तेलंगाना चुनाव: उल्लू के सहारे विरोधी के गुडलक को बैडलक में बदल रहे 'नेताजी'
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तेलंगाना चुनाव: उल्लू के सहारे विरोधी के गुडलक को बैडलक में बदल रहे 'नेताजी'

तेलंगाना की सीमा से सटे कर्नाटक के कलबुर्गी जिले में हाल ही में पुलिस ने सेदाम तालुके से 6 लोगों को गिरफ्तार किया है.

तस्कर प्रत्येक उल्लू को तीन लाख से चार लाख रुपये में बेचने की योजना बना रहे थे..(प्रतीकात्मक फोटो)

नई दिल्ली: अपने विरोधी को हराने के लिए नेता क्या-क्या नहीं करते. पर क्या आपने कभी सुना है कि चुनाव में विरोधी को मात देने के लिए उल्लू का इस्तेमाल किया गया है. तेलंगाना विधानसभा चुनाव में कर्नाटक से उल्लुओं की तस्करी का चौंकाने वाला मामला सामने आया है. 
  
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक, तेलंगाना की सीमा से सटे कर्नाटक के कलबुर्गी जिले में हाल ही में पुलिस ने सेदाम तालुके से 6 लोगों को गिरफ्तार किया. पूछताछ में आरोपियों ने उल्लुओं की तस्करी की बात स्वीकारी जिसे सुनकर पुलिसकर्मी भी हैरान रह गए. तस्करों ने बताया कि पड़ोसी राज्य तेलंगाना में चुनाव लड़ रहे नेताओं ने उल्लुओं को पकड़ने का ऑर्डर दिया है. मकसद का खुलासा करते हुए तस्करों ने बताया कि इसकी मदद से वे अपने विरोधी के गुडलक को बैडलक में बदलना चाहते हैं. तेलंगाना में सात दिसंबर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है.

दरअसल, भारत में उल्लू को अशुभ माना जाता है. समझा जाता है कि यह बुरी किस्मत लेकर आता है. लोग कहते हैं जिस घर में उल्लू घुस जाता है, उनका खराब समय शुरू हो जाता है. इनका इस्तेमाल काले जादू के लिए भी किया जाता है. इसके उलट, इंग्लैंड और दूसरे देशों में वे (रात में जागने वाले पक्षी) को बुद्धिमत्ता के प्रतीक माना जाता है. इसी मान्यता के चलते उल्लुओं की तस्करी राजनेता करवा रहे हैं.  

प्रत्येक उल्लू की कीमत तीन से चार लाख
वन विभाग के सूत्रों का कहना है कि तस्कर प्रत्येक उल्लू को तीन लाख से चार लाख रुपये में बेचने की योजना बना रहे थे. एक अधिकारी ने बताया, 'इंडियन ईगल आउल को कन्नड़ में कोम्बिना गूबे कहा जाता है.' उन्होंने बताया, 'उल्लू से जुड़ा एक अंधविश्वास यह भी है कि इससे लोगों को अपने वश में किया जा सकता है क्योंकि इन पक्षियों के पास बड़ी-बड़ी आंखें होती हैं, जो झपकती नहीं हैं.' रिपोर्ट के मुताबिक कई बार उल्लुओं को काला जादू करने के लिए मार भी दिया जाता है और शरीर के अंग जैसे पैर, पंख, आंखे, सिर प्रतिद्वंदियों के घर के सामने फेंक दिए जाते हैं. ऐसे अंधविश्वास के चक्कर न जाने इन बेजुबान जानवरों पर सितम ढाया जाता है. 

कर्नाटक में उल्लू तस्करी का बड़ा नेटवर्क? 
यह पहला मामला नहीं है. बेंगलुरु से तीन, मैसूर से तीन और बेलागवी से दो ऐसे ही मामले पहले भी सामने आ चुके हैं. कर्नाटक के पक्षी प्रेमियों का मानना कि तेलंगाना विधानसभा चुनाव की वजह से कई उल्लू खतरे में हैं. कालबुर्गी सब-डिविजन में असिस्टेंट कन्जर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट्स आरआर यादव बताते हैं कि ऐसा लगता है कि कर्नाटक में उल्लू व्यापार का एक बड़ा नेटवर्क चलता है. 

यादव का कहना है, "हमें पता चला कि कर्नाटक के जमाखंडी, बागलकोट जिलों से उल्लुओं को लाया गया और उन्हें सेदाम में एक मध्यस्थ के जरिये हैदराबाद भेजा जा रहा था. प्रत्येक का वजन तकरीबन 5 किलोग्राम था. ये उल्लू अक्सर पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाते हैं." 

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