अब फटाफट निपट जाएंगी शेयर बाजार से जुड़ी शिकायतें, सेबी उठाने जा रहा है ये कदम
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अब फटाफट निपट जाएंगी शेयर बाजार से जुड़ी शिकायतें, सेबी उठाने जा रहा है ये कदम

अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करते हैं या ट्रेडिंग करते हैं, और आपको शेयर मार्केट के कामकाज को लेकर किसी तरह की शिकायत है तो उसका समाधान अब बेहद जल्द और घर बैठे हो सकेगा.

अब फटाफट निपट जाएंगी शेयर बाजार से जुड़ी शिकायतें, सेबी उठाने जा रहा है ये कदम

नई दिल्ली: अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करते हैं या ट्रेडिंग करते हैं, और आपको शेयर मार्केट के कामकाज को लेकर किसी तरह की शिकायत है तो उसका समाधान अब बेहद जल्द और घर बैठे हो सकेगा. मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने निवेशकों की बढ़ती शिकायतों को देखते हुए अलग से एक एजेंसी का गठन करने का फैसला किया है. जो सेबी को मिली रही निवेशकों की शिकायतों के रिकॉर्ड्स को मेनटेन करेगी. 

  1. अब फटाफट निपट जाएंगी शेयर बाजार से जुड़ी शिकायतें
  2. निवेशकों की शिकायतों के लिए सेबी नई एजेंसी बनाएगा
  3. नई एजेंसी के लिए सेबी ने एप्लीकेशंस मंगवाईं 

क्या होगा सेबी की नई एजेंसी का काम 
1. नई एजेंसी फिजिकल या इलेक्ट्रॉनिक तरीके से मिलने वाली निवेशकों की शिकायतों को इकट्ठा करेगी और उसे कैटेगराइज करेगी. 
2. एजेंसी निवेशकों की शिकायतों के स्टेटस को ऑनलाइन ट्रैक करेगी और उसका फॉलो अप भी लेगी, जिससे शिकायतों का निपटारा जल्दी हो सके
3. एजेंसी शिकायतों को लेकर Action Taken Reports (ATRs) भी तैयार करेगी, यानि अबतक क्या कार्रवाई की गई 
4. शिकायतों का स्टेटस एजेंसी सेबी के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म SCORES पर अपडेट करेगी, ये सेबी का सेंट्रलाइज्ड Complaints Redress System है.
5. एजेंसी शिकायतों को कंपनियों को डिस्पैच भी करेगी साथ ही निवेशकों को एकनॉलेजेंट लेटर्स (acknowledgment letters) भी भेजेगी 

सेबी ने इस काम के लिए एजेंसियों से एप्लीकेशन मंगवाए हैं. इसके लिए सेबी ने कंपनी की योग्ताओं की लिस्ट भी बताई है. 

एजेंसी के लिए योग्यता 
1.
एजेंसी के पास दो साल तक शिकायतों और ATRs को स्टोर करने की सुविधा होनी चाहिए
2. निवेशकों को जागरुक और शिक्षित करने का काम भी कंपनी को आना चाहिए
3. कंपनी को निवेशकों की शिकायतों के निपटारे का भी अनुभव होना चाहिए  
4. एजेंसी को रजिस्ट्रार या ट्रांसफर से जुड़े काम, डिपॉजिटरी सेवाओं का भी काम आना चाहिए 
5. एजेंसी ने PSU यानि सरकारी कंपनी में पहले ऐसी सेवाएं दी हों, सरकारी बैंकों या वित्तीय संस्थानों या लिस्टेड कंपनी में काम करने का अनुभव होना चाहिए
6. कॉन्ट्रैक्टर का पिछले तीन सालों के दौरान सालाना औसत टर्नओवर कम से कम 55 लाख रुपये होना चाहिए 
7. बीते पांच सालों के दौरान लगातार दो सालों तक किसी तरह का घाटा नहीं उठाया हो
8. ऐसी एजेंसियां 5 अक्टूबर तक एप्लीकेशंस दे सकती है. 

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