Mamata Banerjee: नौ करोड़ की जनसंख्या वाले पश्चिम बंगाल पर कुल मिलाकर 5.86 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है. इस लिहाज से सूबे के हर व्यक्ति पर औसतन 60,000 रुपये का कर्ज है.
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Chandrima Bhattacharya: हर राज्य सरकार की तरफ से इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास समेत तमाम कामों के लिए हजारों करोड़ का कर्ज लिया जाता है. इसमें केंद्र सरकार के अलावा वर्ल्ड बैंक या अन्य किसी संस्थान से लिया हुआ कर्ज भी शामिल होता है. लेकिन तब क्या हो जब किसी सरकार की तरफ से लिए गए कर्ज में हर व्यक्ति डूब जाए. जी हां, हम बात कर रहे हैं पश्चिम बंगाल सरकार की. नौ करोड़ की जनसंख्या वाले पश्चिम बंगाल पर कुल मिलाकर 5.86 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है. इस लिहाज से सूबे के हर व्यक्ति पर औसतन 60,000 रुपये का कर्ज है.
79000 करोड़ कर्ज जुटाने का प्रस्ताव किया गया
राज्य विधानसभा में पेश किए गए वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में बाजार से 79,000 करोड़ रुपये का कर्ज जुटाने का प्रस्ताव किया गया है. यह 2022-23 के 75,000 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से कुछ अधिक है. सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस साल 2011 में जब सत्ता में आई थी तब राज्य पर 1.97 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था. यानी ममतर बनर्जी के कार्यकाल में सरकार के ऊपर 4 लाख करोड़ से भी ज्यादा का कर्ज बढ़ गया है, जो कि चौंकाने वाले आंकड़े हैं.
पुरानी पेंशन योजना लागू करने का ऐलान
अर्थशास्त्री अजिताभ रे चौधरी ने ज्यादर कर्ज बोझ पर चिंता जताते हुए कहा कि यदि इतने ऊंचे कर्ज के साथ संपत्ति का भी सृजन हो तो भावी पीढ़ी पर कर्ज का बोझ कम पड़ेगा. आपको बता दें इस समय कुछ राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने का ऐलान कर दिया है. कई राज्य सरकारों की तरफ से किए गए इस ऐलान के बाद आरबीआई और केंद्र सरकार की तरफ से लगातार चेताया जा रहा है.
आरबीआई की तरफ से कहा गया कि पहले ही राज्यों पर लाखों करोड़ का कर्ज है. ऐसे में पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का निर्णय गलत है. इससे आने वाले समय में भावी पीढ़ी कर्ज के बोझ में दब जाएगी. (Input: PTI)
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