घर में आने वाले महंगे प्याज और आपके लोन पर लगने वाले ब्याज में क्या कोई रिश्ता है?
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घर में आने वाले महंगे प्याज और आपके लोन पर लगने वाले ब्याज में क्या कोई रिश्ता है?

महंगाई से जुड़े जो नए आंकड़े आए हैं...उनके मुताबिक ब्याज और प्याज के इस रिश्ते का असर आने वाले दिनों में आपकी जेब पर पड़ने वाला है.

फाइल फोटो

पिछले एक महीने से देश भर में नागरिकता कानून को लेकर जो विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं उनके बीच आपके जीवन से जुड़ा सबसे बड़ा मुद्दा पीछे छूट गया है. वो मुद्दा है महंगाई...महंगाई (Inflation) अब ना तो खबरों में है और ना ही फिल्मों में. ऐसा लगता है कि महंगाई में अब कोई ग्लैमर ही नहीं बचा है. भारत में जिस महंगाई को खबरों में जगह नहीं मिलती...उससे जुड़े कुछ आंकड़े आए हैं. ये आंकड़े बताते हैं कि आज भारत में महंगाई दर पिछले साढ़े पांच वर्षों में सबसे ज्यादा है. इस बीच सवाल ये है कि क्या आपके घर में आने वाले महंगे प्याज और आपके लोन पर लगने वाले ब्याज में कोई रिश्ता हो सकता है. इसका जवाब है बिल्कुल हो सकता है और बल्कि इन दोनों का एक मजबूत रिश्ता है भी.

साढ़े पांच वर्षों में सबसे अधिक महंगाई
महंगाई से जुड़े जो नए आंकड़े आए हैं...उनके मुताबिक ब्याज और प्याज के इस रिश्ते का असर आने वाले दिनों में आपकी जेब पर पड़ने वाला है. एक फरवरी को पेश होने वाले बजट से पहले ये आंकड़े सरकार और जनता दोनों को चिंता में डालने वाले हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक देश में महंगाई दर और बढ़ गई है. यानी खाने-पीने की वस्तुएं पहले से ज्यादा महंगी हो गई है.

National Statistical Office की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2019 में खुदरा महंगाई दर 7.35 प्रतिशत हो गई. खुदरा महंगाई दर बढ़ने यानी Retail Inflation का सीधा सा मतलब ये है कि जब आप कोई सामान खरीदने बाज़ार जाते हैं तो वो आपको पहले से ज्यादा महंगा मिलता है. Retail Inflation में ये वृद्धि जुलाई 2014 के बाद से सबसे ज्यादा है. यानी ये भारत में पिछले साढ़े पांच वर्षों का सबसे महंगाई वाला दौर है.

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आकलन
भारत में खुदरा महंगाई दर का आकलन करीब साढ़े चार सौ वस्तुओं और सेवाओं के बाजार भाव के हिसाब से किया जाता है. इनमें 45 प्रतिशत हिस्सा खाने और पीने की वस्तुओं का होता है- जैसे अनाज, दूध, सब्जियां, मिठाई, तेल, चिकन, मटन, मछली और अंडे. इसके अलावा यातायात, स्वास्थ्य, शिक्षा और घर के निर्माण जैसी सेवाओं को भी इसमें शामिल किया जाता है.

नए आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर महीने में सब्जियों के दामों में 60 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा हुआ. जबकि खाने-पीने की चीजें 14.12 प्रतिशत महंगी मिल रही थीं. आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि 100 रुपए प्रति किलो के दाम पर मिलने वाली सब्जी 160 रुपये की मिल रही है. इन आंकड़ों की तुलना दिसंबर 2018 के आंकड़ों से की गई है और अब ये कहा जा रहा है कि पिछले वर्ष के मुकाबले महंगाई बहुत बढ़ गई है.

प्‍याज के दाम
प्याज के दामों में हुई वृद्धि ने भी महंगाई दर बढ़ाने का काम किया है. आपको याद होगा कि पिछले वर्ष नवंबर-दिसंबर में प्याज की कीमतें 150 रुपये प्रति किलो से भी ज्यादा हो गई थीं. खाने-पीने की जो चीजें आज 14 प्रतिशत महंगी बिक रही हैं...वो एक साल पहले सिर्फ 2.1 प्रतिशत महंगी थीं. लेकिन मार्च 2019 से महंगाई दर लगातार बढ़ रही है और अब ये पिछले साढ़े पांच वर्षों के सबसे उच्चतम स्तर पर है.

इतना नहीं पिछले वर्ष दिसंबर महीने की थोक महंगाई दर भी नवंबर के मुकाबले बढ़ गई थी. इस दौरान प्याज़ के दामों में 455 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई जबकि आलू के दाम 44 प्रतिशत तक बढ़ गए.

अब आप ये समझिए कि महंगा प्य़ाज़...ब्याज़ दरों को कैसे प्रभावित करेगा. सरकार के आदेश के मुताबिक आरबीआई को खुदरा महंगाई दर 2 से 6 प्रतिशत के बीच रखनी होती है जो फिलहाल 7.35 प्रतिशत है. यानी अभी महंगाई दर RBI के Comfort Level से बहुत ऊपर है. ऐसे में RBI ब्याज दरों को कम करने का जोखिम नहीं ले सकता.

इसलिए आसार इस बात के हैं कि या तो ब्याज़ दरों में कोई बदलाव नहीं होगा या फिर इसे बढ़ा दिया जाएगा. यानी ना तो आपको सस्ता लोन मिलेगा और ना ही आपकी EMI कम होगी. RBI ब्य़ाज़ दरों की समीक्षा अगले महीने यानी फरवरी में करेगा और इसमें जनता को किसी तरह की राहत मिलने की उम्मीद बहुत ही कम है.

RBI को बैंकों का बैंक कहा जाता है. यानी अगर RBI बैंकों को लोन देते वक्त ब्याज़ दर बढ़ाता है..तो बदले में आपके बैंक भी आपकी ब्याज़ दर या EMI बढ़ा सकते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि महंगाई कम करने के लिए तो RBI को ब्याज़ दर घटा देनी चाहिए ताकि लोगों के पास ज्यादा पैसा बच पाए. फिर RBI ऐसा क्यों नहीं कर रहा है?

इसका जवाब ये है कि अगर बैंक ब्याज़ दरों में कमी करेंगे तो जनता के पास ज्यादा पैसा बचेगा, तब जनता और ज्यादा सामान खरीदेगी यानी डिमांड बढ़ जाएगी जबकि सप्लाई पहले के जैसी ही बनी रहेगी. इससे महंगाई में और ज्यादा इज़ाफा होगा क्योंकि डिमांड और सप्लाई में बड़ा अंतर कायम रहेगा.

महंगाई बनाम मौसम
भारत में महंगाई का कनेक्शन सिर्फ 455 प्रतिशत महंगे हुए प्याज़ से ही नहीं है. इसका रिश्ता ईरान से भी है. अमेरिका से भी है, मलेशिया से भी है और यहां तक कि कश्मीर से भी है. आपके किचन में आने वाला सामान, आपका खर्चा और आपका निवेश इन देशों की राजनीतिक और कूटनीतिक स्थिति से भी प्रभावित हो रहा है. लेकिन पहले ये समझ लीजिए कि भारत में ऐसा क्या हो रहा है जिससे खाने-पीने की चीज़ों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं और क्यों आगे भी ऐसी ही आशंका बनी हुई है.

महंगाई बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है-मौसम. पिछले साल भारत के कई राज्यों में बेमौसम बारिश हुई. इससे किसानों की फसलें प्रभावित हो गईं. उत्पादन कम हो गया और बाज़ार में पर्याप्त मात्रा में इन फसलों की सप्लाई भी नहीं हो पाई...इनमें सबसे ऊपर है, प्याज, टमाटर और आलू.

भारत में कहा जाता है कि अगर घर में बनाने के लिए कोई सब्ज़ी ना हो और सिर्फ आलू टमाटर, प्याज़ भी हो तो इससे दो वक्त की रोटी खाई जा सकती है लेकिन इन तीन सबसे प्रमुख सब्जियों के महंगे हो जाने का असर महंगाई दर पर सबसे ज्यादा पड़ा है.

खाद्य तेल के दाम
महंगाई की एक और बड़ी वजह है. खाने-पीने में इस्तेमाल होने वाले तेल की कीमतों का बढ़ जाना. भारत में Edible Oil यानी खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाला ज्यादातर तेल..सोयाबीन जैसी फसलों से तैयार किया जाता है. खराब मौसम ने इन फसलों को भी प्रभावित किया. भारत अपनी ज़रूरत के सिर्फ 30 प्रतिशत Edible Oil का ही उत्पादन कर पाता है. बाकि का 70 प्रतिशत तेल दूसरे देशों से आयात किया जाता है.

भारत में बड़े पैमाने पर Palm Oil का भी प्रयोग होता है . मलेशिया और इंडोनेशिया में Palm Oil का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है. भारत 70 प्रतिशत Palm Oil इन्हीं दो देशों से मंगाता है लेकिन अब मलेशिया और इंडोनेशिया में भी Palm Oil महंगा बिक रहा है क्योंकि वहां की सरकारें इस तेल का इस्तेमाल ईंधन के तौर पर करना चाहती हैं.

भारत के कई व्यापारियों ने कुछ दिनों पहले मलेशिया से आने वाले Palm Oil का बहिष्कार भी किया था क्योंकि मलेशिया के राष्ट्रपति महातिर मोहम्मद ने संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर के मुद्दे पर भारत के खिलाफ बयान दिया था. माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक मतभेद का असर अब भी Palm Oil के दामों पर पड़ रहा है.

इसके अलावा ईरान और अमेरिका के बीच जो तनाव चल रहा है, उसने अंतर्राष्ट्रीय तेल बाज़ार को भी चिंता में डाला हुआ है. 2 जनवरी को अमेरिका ने ईरान के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या कर दी थी और इसके फौरन बाद तेल के दामों में 4 प्रतिशत की वृद्धि हो गई थी. पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ जाने से माल-भाड़ा बढ़ जाता है, परिवहन भी महंगा हो जाता है. कुल मिलाकर इसका असर आम आदमी की जेब पर पड़ता है .

आलू, प्याज़ टमाटर ही नहीं पिछले साल बेमौसम बारिश की वजह से दालों के उत्पादन में भी कमी आई. भारत सरकार नहीं चाहती कि दूसरे देशों से दाल मंगाई जाए क्योंकि इससे भारतीय किसानों को नुकसान होता है लेकिन फसल की बर्बादी की वजह से दालें भी महंगी हो गई हैं. इसका सीधा असर महंगाई दर पर पड़ा है.

कहा जाता है कि अब पूरी दुनिया एक गांव की तरह हो चुकी है जहां सबकी जिंदगियां एक दूसरे से जुड़ी हैं. ऐसे में ईरान-अमेरिका की दुश्मनी से लेकर कश्मीर पर मलेशिया की कूटनीति तक सब आपको प्रभावित करते हैं. घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय वजहों से आपकी जिंदगी पर महंगाई की मार पड़ी है और आगे भी जल्दी राहत मिलने की उम्मीद नहीं है.

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