RBI ने महंगाई दर 5% तक सीमित रहने के अनुमान को बरकरार रखा
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RBI ने महंगाई दर 5% तक सीमित रहने के अनुमान को बरकरार रखा

रिजर्व बैंक ने अगले साल जनवरी तक मुद्रास्फीति (महंगाई दर) के 5% तक सीमित रहने के अपने लक्ष्य को बरकरार रखा है। हालांकि, केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि कच्चे तेल के बढ़ते दाम और खाद्य पदार्थों की वजह से इस पर दबाव बना रहेगा और यह इससे कुछ ऊपर भी जा सकती है।

RBI ने महंगाई दर 5% तक सीमित रहने के अनुमान को बरकरार रखा

मुंबई: रिजर्व बैंक ने अगले साल जनवरी तक मुद्रास्फीति (महंगाई दर) के 5% तक सीमित रहने के अपने लक्ष्य को बरकरार रखा है। हालांकि, केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि कच्चे तेल के बढ़ते दाम और खाद्य पदार्थों की वजह से इस पर दबाव बना रहेगा और यह इससे कुछ ऊपर भी जा सकती है।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति, खाद्य और ईंधन को अलग रखने के बावजूद अप्रैल में कुछ बढ़ी है। मकान का किराया, जलापूर्ति शुल्क, पढाई की फीस और टैक्सी.आटो किराये जैसे सेवा क्षेत्र की मुद्रास्फीति उंची रही है। रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने 2016-17 की दूसरी द्वैमासिक मौद्रिक नीति में कहा है कि ग्रामीण वेतन और कापरेरेट स्टाफ लागत हल्की रही है, ऐसे में लागत बढ़ाने के कारक फिलहाल कमजोर बने रहेंगे।

रिजर्व बैंक ने अप्रैल में खुदरा मुद्रास्फीति के पांच प्रतिशत के आसपास बने रहने का अनुमान लगाया था। मौद्रिक नीति वक्तव्य में अप्रैल में लगाये गये मुद्रास्फीति अनुमान को बरकरार रखा गया है लेकिन साथ ही इसमें वृद्धि की आशंका भी व्यक्त की गई है, इसमें कहा गया है ‘अप्रैल के मुद्रास्फीति के आश्चर्यचकित करने वाले आंकड़ों से मुद्रास्फीति का भविष्य का दायरा ज्यादा अनिश्चित हो गया है।’ 

राजन ने हालांकि आगे कहा है कि देश में सामान्य मानसून और विभिन्न हिस्सों में वष्रा का सामान्य वितरण होने के साथ साथ आपूर्ति प्रबंधन के बेहतर उपायों और इलेक्ट्रानिक राष्ट्रीय कृषि बाजार :ई-नाम: कारोबारी पोर्टल शुरू होने से खाद्य मुद्रास्फीति में अप्रत्याशित वृद्धि को कम रखने में मदद मिलेगी।

रिजर्व बैंक ने कहा है, ‘मजबूत मानसून, खाद्य प्रबंधन में कुशलता, साथ ही आपूर्ति क्षमता में विस्तार, खासतौर से सेवाओं के क्षेत्र में सुधार से मुद्रास्फीति में वृद्धि के दबाव को कम रखा जा सकेगा।’ मौद्रिक नीति में मुद्रास्फीति को पांच प्रतिशत पर बनाये रखने के पीछे कई तरह के तर्क दिये गये हैं। इसमें कहा गया है कि क्षमता इस्तेमाल के संकेतक यह बताते हैं कि उद्योगों में काफी गुंजाइश है इससे मांग कुछ बढ़ने के बावजूद उत्पादन के दाम नीचे बने रहेंगे।

रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा है, ‘इस सबके बावजूद, मुद्रास्फीति में वृद्धि का जोखिम बना रहेगा- अंतरराष्ट्रीय बाजार में उपभोक्ता जिंसों के मजबूत होते दाम, विशेषतौर से कच्चे तेल के दाम की वृद्धि, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का क्रियान्वयन, इसको लेकर जैसे ही स्थिति स्पष्ट होती है उसे अनुमान में शामिल किया जाना है।’ उन्होंने कहा कि परिवारों और कंपनियों की मुद्रास्फीति बढ़ने की धारणा, खाद्य और ईंधन को छोड़कर मुद्रास्फीति में बनी मजबूती इसके उपर जाने के जोखिम में सहायक हैं।

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