श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से रेलवे को हुई 360 करोड़ रुपये की आय, औसतन 600 रुपये था किराया
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श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से रेलवे को हुई 360 करोड़ रुपये की आय, औसतन 600 रुपये था किराया

कोरोना काल में रेलवे द्वारा चलाई गई श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से 60 लाख यात्रियों को उनके घरों तक पहुंचाया गया.

फाइल फोटो

नई दिल्लीः कोरोना काल में रेलवे द्वारा चलाई गई श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से 60 लाख यात्रियों को उनके घरों तक पहुंचाया गया. वहीं इससे रेलवे को 360 करोड़ रुपये की आय हुई, जहां प्रत्येक यात्री से औसतन 600 रुपये का किराया लिया गया. हालांकि रेलवे ने केवल 15 फीसदी राशि को ही हासिल किया जो इस तरह की ट्रेन को चलाने में लागत थी. 

  1. 60 लाख यात्रियों को उनके घरों तक पहुंचाया गया
  2.  रेलवे को 360 करोड़ रुपये की आय हुई
  3. परिचालन लागत करीब 75 से 80 लाख रुपये है

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वी. के. यादव ने कहा कि भारतीय रेल ने प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए अब तक 4,450 श्रमिक स्पेशल ट्रेन चला चुका है.  यादव ने कहा, ‘‘श्रमिक स्पेशल ट्रेन के लिए औसत किराया 600 रुपये प्रति यात्री रहा. यह मेल, एक्सप्रेस ट्रेन का सामान्य किराया है ना कि स्पेशल ट्रेन के लिए वसूला जाने वाला ऊंचा किराया. इन ट्रेनों के माध्यम से हमने करीब 60 लाख लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया. इनके परिचालन पर आई लागत का करीब 15 फीसदी ही वसूल किया गया है. जबकि 85 फीसदी राशि का वहन केंद्र सरकार द्वारा किया गया.’’

80 लाख पड़ी एक ट्रेन की परिचालन लागत
अधिकारी ने कहा कि एक प्रवासी श्रमिक ट्रेन की परिचालन लागत करीब 75 से 80 लाख रुपये है. यादव ने कहा कि अधिकतर प्रवासी मजदूर अपने गंतव्य तक पहुंच चुके हैं. बहुत कम ऐसे मजदूर बचे हैं जो अब वापस अपने घरों को जाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि बचे हुए प्रवासी मजदूरों के लिए भी हम राज्य सरकारों के साथ समन्वय कर रहे हैं. हमने उनसे तीन जून तक उनकी जरूरत के हिसाब से ट्रेनों की मांग बताने के लिए कहा था. अब तक हमें 171 श्रमिक स्पेशल ट्रेन उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है.

यादव ने कहा, ‘‘14 जून तक हमने 222 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया. उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद हमने राज्य सरकारों से फिर से उनकी अतिरिक्त ट्रेनों की मांग बताने को कहा है. जब तक राज्यों की ओर से मांग की जाती रहेगी हम ट्रेन का संचालन करते रहेंगे.’’ रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने दोहराया कि इन ट्रेनों का संचालन 85-15 फीसदी की केंद्र-राज्य भागीदारी पर किया गया.

कोविड कोच के लिए ये हैं गाइडलाइन
कोविड कोच के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी गाइडलाइन जारी की हैं. इसके मुताबिक जहां तक संभव हो एक केबिन में एक ही मरीज होगा. दबाव बढ़ने पर अधिकतम 2 मरीज एक केबिन में रह सकते हैं. पॉजिटिव केस अलग कोच में और सस्पेक्टेड अलग कोच में होंगे. रेलवे ने राज्य सरकारों और स्वास्थ्य विभाग को कुल 215 स्टेशनों की लिस्ट सौंपी है, जहां कोविड केयर सेंटर लगाए जा सकते हैं. ये वे स्टेशन हैं जहां वाटरिंग और चार्जिंग की सुविधा है.

रेलवे की दिल्ली सरकार के साथ आज एक बैठक हुई जिसमें दिल्ली में कहां-कहां कोविड केयर सेंटर लगाए जा सकते हैं, इसके विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई. फिलहाल दिल्ली में आनंद विहार और शकूर बस्ती से इसकी शुरूआत की जाएगी. दिल्ली के शकूर बस्ती रेलवे स्टेशन पर अब तक कुल 50 कोविड कोच लगाए जा चुके हैं.

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देश भर के सभी कोविड कोच किसी स्थानीय हॉस्पिटल से जुड़े होंगे. माइल्ड और वेरी माइल्ड कोविड केस ही इनमें भेजे जाएंगे. एक एंबुलेंस भी मौजूद होगी जो आवश्यकता होने पर मरीज को अस्पताल लेकर जाएगी. कहीं पर कोविड कोच में तापमान ज़्यादा होने पर रेलवे इंसुलेशन या अन्य तरीके से तापमान को नियंत्रित करेगी.

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