खजाने को झूमने के लिए चाहिए शराब...राज्यों की दलील, इंडस्ट्रियल अल्कोहल के हक पर SC में सुनवाई
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खजाने को झूमने के लिए चाहिए शराब...राज्यों की दलील, इंडस्ट्रियल अल्कोहल के हक पर SC में सुनवाई

अल्‍कोहल से सरकार को राजस्व का बड़ा ह‍िस्‍सा म‍िलता है. एक जज ने सुनवाई के दौरान कहा 'नशीली ड्र‍िंक से लोगों को आनंद म‍िलता है या नहीं, इससे राज्य को राजस्‍व के तौर पर खुशी जरूर मिलनी चाहिए.'

खजाने को झूमने के लिए चाहिए शराब...राज्यों की दलील, इंडस्ट्रियल अल्कोहल के हक पर SC में सुनवाई

Hearing over Industrial Alcohol: सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की पीठ इन द‍िनों एक पेचीदा सवाल पर सुनवाई कर रही है. सवाल है क‍ि क्‍या 'इंडस्‍ट्र‍ियल अल्‍कोहल' 'नशीली शराब' की तरह है या इससे अलग है? शराब के शौकीनों के बीच यह एक मजेदार चर्चा हो सकती है. उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष रखते हुए एडवोकेट दिनेश द्विवेदी ने शीर्ष अदालत ने कहा कि अल्‍कोहल युक्त सभी तरल पदार्थ नशीली शराब की कैटेगरी में आते हैं. सातवीं अनुसूची की प्रव‍िष्‍ट‍ि 8 के अंतर्गत राज्यों को शीरे से बनने वाले सभी प्रकार की स्पिरिट को कंट्रोल और रेग्‍युलेट करने का अध‍िकार म‍िलता है.

अल्‍कोहल से सरकार को म‍िलता है राजस्व का बड़ा ह‍िस्‍सा

मामले की गंभीरता इसल‍िए ज्‍यादा है क्‍योंक‍ि अल्‍कोहल से सरकार को राजस्व का बड़ा ह‍िस्‍सा म‍िलता है. एक जज ने सुनवाई के दौरान कहा 'नशीली ड्र‍िंक से लोगों को खुशी म‍िलती है या नहीं, इससे राज्य को राजस्‍व के तौर पर खुशी जरूर मिलनी चाहिए.' प‍िछले द‍िनों उच्‍चतम न्यायालय ने केंद्र और राज्‍य के बीच खन‍िज भूम‍ि पर टैक्‍स को लेकर चल रहे व‍िवाद पर फैसला सुरक्ष‍ित रख ल‍िया है. सुनवाई के दौरान कार्यवाही को खुशनुमा बनाए रखने के लिए पीठ के सदस्य सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, एएस ओका, बीवी नागरत्‍ना, जेबी पारदीवाला, मनोज मिश्रा, सतीश चंद्र शर्मा और ऑगस्टीन मासी ने हल्‍के-फुल्‍के अंदाज में बातें कीं.

पीठ के जजों ने हल्‍के-फुल्‍के अंदाज में की बातचीत
इतना ही नहीं एक जज ने निष्पक्ष फैसला करने के लिए शराब के बारे में अनभिज्ञता जाह‍िर करने का दिखावा क‍िया. एक दूसरे जज ने द्विवेदी को व्हिस्की लवर बताते हुए कहा क‍ि वो बताएंगे कैसे कुछ शराब के स्वाद को बेहतर बनाने के लिए लंबे समय तक रखने की जरूरत होती है, जबकि कुछ को नहीं. कुछ हल्के रंग की होती हैं जबकि कुछ गहरे रंग की होती हैं' इस पर सभी ठहाका लगाकर हंसने लगे. आपको बता दें राज्‍यों को सूची-2 की प्रविष्टि-8 के तहत 'नशीले पेय पदार्थों के प्रोडक्‍शन, मैन्‍युफैक्‍चर‍िंग, भंडारण, ट्रांसपोर्ट, खरीद और बिक्री' को कंट्रोल और रेग्‍युलेट करने का अधिकार दिया गया है.

मामले को लेकर 1997 में सात-न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला सुनाया था कि केंद्र सरकार के पास इंडस्‍ट्र‍ियल अल्‍कोहल के प्रोडक्शन को रेग्‍युलेट करने की शक्ति होगी. बाद में 2010 में मामले को नौ जजों की पीठ के पास भेज द‍िया गया. अब सवाल यही है क‍ि क्‍या इंडस्‍ट्र‍ियल अल्‍कोहल को नशीला पेय पदार्थ माना जा सकता है? यह विवाद इंडस्‍ट्र‍ियल एक्‍ट (डेवलपमेंट एंड रेग्‍युलेशन) 1951 और 2016 के संशोधन से पैदा हुआ है. यह केंद्र सरकार को इंडस्‍ट्र‍ियल अल्‍कोहल की प्रोड्यूस, सप्‍लाई, ड‍िस्‍ट्रीब्‍यूट और ट्रेड करने में लगे उद्योगों को रेग्‍युलेट करने का अधिकार देता है. अनुसूची-I की प्रविष्टि 52 के तहत संसद सार्वजनिक हित में क‍िसी भी उद्योग को रेग्‍युलेट करने के लिए कानून बना सकती है.

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