Semiconductor Chip:छोटी सी चिप के बड़े कारनामे...सेमीकंडक्टर पर भारत का प्लान, कोरिया, चीन और ताइवान सब परेशान
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Semiconductor Chip:छोटी सी चिप के बड़े कारनामे...सेमीकंडक्टर पर भारत का प्लान, कोरिया, चीन और ताइवान सब परेशान

Semiconductor Chip:देश में सेमीकंडक्टर प्लांट के लिए ऐसा इकोसिस्टम तैयार किया कि एक साल के भीतर ही भारत को आज तीन सेमीकंडक्टर यूनिट का तोहफा मिल गया. पीएम मोदी ने तीन सेमीकंडक्टर परियोजनाओं का शिलान्यास किया. गुजरात के धोलेरा, साणंद और असम के मोरीगांव में ये प्लांट लगाए जाएंगे, लेकिन इसने चीन की बेचैनी बढ़ा दी है. 

Tata Semiconductor plant

Chip Manufacturing In India: बीते साल जब वेदांता और ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन के बीच डील टूटी तो लगा कि भारत के सेमीकंडक्टर हब बनने का सपना अधूरा रह जाएगा.  फॉक्सकॉन से करार क्या टूटा मानो भारत में सेमीकंडक्टर को लेकर लहर चल पड़ी. ​इलेक्ट्रॉनिक प्रॉडक्ट्स का 'दिल', आधुनियक दुनिया का 'ऑयल' कहलाने वाले इस छोटी सी चिप के महत्व को मोदी सरकार ने भांप लिया. देश में सेमीकंडक्टर प्लांट के लिए ऐसा इकोसिस्टम तैयार किया कि एक साल के भीतर ही भारत को आज तीन सेमीकंडक्टर यूनिट का तोहफा मिल गया. पीएम मोदी ने तीन सेमीकंडक्टर परियोजनाओं का शिलान्यास किया. गुजरात के धोलेरा, साणंद और असम के मोरीगांव में ये प्लांट लगाए जाएंगे. टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड गुजरात में अपना सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट लगाएगी. इसके साथ ही भारत सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में ग्लोबल प्लेयर बनने की रेस में शामिल हो गया है. हालांकि भारत के पड़ोसी चीन को ये खास रास नहीं आ रहा है. भारत के इस कदम से चीन का दबदबा कम होने लगा है.  

छोटे से चिप की बड़ी दुनिया

सेमीकंडक्टर चिप, इलेक्ट्रॉनिक प्रॉडक्ट्स का दिल माना जाता है.  स्मार्टफोन्स से लेकर कार, डेटा सेंटर्स, कम्प्यूटर्स, लैपटॉप, टैबलेट, स्मार्ट डेवाइसेज, इलेक्ट्रिकल व्हीक्ल्स, हाउसहोल्ड अप्लायंसेज, लाइफ सेविंग फार्मास्यूटिकल डेवाइसेज, एग्री टेक डिवाइस, एटीएम जैसे तमाम प्रोडक्ट्स में इसका इस्तेमाल होता है. 

चीन का दबदबा होगा खत्म  

चिप मैन्युफैक्चरिंग पर चीन , कोरिया और ताइवान का दबदबा है. चीन इसी का फायदा उठाता रहा है. दुनियाभर में चिप की बड़ी खपत है. अमेरिका समेत दुनियाभर के देशों के लिए चीन चिप का बड़ा मार्केट है. दुनिया में सेमीकंडक्टर की कुल बिक्री में चीन का एक तिहाई योगदान है, लेकिन अमेरिकी कंपनियों का 60 से 70 फीसदी रेवेन्यू चीन से ही आता है. सेमीकंडक्टर इंडस्ट्रीज की निर्भरता चीन पर है. चीन भी अपने इस दबदबे का भरपूर फायदा उठाता रहा है. मनमाने नियमों और पाबंदियों की वजह से वो कंपनियों और देशों को परेशान करता रहा है. चीन पर निर्भरता की वजह से कोविड के समय सेमीकंडक्टर पर निर्भर कंपनियों को भारी नुकसान झेलना पड़ा था.  

भारत के लिए क्यों जरूरी है सेमीकंडक्टर  

भारत में साल 2026 तक सेमीकंडक्टर का मार्केट 63 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. चिप के महत्व और उसकी जरूरतों को देखते हुए चीन और ताइवान जैसे देशों पर निर्भरता कम करने के लिए पीएम मोदी ने चिप मैन्युफैक्चरिंग को टॉप प्रायोरिटी दी. भारत खुद सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना चाहता है. सेमीकंडक्टर के मैदान में उतरने के बाद भारत सिर्फ अपनी जरूरत का नहीं बल्कि निर्यात के लिए सक्षम बन सकेगा. जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी

क्यों बढ़ रही चीन, ताइवान की बेचैनी

जिस तेजी से भारत सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में बढ़ रहा है. चीन की बेचैनी बढ़ती जा रही है. मौजूदा वक्त में दुनियाभर के देश सेमीकंडक्टर के लिए चीन का दरवाजा खटखटाते हैं. अमेरिका तनाव के बावजूद सेमीकंडक्टर के लिए चीन पर निर्भर है और चाह कर भी उससे अलग नहीं हो पा रहा है. लेकिन भारत के इस चिप मेंकिंग के क्षेत्र में उतरने से चीन को अपनी बादशाहत खतरे में नजर आने लगी है. भारत के सेमीकंडक्टर हब बनने से चीन को नुकसान होगा. उसकी अर्थव्यवस्था को और गहरा झटका लगेगा.वर्तमान में चीन, हॉन्गकॉन्ग, ताइवान और दक्षिण कोरिया चिप और सेमीकंडक्टर के मुख्य सप्लायर्स है, लेकिन भारत के इस सेक्टर में उतरने से चीन की टेंशन को बढ़नी ही है।

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