SEBI Settlement Cycle: दरअसल मार्केट रेगुलेटर सेबी के पास ऐसे तमाम निवेदन आ रहे थे जिसमें सेटलमेंट साइकिल को घटाने की मांग की जा रही थी. सेबी ने इन निवेदनों को ध्यान में रखते हुए नया नियम तैयार किया है.
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नई दिल्ली: SEBI Settlement Cycle: शेयर बाजार में निवेश करने वाले जरा ध्यान दें. मार्केट रेगुलेटर सेबी ने शेयरों की खरीद-बिक्री का निपटान करने को लेकर वैकल्पिक आधार पर ‘टी +1’ (ट्रेड और अगला दिन) की नई व्यवस्था पेश की है. इसका मकसद बाजार में खरीद-फरोख्त बढ़ाना है. फिलहाल घरेलू शेयर बाजारों में सौदों को पूरा होने में कारोबार वाले दिन के बाद दो कारोबारी दिवस (टी +2) लगते हैं.
सेबी की ओर से जारी सर्कुलर के मुताबिक रेगुलेटर ने शेयर खरीद-बिक्री प्रक्रिया को पूरा करने के लिये निपटान में लगने वाले समय को लेकर ‘T +1’ या ‘T +2’ का विकल्प देकर शेयर बाजारों को लचीलापन उपलब्ध कराया है. यह सेटलमेंट प्लान शेयरों के लिए है और ऑप्शनल है, मतलब अगर ट्रेडर्स चाहें तो इसे चुन सकते हैं. नया नियम 1 जनवरी 2022 से लागू होगा.
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दरअसल मार्केट रेगुलेटर सेबी के पास ऐसे तमाम निवेदन आ रहे थे जिसमें सेटलमेंट साइकिल को घटाने की मांग की जा रही थी. सेबी ने इन निवेदनों को ध्यान में रखते हुए नया नियम तैयार किया है. सेबी ने एक सर्कुलर जारी करके बताया है कि मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस मसलन स्टॉक एक्सचेंज, क्लीयरिंग कॉरपोरेशन और डिपॉजिटर्स के साथ बातचीत के बाद यह फैसला लिया गया है कि स्टॉक एक्सचेंज के पास यह सुविधा होगी कि वह T+1 या T+2 सेटलमेंट साइकिल में से कोई भी ऑफर करें.
सेबी के सर्कुलर के मुताबिक, कोई भी स्टॉक एक्सचेंज सभी शेयरधारकों के लिए किसी भी शेयर के लिए T+1 सेटलमेंट साइकिल चुन सकता है. हालांकि सेटलमेंट साइकिल बदलने के लिए कम से कम एक महीना पहले नोटिस देना होगा. स्टॉक एक्सचेंज किसी भी शेयर के लिए अगर एकबार T+1 सेटलमेंट साइकल चुन लेगा उसे कम से कम 6 महीने तक जारी रखना होगा. अगर स्टॉक एक्सचेंज बीच में T+2 सेटलमेंट साइकिल चुनना चाहता है तो उसे एक महीना पहले नोटिस देना होगा. शेयर बाजार को अपनी वेबसाइट पर इसका प्रचार-प्रसार करने की जरूरत होगी.
हालांकि सेबी ने यह साफ कर दिया है कि T+1 और T+2 में कोई फर्क नहीं किया जाएगा। यह स्टॉक एक्सचेंज पर होने वाले सभी तरह के ट्रांजैक्शन पर लागू होगा. फिलहाल देश में अप्रैल 2003 से T+2 सेटलमेंट साइकिल है. उससे पहले T+3 सेटलमेंट साइकिल चल रहा था. अब T+1 साइकिल लागू होने वाला है.
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