RBI ने मानी सरकार की कई मांगें, दो दिन बाद सिस्टम में डालेगा 8,000 करोड़ रुपये
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RBI ने मानी सरकार की कई मांगें, दो दिन बाद सिस्टम में डालेगा 8,000 करोड़ रुपये

आरबीआई और सरकार के बीच जारी खींचतान के बीच सोमवार को आरबीआई बोर्ड की बैठक करीब 9 घंटे तक चली. 

 

एमएसएमई को ज्यादा कर्ज देने के मुद्दे पर आरबीआई ने कदम उठाने का आश्वासन दिया है..(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और सरकार के बीच कई दिनों से जारी खींचतान के बीच सोमवार को आरबीआई बोर्ड की मैराथन बैठक करीब 9 घंटे तक चली. इसमें कई विवादित मुद्दों पर सहमति बनी जिससे नकदी बढ़ाने और सार्वजनिक बैंकों पर लगी पाबंदियों को शिथिल करना शामिल है. केंद्रीय बैंक ने सरकार की कई मांगें मान ली. 

केंद्रीय बैंक ने कहा कि वह 22 नवंबर को सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद के माध्यम से सिस्टम में 8,000 करोड़ रुपये डालेगा. रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा, "नकदी की मौजूदा स्थिति को देखते हुए और भविष्य में लिक्विडिटी की जरूरत को देखते हुए आरबीआई ने ओपेन मार्केट ऑपरेशन (ओएमओ) के तहत सरकारी गारंटी को खरीदने का फैसला किया है. इसके तहत बैंक 22 नवंबर को प्रणाली में 80 अरब रुपये डालेगा."

ओएमओ गतिविधियों से आईएलएंडएफएस समूह की कंपनियों के दायित्व भुगतान में असफल रहने के चलते उत्पन्न नकदी संकट को कम करने में मदद मिलेगी. पात्र भागीदार रिजर्व बैंक के कोर बैंकिंग समाधान (ई-कुबेर) प्रणाली पर 22 नवंबर को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में अपनी पेशकश जमा कर सकते हैं.

सूत्रों के मुताबिक, बोर्ड ने रिजर्व बैंक को सुझाव दिया कि ऐसे लघु-मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) जिन पर 25 करोड़ रुपए तक एनपीए है उनके लिए अलग से स्कीम लाई जाए ताकि उन पर दिवालिया कानून लागू न हो. एमएसएमई को ज्यादा कर्ज देने के मुद्दे पर आरबीआई ने कदम उठाने का आश्वासन दिया है. इसके अलावा आरबीआई के पास रखे अधिशेष के सरकार को स्थानांतरण की समीक्षा करने पर भी बोर्ड ने सहमति जताई है. इसके लिए आरबीआई एक पैनल का गठन करेगा.  

पीसीए फ्रेमवर्क के प्रावधानों में संशोधन करेगा आरबीआई 
आरबीआई ने पीसीए फ्रेमवर्क के प्रावधानों में कुछ संशोधन करने पर सहमति जताई है ताकि कुछ सरकारी बैंकों को इसके दायरे से बाहर निकाला जा सके. अभी 11 सरकारी बैंक पीसीए के दायरे में है. ये बैंक हैं: देना बैंक, इलाहाबाद बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, कॉर्पोरेशन बैंक, आईडीबीआई बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया. आरबीआई की वित्तीय निगरानी से जुड़ा एक बोर्ड इस बारे में विचार करेगा. 

पीसीए को आसान शब्दों में समझें तो इसका इस्तेमाल आरबीआई तब करता है जब उसे लगता है कि किसी बैंक के पास जोखिम का सामना करने के लिए पर्याप्त पूंजी नहीं है. आय और मुनाफा नहीं हो रहा या एनपीए बढ़ रहा है. ऐसी स्थिति में केंद्रीय बैंक उसे पीसीए में डाल देता है. पीसीए में शामिल बैंक नए कर्ज नहीं दे सकते और नई ब्रांच नहीं खोल सकते. 

सौहार्दपूर्ण अंदाज में संपन्न हुई बैठक
सूत्रों के मुताबिक, आरबीआई बोर्ड की मीटिंग में सुबह बहुत तनाव रहा लेकिन बाद में यह बैठक सौहार्दपूर्ण अंदाज में संपन्न हुई. बोर्ड के कई सदस्यों ने डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य से सार्वजनिक तौर पर बयान देने पर सवाल किए लेकिन आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल के शांत स्वभाव के चलते माहौल गर्म नहीं हो पाया. उन्होंने अपना धैर्य बनाए रखा और मौके की नजाकत को भांपते हुए चर्चा को आगे बढ़ाया. 

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