Fake SMS news: फर्जी SMS और कॉल्स को रोकने के लिए की गईं अबतक की कोशिशें सफल नहीं हुई हैं. TRAI ने अब कंपनियों से कहा है कि वो खुद ही एक ऐसा सिस्टम तैयार करें जिससे ऐसे फर्जी SMS पर लगाम लगाई जा सके.
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नई दिल्ली: Fake SMS: क्या आपको भी इस हफ्ते सोमवार और मंगलवार को SMS मिलने में दिक्कत हुई. जैसे आपने कोई बैंकिंग ट्रांजैक्शन कर रहे थे और उसका OTP नहीं आया. तो जान लीजिए कि ऐसा हुआ क्यों. दरअसल लोगों को अनचाही कॉल्स और SMS से निजात दिलाने के लिए टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी TRAI ने एक फ्रेमवर्क तैयार किया है, जिस पर सभी कंपनियों को रजिस्टर करना था जो SMS के जरिए अपनी सेवाएं देती हैं और SMS उनके बिजनेस का हिस्सा है, इन्हें प्रिंसिपल एंटीटीज (PEs) कहा जाता है.
TRAI की ओर से जारी प्रेस रिलीज में बताया गया है कि Unsolicited Commercial Communication (UCC) या आसान भाषा में कहें तो अनचाही कॉल्स और SMS, लोगों की परेशानी का बड़ा कारण है, जो लोगों की निजता में दखल भी देता है. इस पर लगाम लगाने के लिए TRAI ने 19 जुलाई 2018 को टेलीकॉम कमर्शियल कम्यूनिकेशंस कस्टमर प्रेफरेंस रेगुलेशन 2018 (TCCCPR 2018) का जारी किया. ये रेगुलेशन 28 फरवरी 2019 को पूरी तरह से लागू किया गया.
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इस रेगुलेशन में टेलीमार्केटर्स, हेडर्स, कंटेंट टेम्पलेट्स और सेंडर्स वगैरह का रजिस्ट्रेशन करना था. इसके बाद TCCCPR 2018 के तहत एक निर्देश सभी टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स को 20 जनवरी 2020 को जारी किया गया. जिसमें सभी सेंडर्स को यानी PEs को एक साथ लेकर आना था. इसके लिए टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स को समय समय पर इन कंपनियों को कंटेंट टेम्प्लेट और दूसरे प्रावधानों के बारे में आगाह करते रहना था और जानकारी देनी थी.
TRAI के मुताबिक ऐसा देखा गया कि कुछ प्रिंसिपल एंटीटीज ने TCCCPR 2018 में बताए गई जरूरतों को पूरा नहीं किया. जिसका नतीजा ये हुआ कि जब टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स ने SMS स्क्रबिंग (SMS फिल्टरिंग) को लागू किया तो SMS ड्ऱॉप होने लगे, यानी उपभोक्ताओं तक SMS पहुंचे ही नहीं. TRAI का कहना है कि कंज्यूमर्स के हितों का ध्यान रखते हुए SMS की स्क्रबिंग को 7 दिनों के लिए टाला जाता है, इस दौरान प्रिंसिपल एंटीटीज को SMS टेम्पलेट पर रजिस्टर करना होगा, ताकि उपभोक्ताओं को आगे कोई दिक्कत पेश न आए.
अब समझने की जरूरत है कि ये सारी कवायद क्यों की जा रही है. तमाम कोशिशों के बावजूद अबतक उपभोक्ताओं को SMS और अनचाही फोन कॉल से कोई निजात नहीं मिली है. उल्टा फर्जी SMS के जरिए उपभोक्ताओं के साथ जालसाजी में इजाफा ही हुआ है. कई बार उपभोक्ताओं के पास ऐसे SMS आते हैं, जिनका कोड बिल्कुल किसी असली कंपनी या बैंक के जैसा होता है. जिसकी वजह से उपभोक्ता भ्रम का शिकार हो जाता है. उस SMS में कोई लिंक दिया होता है, जिस पर क्लिक करते ही उपभोक्ता का बैंक खाता साफ हो जाता है.
TRAI ने सभी कंपनियों से कहा है कि वो ऐसे SMS को रोकने के लिए खुद एक मैकेनिज्म तैयार करें, ताकि उपभोक्ताओं को फर्जीवाड़े से बचाया जा सके. लेकिन समस्या ये है कि इन कंपनियों ने ऐसा करने में अपनी लाचारी जता दी है. कंपनियों का कहना है कि ऐसे फर्जी SMS को पकड़ने का उनके पास कोई सिस्टम नहीं है, ये काम तो टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स का है, इधर टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स ने भी ऐसा करने में अपनी असमर्थता जता दी है.
यानी ये मामला अब लटकता दिख रहा है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो हफ्ते भर बाद जब एक बार फिर SMS स्क्रबिंग होगी तो लोगों को SMS सर्विस में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. जिससे उनके कुछ जरूरी काम जो बैंकिंग, रेलवे बुकिंग से जुड़े होंगे, उन पर असर पड़ सकता है.
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