसाल बने।’ ट्रिब्यूनल की 1941 में स्थापना तक कर विवाद निर्णय आंतरिक प्रशासनिक प्रणाली के जरिए होता था जिसमें निष्पक्षता और स्वतंत्रता का अभाव होता था।

आईटीएटी के स्थापित माडल का उपयोग अप्रत्यक्ष कर, प्रशासन, रेलवे और विदेशी मुद्रा विनिमय क्षेत्र में ट्रिब्यूनल की स्थापित के लिए किया गया है।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘अन्य ट्रिब्यूनल की स्थापना में आईटीएटी माडल के दोहराव से यह देश की ‘मातृ ट्रिब्यूनल’ संस्था बन गई है।’ 

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