Supreme Court On New Privacy Policy: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'लोगों की निजता की रक्षा करना न्यायपालिका का कर्तव्य है.' गौरतलब है कि Whatts App पर यूरोप के यूजर्स (Europe) की तुलना में भारतीय यूजर्स (Indian Users) की अनदेखी का आरोप लगा है.
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नई दिल्ली: नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को व्हाट्सएप (WhatsApp) पर सख्त टिप्पणी की है. सर्वोच्च अदालत ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा, 'आप दो या तीन हजार अरब डॉलर की कंपनी हो सकते हैं लेकिन लोगों की प्राइवेसी ज्यादा कीमती है.' कोर्ट ने WhatsApp की मूल कंपनी फेसबुक (Facebook) और अन्य के साथ यूजर्स का डाटा साझा करने की उसकी नीति को चुनौती देने वाली नयी याचिका पर कंपनी से जवाब मांगा है.
कोर्ट ने कहा, 'लोगों की निजता की रक्षा करना न्यायपालिका का कर्तव्य है.' इसी के साथ Whatts App पर यूरोप के यूजर्स (European Users) की तुलना में भारतीय नागरिकों के लिए निजता के मानकों का स्तर कम रखने को लेकर दायर याचिका पर कोर्ट ने केंद्र और मैसेजिंग सेवा कंपनी को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब मांगा है.
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WhatsApp ने हालांकि सर्वोच्च अदालत से कहा कि यूरोप में एक विशेष कानून (सामान्य डेटा संरक्षण कानून) है और अगर ऐसा कोई कानून संसद द्वारा पारित किया जाता है तो वह इसका पालन करेगा. प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एस ए बोबडे (CJI S A Bobde) की अगुवाई वाली पीठ ने Whatts App से कहा, 'लोगों के मन में डर है कि वो अपनी निजता खो देंगे. उन्हें लगता है कि उनका डेटा एवं संवाद अन्य के साथ साझा किया जा रहा है.' केस की सुनवाई कर रही इस बेंच में जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस रामासुब्रमणियन भी हैं.
मामले में केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट में पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने कहा, 'यह देश के लिए चिंता का विषय है. कंपनी को यूजर्स की जानकारी किसी के साथ साझा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. उन्हें देश के कानून का पालन करना ही होगा.'
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WhatsApp की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) ने दलील दी कि नयी निजता नीति में कोई भेदभाव नहीं है. सिब्बल ने कहा, 'भारत में लागू की जाने वाली निजता संबंधी नीति यूरोप को छोड़कर पूरी दुनिया में एक समान है.
प्राइवेसी को लेकर यूं चली लंबी लड़ाई
दरअसल करमान्या सिंह सरीन के अंतरिम आवेदन पर सरकार और फेसबुक के स्वामित्व वाली कंपनी WhatsApp को नोटिस जारी किया गया है. यह नोटिस 2017 की लंबित एक याचिका में दायर अंतरिम आवेदन पर जारी किया गया है. याचिका अब संविधान पीठ को सौंपी गयी है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील श्याम दीवान ने कहा, ' मैसेजिंग कंपनी भारतीयों के लिए निजता के हल्के मानक लागू कर रही है. उसे Facebook के साथ डेटा साझा करने से रोकना जाना चाहिए.
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नई पॉलिसी 15 मई से अस्तित्व में आएगी. बेंच ने कहा, 'हम मिस्टर दीवान की दलील से प्रभावित हैं. हमारे समक्ष डेटा संरक्षण कानून लागू किए जाने की बात सामने आई है.' कोर्ट ने कंपनी के वकील सिब्बल से कहा, 'अब इस नीति के तहत आप भारतीयों का डेटा साझा करेंगे,' शीर्ष अदालत ने 2017 में WhatsApp की निजता नीति का मामला संवैधानिक पीठ को भेजा गया था. तब ये कहा था कि यह निजता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के बड़े मुद्दे से संबंधित है.
(इनपुट भाषा से)
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