Swiggy IPO Price Band: सैमको सिक्योरिटीज ने कहा कि वित्त वर्ष 24 में स्विगी ने घाटा दर्ज किया था. हाल ही में मुनाफे में आई इसकी मुख्य प्रतिद्वंदी कंपनी जोमैटो के मुकाबले स्विगी की मौजूदा वित्तीय स्थिति, बाजार में प्रतिस्पर्धा और वैल्यूएशन को देखते हुए आईपीओ ओवर-वैल्यूड लग रहा है.
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Swiggy IPO Date: फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी (Swiggy) का आईपीओ 6 नवंबर यानी कल से खुल रहा है. अगर आपका भी इस आईपीओं में निवेश करने का मन है तो यह खबर आपके लिए है. इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स और कई ब्रोकरेज फर्म की तरफ से निवेशकों को फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी के आईपीओ (Swiggy IPO) में पैसा नहीं लगाने की सलाह दी गई है. साथ ही यह भी कहा गया है कि कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन और ग्रोथ आउटलुक में सुधार होने तक निवेशकों को इंतजार करना चाहिए. स्विगी का आईपीओ 6 नवंबर से रिटेल निवेशकों के लिए खुल रहा है.
11327.43 करोड़ रुपये जुटाने का प्लान
स्विगी की योजना पब्लिक इश्यू के जरिये 11,327.43 करोड़ रुपये जुटाने की है. स्विगी आईपीओ (Swiggy IPO) में 4,499 करोड़ रुपये मूल्य के 11.54 करोड़ इक्विटी शेयरों का फ्रेश इश्यू और 6,828.43 करोड़ रुपये मूल्य के 17.51 करोड़ शेयरों का ऑफर-फॉर- सेल (OFS) शामिल है. सैमको सिक्योरिटीज ने निवेशकों को एक नोट में कहा कि जब तक स्विगी बेहतर वित्तीय परिणाम और स्थायी विकास के लिए एक स्पष्ट रास्ता नहीं दिखाती, तब तक इंतजार करना निवेशकों के लिए ज्यादा समझदारी वाला फैसला होगा. कंपनी की तरफ से 371 से 390 रुपये के बीच प्राइस बैंड तय किया गया है.
वित्त वर्ष 2024 में स्विगी ने घाटा दर्ज किया
सैमको सिक्योरिटीज ने कहा कि वित्त वर्ष 24 में स्विगी ने घाटा दर्ज किया था. हाल ही में मुनाफे में आई इसकी मुख्य प्रतिद्वंदी कंपनी जोमैटो के मुकाबले स्विगी की मौजूदा वित्तीय स्थिति, बाजार में प्रतिस्पर्धा और वैल्यूएशन को देखते हुए आईपीओ ओवर-वैल्यूड लग रहा है. स्विगी ने पिछले वित्त वर्ष में 2,350 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया था. हालांकि, यह वित्त वर्ष 23 में हुए 4,179 करोड़ रुपये के घाटे से 44 प्रतिशत कम था. वित्त वर्ष 2024 में कंपनी की आय 36 फीसदी बढ़कर 11,247 करोड़ रुपये हो गई है, जो कि इससे पिछले साल 8,265 करोड़ रुपये थी.
पिछले 10 साल से कंपनी को लगातार घाटा
ब्रोकरेज फर्मों के अनुसार, 2014 में अपनी स्थापना के बाद से ही स्विगी लगातार घाटा दर्ज कर रही है. इसकी वजह उच्च ऑपरेशनल लागत का होना है. बजाज ब्रोकिंग ने अपने नोट में कहा कि स्विगी के बिजनेस में बड़ी रिस्क जोमैटो, जेप्टो और बाजार में आ रही नई कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा होना है. ब्रोकिंग फर्म ने आगे कहा कि स्विगी के साथ सबसे बड़ा रिस्क यह है कि कंपनी आमदनी के लिए केवल भारत के शीर्ष 50 शहरों पर निर्भर है. खाद्य वितरण नियमों में बदलाव के कारण स्विगी को संभावित चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में निवेशकों को केवल लंबी अवधि का नजरिया रखते हुए निवेश करना चाहिए. (इनपुट-IANS)
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