China Economy: 'टाइम बम' बन चुकी है चीन की इकोनॉमी, शी जिनपिंग की गलतियों से बर्बाद हुई 'दुनिया की फैक्ट्री'
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China Economy: 'टाइम बम' बन चुकी है चीन की इकोनॉमी, शी जिनपिंग की गलतियों से बर्बाद हुई 'दुनिया की फैक्ट्री'

China Economy:   चीन जो अपनी इकोनॉमी और पैसों के दम पर दुनियाभर में धमक दिखाने से बाज नहीं आता, आज उसके 40 साल का ग्रोथ मॉडल चरमरा गया है. हालात ऐसी है कि चीन के निवेशक वहां से भागने के लिए जी-जान लगा रहे हैं. चीन की अर्थव्यवस्था डूब रही है. 

   China Economy: 'टाइम बम' बन चुकी है चीन की इकोनॉमी, शी जिनपिंग की गलतियों से बर्बाद हुई 'दुनिया की फैक्ट्री'

China Economic Crisis: दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, जो कभी चमकता जहाज था, आज वो डूब रहा है. चीन जो अपनी इकोनॉमी और पैसों के दम पर दुनियाभर में धमक दिखाने से बाज नहीं आता, आज उसके 40 साल का ग्रोथ मॉडल चरमरा गया है. हालात ऐसी है कि चीन के निवेशक वहां से भागने के लिए जी-जान लगा रहे हैं. चीन की अर्थव्यवस्था डूब रही है. चीन की खस्ताहाल इकोनॉमी और टूटते शेयर बाजार ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है. चीन के बाजार में करीब 22 करोड़ लोगों ने इन्वेस्ट किया है, लेकिन पिछले तीन सालों में वहां 50% तक का गिरावट दर्ज की जा चुकी है.जिसने निवेशकों के अरबों डॉलर स्वाहा कर दिए. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइजन ने तो चीन की इकोनॉमी की तुलना टाइम बम से कर दी.     

डूब रहा चीन का जहाज  

चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर अमेरिकी वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा की चीन की इकोनॉमी स्लो ग्रोथ के युग में प्रवेश कर चुकी है.  पड़ोसियों और खासकर अमेरिका से तनाव, घटती जनसंख्या, गिरता GDP ग्रोथ और सहयोगियों से बढ़ती दूरी ने उनके व्यापार और निवेश को खतरे में डाल दिया है. वॉल स्ट्रीट के मुताबिक चीन की अर्थव्यवस्था की ये हालात शॉर्ट टर्म वाली नहीं है, बल्कि लंबे समय तक इसका असर दिखेगा.  चीन का कर्ज अब उसके लिए मुसीबत बन चुका है. साल 2022 तक चीनी सरकार के स्वामित्व लाली कंपनियों का कुल कर्ज चीन की जीडीपी का करीब 300 फीसदी हो चुका है. 

सिकुड़ती जा रही चीन की अर्थव्यवस्था 

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक चीनी निवेशक चीन के बाजार से अपना पैसा निकाल रहे हैं. चीन से पैसा निकालकर वो विदेशों में निवेश करने लगे हैं. चीन के बाजार में जारी कत्लेआम ने निवेशकों के अरबों डॉलर स्वाहा कर दिया है. जनवरी 2024 में चीन का QDII फंड 50 फीसदी बढ़ गया है. जबकि घरेलू इक्विटी म्यूचुअल फंड का निवेश 35 फीसदी गिर गया है. इसे आसान भाषा में समझें तो जनवरी 2024 में चीन से बाहर जाने वाले निवेश में 50 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई. वहीं चीन के म्यूचुअल फंड में होने वाले निवेश में 35 फीसदी की गिरावट आई है. 

चीन से पैसा निकालने लगे निवेशक

चीन के निवेशक चीनी बाजार से पैसा निकाल रहे हैं, क्योंकि उनका रिटर्न लगातार गिरता जा रहा है. चीन की करेंसी भी बुरे दौर से गुजर रही है. चीन का युआन गिर रहा है. मार्च 2023 में जहां डॉलर के मुकाबले युआन 6.9 था, वो मार्च 2024 में गिरकर 7.2 युआन हो गया. चीन के शेयर बाजार बीते 6 महीने में 2.6 फीसदी तक गिर चुके हैं.  चाइनीज ट्रेजरी बॉन्ड्स की हालात उससे भी खराब है. चीन के ट्रेजरी बॉन्ड का रिटर्न रिकॉर्ड लो लेवल पर पहुंच चुका है. चीन में जहां रिटर्न सिर्फ 2.4 फीसदी है तो वहीं अमेरिका ट्रेजरी बॉन्ड का रिटर्न  4.3 फीसदी है. ये नंबर्स निवेशकों की चिंता को बढ़ाने के लिए काफी है.  

क्यों खराब हुई चीन की हालात  

चीन की इकोनॉमी की खस्ताहालत के पीछे जानकार शी जिनपिंग की नीतियों को जिम्मेदार मानते हैं. 1978 में चीन का जीडीपी ग्रोथ 9 फीसदी था, जो साल 2023 में गिरकर 5.3 फीसदी और 2024 में सिर्फ 5 फीसदी रह चुका है. चीन की सरकार भले ही भरोसा दिला रही है कि वो वापसी करेंगे, लेकिन इंवेस्टर्स उनपर भरोसा नहीं कर रहे हैं. हालात ये है कि बीते साल चीन का FDIन्यूनतम स्तर पर पहुंच गया. बीते साल चीन का एफडीआई 33 अरब डॉलर रहा. अगर भारत से इसकी तुलना करें तो भारत ने सिर्फ 6 महीनों में 33.3 अरब डॉलर का एफडीआई हासिल किया. वहीं वियतनाम का विदेशी निवेश 36.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया.  

चीन की हालात के लिए शी जिनपिंग जिम्मेदार 

चीन की खराब हालात के कारणों की बात करें तो धीमी होती विकास दर, बढ़ती बेरोजगारी, बूढ़ी होती आबादी, घटता विदेशी निवेश, कमजोर मुद्रा, गिरता निर्यात और खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका चीन का रियल एस्टटे संकट उसकी बर्बादी के बड़े कारण है. जानकार चीन की इस हालात के लिए सी जिनपिंग की नीतियों को जिम्मेदार मानते हैं. पड़ोसियों से मनमुटाव, जीरो कोविड पॉलिसी, कारोबार में दखल  ऐसे कई फैक्टर्स हैं , जो चीन की अर्थव्यवस्था के लिए घातक साबित हो रहे हैं.   

 

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