आरबीआई गवर्नर दास ने कहा, "सरकार लाभांश राशि का कैसे उपयोग करती है, यह उसका अपना निर्णय होगा."
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मुंबई: रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को साफ कर दिया कि आरबीआई से अंतरिम लाभांश मांगना और उसे अपनी इच्छानुसार उपयोग में लाना सरकार का अधिकार है. दास के बयान से साफ है कि आरबीआई को इससे कोई आपत्ति नहीं है.
उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद आरबीआई के गवर्नर बने दास से 12 करोड़ किसान को सालाना 6,000 रुपये नकदी दिए जाने से राजकोषीय स्थिति पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में सवाल पूछे गए थे. उनसे यह भी पूछा गया था कि केंद्रीय बैंक के आकलन के अनुसार किसानों की समस्या कितनी गंभीर है. दास के आरबीआई गवर्नर का पदभार संभालने के बाद यह पहली मौद्रिक नीति समीक्षा है.
पिछले साल मई में वित्त सचिव से सेवानिवृत्त होने वाले दास बजट के आंकड़ों को लेकर विश्वसनीयता के साथ-साथ बजट में की गई कई कल्याणकारी योजनाओं का राजकोषीय घाटे पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूछे गए सवालों को भी टाल गए. बीजेपी नीत सरकार ने चुनावी साल में 12 करोड़ छोटे एवं सीमांत किसानों के खातों में नकद राशि डालने का फैसला किया है. कई आलोचक इसे नाराज किसानों को शांत करने के लिए उठाया गया कदम बता रहे हैं. उनका कहना है कि इस राशि को आरबीआई से मिलने वाले 28,000 करोड़ रुपये के लाभांश से पूरा किया जाएगा.
दास ने कहा, ‘‘अधिशेष राशि या अंतरिम लाभांश का भुगतान आरबीआई कानून का हिस्सा है. अत: हम ऐसा कुछ नहीं कर रहे हैं, जो कानून से अलग हो.’’
उल्लेखनीय है कि इस बात को लेकर भी चिंता जताई गई है कि सरकार राजकोषीय अंतर को पूरा करने के लिए लगातार दूसरे साल आरबीआई से लाभांश की मांग कर रही है. उच्च राजकोषीय घाटे को मुद्रास्फीति पर पड़ने वाले प्रभाव के रूप में देखा जाता है. दास ने कहा, ‘‘सरकार लाभांश राशि का कैसे उपयोग करती है, यह उसका अपना निर्णय होगा.’’
उल्लेखनीय है कि आर्थिक मामलों के सचिव एस सी गर्ग ने कहा था कि सरकार अंतरिम लाभांश के रूप में आरबीआई से 28,000 करोड़ रुपये चाहती है. दास ने कहा कि बैंक का केंद्रीय निदेशक मंडल 18 फरवरी को होने वाली अगली बैठक में इस मांग पर विचार करेगा. बजट में किए गए उपायों के बारे में कुछ कहे बिना दास ने कहा कि आरबीआई ने मुद्रास्फीति का अनुमान लगाते समय राजकोषीय स्थिति को भी ध्यान में रखा.