पूरे साल विवादों में रहा ईपीएफओ, डिजिटलीकरण पर जोर
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पूरे साल विवादों में रहा ईपीएफओ, डिजिटलीकरण पर जोर

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) पूरे साल ज्यादातर गलत कारणों से सुखिर्यों में रहा, लेकिन इसके साथ ही उसने इस साल के दौरान पीएफ दावों के इलेक्ट्रॉनिक निपटान समेत अपने करीब चार करोड़ अंशधारकों को ऑनलाइन सेवाएं उपलब्ध कराकर अपने काम को पूरी तरह डिजिटलीकरण करने पर ध्यान बनाए रखा।

पूरे साल विवादों में रहा ईपीएफओ, डिजिटलीकरण पर जोर

नई दिल्ली : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) पूरे साल ज्यादातर गलत कारणों से सुखिर्यों में रहा, लेकिन इसके साथ ही उसने इस साल के दौरान पीएफ दावों के इलेक्ट्रॉनिक निपटान समेत अपने करीब चार करोड़ अंशधारकों को ऑनलाइन सेवाएं उपलब्ध कराकर अपने काम को पूरी तरह डिजिटलीकरण करने पर ध्यान बनाए रखा।

ईपीएफओ डिजिटलीकरण से 6 लाख से अधिक नियोक्ताओं और 4 करोड़ से अधिक अंशधारकों के लिए संगठन के साथ कारोबार को सुगम बनाना है। ईपीएफओ के केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त वीपी जॉय ने कहा, ‘बेहतरीन सामाजिक सुरक्षा संगठनों में से एक बनने की प्रतिबद्धता के तहत आने वाले वर्ष 2017 में कई आनलाइन सुविधाएं देखने को मिलेंगी जिसमें डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण तथा बेहतर गतिविधियां शामिल हैं। इससे देश में व्यापार सुगमता सुधारने में मदद मिलेगी।’ 

उन्होंने कहा, ‘ईपीएफओ के डाटाबेस को केंद्रीकृत प्लेटफार्म के जरिये एकीकृत बनाया जाएगा। इससे रिकार्ड तथा सदस्यों के खाते वास्तविक समय पर अद्यतन हो सकेंगे। नियोक्ताओं के लिये प्रक्रिया सरल होगी तथा ईपीएफओ को और कुशल बनाया जाएगा ताकि वह बेहतर तरीके से ऑनलाइन सेवाएं उपलब्ध करा सके। इससे सभी प्रकार के दावों के लिये आवेदन आनलाइन किया जा सकेगा जिसमें पीएफ निकासी और पेंशन निर्धारण शामिल हैं।’ 

जॉय ने कहा कि ईपीएफओ सभी पात्र कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा दायरे में लाने का प्रयास करेगा। फिलहाल अंशधारकों को ईपीएफओ के पास अपने खातों के निपटान के लिये हाथ से आवेदन करना होता है। वर्ष 2016 मं ईपीएफओ पीएफ निकासी पर सीमा तथा पिछले वित्त वर्ष के लिये जमा पर ब्याज दर के निर्धारण के लिये वित्त मंत्रालय के साथ मतभेद जैसे कारणों से विवादों में रहा।

ईपीएफओ ने सदस्यों की बचत को बढ़ावा देने के इरादे से पीएफ निकासी पर सीमा लगाने का फैसला किया था। लेकिन इस फैसले का पुरजोर विरोध तथा कुछ जगहों पर हिंसक घटनाएं होने से सरकार ने अपने कदम पीछे खींच लिये। अप्रैल की शुरूआत में ईपीएफओ ने सदस्यों द्वारा दो महीने से अधिक समय तक बिना नौकरी के रहने पर शत प्रतिशत पीएफ निकासी पर रोक लगा दी थी।

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने ईपीएफ योजना, 1952 में भी संशोधन किया जिसका मकसद भविष्य निधि निकासी से जुड़े विभिन्न नियमों को कड़ा करना था। इसमें इस प्रकार के दावे के लिये आयु सीमा 54 साल से बढ़ाकर 58 साल किया गया। इसमें यह भी कहा गया था कि उन महिला सदस्यों के मामले में दो महीने की बेरोजगारी की शर्त लागू नहीं होगी जो शादी या बच्चे के जन्म की वजह से इस्तीफा देती हैं। बाद में 19 अप्रैल को विरोध तथा बेंगलुरू में हिंसक प्रदर्शन के बाद सरकार ने पीएफ निकासी के लिये कड़े नियम को वापस लेने पड़ा।

इससे पहले, मार्च में सरकार को व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन के कारण निकासी के समय पीएफ कोष के 60 प्रतिशत हिस्से पर कर लगाने के बजट प्रस्ताव को वापस लेना पड़ा था। इतना ही नहीं चौतरफा आलोचना के बाद सरकार को 2015-16 के लिये भविष्य निधि जमा पर ब्याज कम कर 8.7 प्रतिशत करने के फैसले को वापस लेना पड़ा और वह 8.8 प्रतिशत करने पर सहमत हुई। इस साल मार्च में यह तीसरा मौका था जब सरकार को ईपीएफ से जुड़े अपने फैसले वापस लेने पड़े।

इससे पहले, वित्त मंत्रालय ने 2015-16 के लिये ईपीएफओ के 8.8 प्रतिशत ब्याज देने के फैसले को खारिज कर दिया और इसे 8.7 प्रतिशत नियत किया था। हालांकि वित्त मंत्रालय चालू वित्त वर्ष के लिये ईपीएफ जमा पर ब्याज दर कम कर 8.65 प्रतिशत लाने में सफल रहा। यह बचत पर ब्याज दरों में गिरावट की स्थिति के अनुरूप है।

हालांकि ब्याज दर में कमी के बावजूद ईपीएफ अन्य बचत जमा योजनाओं के मुकाबले चालू वित्त वर्ष में निवेशकों के लिये निवेश का बेहतर विकल्प रहा। अन्य बचत जमा योजनाओं पर ब्याज दर अक्तूबर-दिसंबर के लिये 8.0 प्रतिशत तय की गयी है। लोकप्रिय बचत योजना पीपीएफ पर ब्याज दर चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में कम कर 8.0 प्रतिशत कर दी गयी जो इससे पिछले तीन महीने में 8.1 प्रतिशत थी। इसी प्रकार, किसान विकास पत्र पर ब्याज दर कम कर 7.7 प्रतिशत रही।

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