एक साल के निचले स्तर पर आया रेपो रेट, पढ़िए मौद्रिक नीति की 10 खास बातें
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एक साल के निचले स्तर पर आया रेपो रेट, पढ़िए मौद्रिक नीति की 10 खास बातें

रिजर्व बैंक (RBI) ने मुद्रास्फीति में आई नरमी को देखते हुए गुरुवार को लगातार दूसरी बार नीतिगत ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है. इससे रेपो रेट अब पिछले एक साल के निचले स्तर पर आ गई है.

एक साल के निचले स्तर पर आया रेपो रेट, पढ़िए मौद्रिक नीति की 10 खास बातें

मुंबई : रिजर्व बैंक (RBI) ने मुद्रास्फीति में आई नरमी को देखते हुए गुरुवार को लगातार दूसरी बार नीतिगत ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है. इससे रेपो रेट अब पिछले एक साल के निचले स्तर पर आ गई है. हालांकि, रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति के रुख को तटस्थ बनाये रखा है. गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति की पिछले दो दिन से चल रही बैठक के बाद गुरुवार को छह में से चार सदस्यों ने रेपो दर में कटौती का पक्ष लिया. हालांकि, दो सदस्यों ने दर को पुराने स्तर पर रखने का समर्थन किया.

रिजर्व बैंक से धन लेने की लागत कम होगी
मुख्य ब्याज दर 0.25 प्रतिशत घटाने के बाद 6 प्रतिशत पर आ गई है. इससे बैंकों की रिजर्व बैंक से धन लेने की लागत कम होगी. उम्मीद की जा रही है इससे मिलने वाला लाभ बैंक अपने ग्राहकों तक पहुंचाएंगे. इससे बैंकों से मकान, दुकान और वाहन के लिये कर्ज सस्ती दर पर मिल सकता है. इससे पहले आरबीआई ने 7 फरवरी को रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर इसे 6.25 प्रतिशत कर दिया था. गुरुवार को हुई दूसरी कटौती के बाद रेपो रेट 6 प्रतिशत रह गई.

अप्रैल 2018 में 6 प्रतिशत पर था रेपो रेट
इससे पहले अप्रैल 2018 में भी रेपो दर 6 प्रतिशत पर थी. रिजर्व बैंक की तरफ से एक बयान में कहा गया कि मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत के दायरे में बरकरार रखने के मध्यावधि के लक्ष्य को हासिल करने के साथ आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए रेपो रेट में कटौती की गई है. देश- दुनिया के 100 से अधिक अर्थशास्त्रियों द्वारा सरकारी आंकड़ों की साख पर सवाल उठाये जाने के बारे में पूछे जाने पर रिजर्व बैंक के गवर्नर दास ने कहा कि आरबीआई सरकारी आंकड़ों के साथ चलेगा. पढ़िए मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक की खास बातें...

एक नजर में खास बातें
- अल्पावधि ब्याज दर (रेपो रेट) 0.25 प्रतिशत घटाकर 6% की गई.
- रेपो दर में आरबीआई ने लगातार दूसरी बार की है.
- रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति पर रुख तटस्थ बनाये रखा.
- मौद्रिक नीति समिति के 6 में से चार सदस्यों ने रेपो रेट में कटौती का पक्ष लिया.
- वित्त वर्ष 2019-20 के लिए विकास दर का पूर्वानुमान 7.4 से घटाकर 7.2 प्रतिशत किया गया.
- आरबीआई ने वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही के लिये खुदरा मुद्रास्फीति का पूर्वानूमान घटाकर 2.4 प्रतिशत किया.
- वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही के लिये खुदरा मुद्रास्फीति 2.90 से तीन प्रतिशत की.
- वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी छमाही के लिये 3.50 से 3.80 प्रतिशत किया गया.
- मौद्रिक नीति समिति ने माना कि उत्पादन फासला नकारात्मक बना हुआ है और घरेलू अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौती बनी हुई है.
- अगली मौद्रिक नीति की घोषणा छह जून को होगी.

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