Success Story: बच्चों को गोद में नहीं ले पाने का ऐसा मलाल जिसमें इजाद हुआ Business Idea, आज खेल रहे करोड़ों में
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Success Story: बच्चों को गोद में नहीं ले पाने का ऐसा मलाल जिसमें इजाद हुआ Business Idea, आज खेल रहे करोड़ों में

Success Story: आकाश को कमर में स्लिप डिस्क की समस्या थी, जिसके कारण अपने बच्चों को गोद में नहीं ले पाते थे. ऐसे में इसका कोई उपाय सोचने लगे, जब नहीं मिला तो इस पर रिसर्च करने लगे. इसमें उन्हें करीब दो साल का समय लगा, लेकिन सफलता मिल गई. 

Success Story: बच्चों को गोद में नहीं ले पाने का ऐसा मलाल जिसमें इजाद हुआ Business Idea, आज खेल रहे करोड़ों में

Success Story Of Ruchi And Akash Jain: ये बात सौ टका सच है कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है और एक आम कपल ने इस बात को फिर साबित कर दिखाया है. आज हम बात करेंगे कोलकाता के ‌उद्यमी आकाश जैन और रुचि जैन की. इनकी सक्सेस स्टोरी जानकार तो आपकी भी आंखें खुली रह जाएंगे.

बच्चों के लिए बेबी केरियर प्रोडक्ट (Baby Carrier Product) खोजते-खोजते इस कपल ने खुद ही ऐसा प्रोडक्ट बना डाला जिन्होंने आज उन्हें नाम, पैसा और कामयाबी दी. आइए जानते हैं, आकाश और रुचि की सफलता की कहानी...

इंफेंट के लिए बहुत कुछ, लेकिन टोडलर के लिए नहीं
दो बच्चे के पेरेंट्स आकाश और रुचि को बेबी केरियर ढूंढने में परेशानी हुई. अब यह किसे पता था कि उनकी जिंदगी के लिए बेबी प्रोडक्ट पर यह रिसर्च ही टर्निंग पॉइंट साबित होगी. इस छानबीन के बाद उन्होंने खुद ही बेबी सीट बना डाला. इसका यूज किया उसके बाद दूसरों तक भी इसे पहुंचाने का जिम्मा लिया. इसके प्रोडक्शन में लगभग चार लाख रुपये का इनवेस्टमेंट किया, जो साल भर भी में ही यह सूद समेत वसूल भी हो गया. इनकी पहले साल की ही बिक्री 4.25 करोड़ रुपये रही थी. 

ये है इस खोज के पीछे की असल कहानी 
आकाश और रुचि की दो बेटियां हैं, जिनमें महज डेढ़ साल का ही अंतर है. शुरु में तो इंफेंट बेबी केरियर से काम चल गया, लेकिन जब बच्चे बड़े हुए तो वे टोडलर या साल भर से बड़े बच्चों के लिए बेबी केरियर प्रोडक्ट ढूंढने लगे, उन्हें निराशा हाथ लगी. क्योंकि भारतीय बाजार में ऐसा कोई प्रोडक्ट था ही नहीं. फिर करीब पौने दो साल की रिसर्च के बाद अक्टूबर 2021 में उन्होंने बट बेटी सीट बना डाली. 

पहले साल में आंकड़ा चार करोड़ रुपये के पार
जैन दंपती ने इसे अपनी वेबसाइट बना कर बेचना शुरु किया, जिसे खूब रिस्पांस मिला. जब बिक्री बढ़ी तो इसके ज्यादा प्रोडक्शन के लिए कोलकाता में ही एक फैक्ट्री किराए पर ली. प्रोडक्शन बढ़ा तो इसे ई-कामर्स वेबसाइट के जरिए भी बेचने लगे और ऑफ लाइन भी मार्केट में उतर गए. अब वे हर महीने में 40-45 लाख रुपये तक के प्रोडक्ट आराम से बेच लेते हैं.

छोड़ना पड़ा खानदानी काम 
कोलकाता में आकाश जैन का खानदानी काम जेवर बनाने और बेचने का है. बी कॉम की पढ़ाई के बाद वे भी इसी काम में लग गए.साल 2015 में पुणे की रुचि से शादी हुई, जो उस समय आईटी प्रोफेशनल के तौर पर एक फ्रेंच कंपनी में जॉब कर रही थी. शादी के बाद जॉब छोड़कर ससुराल आ गई. इस बीच उनके पुश्तैनी कारोबार में गिरावट आ गई, जिससे वे भारी कर्ज में डूब गए.

उसी समय डेढ़ साल के अंतराल में दो बच्चे हो गए. इन सबके बाद भी उन्होंने बेटी सीट के बारे में सोचा और उपाय के रूप में अपनी हर परेशानी का समाधान खोज निकाला. आकाश जैन अब इस कारोबार को विदेशों में भी फैलाना चाहते हैं. उनका दावा है कि यह प्रोडक्ट यूनिक है, जो अमेरिका को छोड़ दें तो यह कहीं मिलता भी नहीं है.

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