Narayana Murty Net Worth: सुधा मूर्ति आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. उनके पति नारायण मूर्ति देश और दुनिया के लिए मिसाल बन गए हैं. उन्होंने साबित कर दिया है कि कामयाबी की जिद को किस तरह हकीकत में बदला जाता है.
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Sudha Murty Networth: दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनी इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति (Sudha Murty) को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है. भारत के राष्ट्रपति की तरफ से मनोनीत किये जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुधा मूर्ति को बधाई दी. पीएम मोदी ने अपनी एक्स पोस्ट में लिखा 'यह नारी शक्ति का शक्तिशाली प्रमाण है. मुझे खुशी है कि भारत के राष्ट्रपति ने सुधा मूर्ति जी का राज्यसभा के लिए नामांकन किया है. सामाजिक कार्य, परोपकार और शिक्षा समेत अलग-अलग क्षेत्रों में उनका योगदान अतुलनीय और प्रेरणादायक रहा है. राज्यसभा में उनकी उपस्थिति हमारी 'नारी शक्ति' का शक्तिशाली प्रमाण है, जो हमारे देश की नियति को आकार देने में महिलाओं की ताकत और क्षमता का उदाहरण है. मैं उनके सफल संसदीय कार्यकाल की कामना करता हूं.'
महिला दिवस के मौके पर बड़ा गिफ्ट बताया
राज्यसभा के लिए मनोनीत होने पर मशहूर लेखिका सुधा मूर्ति (Sudha Murty) ने खुशी जाहिर की. उन्होंने कहा फिलहाल वे भारत में नहीं हैं, यह उनके लिए महिला दिवस के मौके पर बड़ा गिफ्ट है. देश के लिए काम करने की जिम्मेदारी मिली है. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का शुक्रिया अदा किया. सुधा मूर्ति आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. उनके पति देश और दुनिया के लिए मिसाल बन गए हैं. उनके पति नारायण मूर्ति ने साबित कर दिया है कि कामयाबी की जिद को किस तरह हकीकत में बदला जाता है. कभी उधार के 10000 रुपये से कारोबार शुरू करने वाले नारायण मूर्ति की नेटवर्थ आज करीब 37,000 करोड़ रुपये की संपत्ति है.
कौन हैं सुधा मूर्ति
सुधा मूर्ति कन्नड़ और अंग्रेजी भाषा में लिखने के लिए देश और दुनिया में जानी जाती हैं. उनका उपन्यास 'डॉलर बहू' पहले कन्नड़ में लिखा गया था. बाद में इसका अंग्रेजी में अनुवाद किया गया. इसे लोगों के बीच काफी पसंद किया गया. इस उपन्यास को जी टीवी ने 2001 में एक धारावाहिक के रूप में भी दिखाया था. वह खुद की 775 करोड़ रुपये की संपत्ति होने के बावजूद साधारण जिंदगी जीती हैं. उन्होंने अब तक 150 से ज्यादा किताबें लिखी हैं. उनके पास करीब 20,000 किताबों का शानदार कलेक्शन है. दोनों पति-पत्नी किताबें पढ़ने के शौकीन हैं.
इंफोसिस का मार्केट कैप 6,71,121 करोड़
आज इंफोसिस का कारोबार दुनियाभर में फैला है. कंपनी का मार्केट कैप 6,71,121 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. लाखों लोग उनकी कंपनी में नौकरी कर रहे हैं. कुछ करने की जिद और सच्ची लगन ने नारायण मूर्ति को इस मुकाम पर पहुंचाया है. बेहद सादगी भरा जीवन जीने वाले नारायण मूर्ति ने पत्नी की मदद और मेहनत के दम पर अपनी किस्मत को बदला है. उन्होंने अपनी सपने को साकार करने और कामयाबी पाने के लिए लंबा संघर्ष किया है. लेकिन जब उन्होंने उधार के पैसे से इंफोसिस की शुरुआत की थी तो शायद ही उन्होंने सोचा होगा कि एक दिन उनकी कंपनी की गिनती दुनियाभर की टॉप कंपनियों में होगी.
सॉफ्टरोनिक्स कंपनी से नहीं मिली कामयाबी
एनआर नारायण मूर्ति और सुधा मूर्ति (Sudha Murthy) की शादी 10 फरवरी 1978 को हुई थी. शादी के समय वह नौकरी करते थे. लेकिन नौकरी करते-करते उनके मन में अपनी कंपनी शुरू करने का विचार आया और उन्होंने इसे शुरू करने की ठान ली. सबसे पहले उन्होंने जिस कंपनी को शुरू किया, उसका नाम सॉफ्टरोनिक्स (Softronix) रखा. लेकिन यहां पर उन्हें कामयाबी नहीं मिली. असफलता के बाद भी उन्होंने अपनी जिद नहीं छोड़ी और लगातार अपनी धुन में लगे रहे.
सुधा मूर्ति से उधार लिये 10000 रुपये
इसके बाद नारायण मूर्ति ने 1981 में छह साथियों के साथ एक और कंपनी शुरू करने का प्लान किया. कंपनी का नाम इंफोसिस तय हुआ. छह लोगों के बीच अपना शेयर देने के लिए उन्होंने पत्नी सुधा मूर्ति से 10000 रुपये उधार लिये. कंपनी की शुरुआत पुणे से हुई लेकिन बाद में इसे बेंगलुरू ट्रांसफर कर दिया गया. नारायण मूर्ति ने कई कार्यक्रमों में पत्नी से पैसा उधार लेने की बात बोली है. पत्नी सुधा मूर्ति ने भी कई इंटरव्यू के दौरान बिना किसी हिचक के अपनी बात रखी और बताया कि उन्होंने पति को पैसे उधार क्यों दिये थे?
मां की सीख आई काम
जब सुधा मूर्ति से एक इंटरव्यू के दौरान पूछा गया कि उस दौरान 10000 रुपये देते समय क्या आप को चिंता नहीं थी. जवाब में उन्होंने कहा था शादी के समय मुझे मां ने समझाया था कि कुछ पैसे जरूर अपने पास रखने चाहिए. उन्होंने बताया था कि मैं हर महीने अपनी और नारायण मूर्ति की सैलरी में से अलग कर देती थी. हालांकि उनके पति को इसकी जानकारी नहीं थी. इनमें मायके से मिले पैसे भी शामिल थे. इन रुपयों को वह एक बॉक्स में रखती थीं.
बिना किसी डर के जब दिये थे पैसे...
सुधा मूर्ति ने इंटरव्यू के दौरान बताया था कि बॉक्स में उस समय 10250 रुपये हो गए थे. उस समय नारायण मूर्ति ने उसने कहा, मेरा एक सपना है वो पूरा होगा या नहीं, नहीं पता लेकिन मैं इसे करना चाहता हूं. उन्होंने कहा मुझे पता था कि वह मेहनती आदमी हैं. अगर मैं उस समय उनको पैसे नहीं देती तो उन्हें जिंदगीभर इसका मलाल रहता. मैंने सोच लिया था अगर पति फेल होंगे तो फिर से नौकरी शुरू कर देंगे. इसलिए मैंने उन्हें 10000 रुपये दे दिये और 250 रुपये अपने पास रख लिये.
आज 6.7 लाख करोड़ की कंपनी
1981 से लेकर कंपनी का कारोबारी लगातार नए मुकाम को छू रहा है. इंफोसिस का कारोबार अमेरिका, इंग्लैंड समेत दुनियाभर के कई देशों में फैला है. 1981 से लेकर 2002 तक नारायण मूर्ति इंफोसिस के सीईओ रहे. 1991 में इंफोसिस अमेरिकी शेयर बाजार नैस्डैक में लिस्ट होने वाली पहली भारतीय कंपनी बनी. इंफोसिस मार्केट कैप के हिसाब से देश की शीर्ष-10 कंपनियों में शामिल है. कंपनी का मार्केट कैप 6,71,121 करोड़ रुपये है.