करोड़ों लोगों को झटका, SBI समेत इन बड़े बैंकों की फ्री सर्विस पर देना होगा चार्ज!
Advertisement

करोड़ों लोगों को झटका, SBI समेत इन बड़े बैंकों की फ्री सर्विस पर देना होगा चार्ज!

अब बैंक अकांउट में मिनिमम बैलेंस रखने पर भी आपको एक्सट्रा चार्ज देना पड़ सकता है. अभी तक आपसे मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर ही बैंक चार्ज लेते थे.

करोड़ों लोगों को झटका, SBI समेत इन बड़े बैंकों की फ्री सर्विस पर देना होगा चार्ज!

नई दिल्ली : अब बैंक अकांउट में मिनिमम बैलेंस रखने पर भी आपको एक्सट्रा चार्ज देना पड़ सकता है. अभी तक आपसे मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर ही बैंक चार्ज लेते थे. दरअसल, टैक्स डिपार्टमेंट ने हाल ही में कई बड़े बैंकों से मिनिमम बै लेंस मेनटेन करने वाले ग्राहकों को मुफ्त में दी गई सेवाओं पर टैक्स चुकाने के लिए कहा है. विभाग ने एसबीआई, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक और कोटक महिंद्रा जैसे बड़े बैंकों से खाते में मिनिमम अकाउंट बैलेंस मेनटेन करने वाले ग्राहकों को मुफ्त में दी गई सेवाओं पर टैक्स चुकाने के लिए कहा है.

  1. ऐसा होने पर करोड़ों ग्राहकों को लग सकता है झटका
  2. मुफ्त में दी गई सेवाओं पर भी टैक्स चुकाने के लिए कहा
  3. एसबीआई और एचडीएफसी समेत कई बड़े बैंक शामिल

टैक्स पिछली तारीख से मांगा
यानी अब मिनिमम बैलेंस मेनटेन करने के बावजूद आपको एटीएम ट्रांजेक्शन, फ्यूल सरचार्ज रिफंड, चेक बुक, डेबिट कार्ड आदि की सेवाएं फ्री नहीं मिल पाएंगी. टैक्स डिपार्टमेंट ने यह टैक्स पिछली तारीख से मांगा है, जो हजारों करोड़ रुपये का होने का अनुमान है. डायरेक्टरेट जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स इंटेलिजेंस (DGGST) ने इन बैंकों को इस मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया है. यह नोटिस दूसरे बैंकों को भी भेजा जा सकता है. विभाग ने बैंकों से पिछले पांच साल के लिए टैक्स भुगतान की मांग की है. क्योंकि, नियम के मुताबिक, पांच साल से पहले सर्विस टैक्स नहीं मांगा जा सकता.

मिनिमम बैलेंस वाले अकाउंट पर भी टैक्स
टैक्स विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, मिनिमम बैलेंस वाले अकाउंट पर टैक्स की मांग उसी आधार पर की गई है जिस आधार पर मिनिमम बैलेंस नहीं रखने वालों पर बैंक चार्ज वसूलते हैं. आसान भाषा में समझें तो मिनिमम अकाउंट बैलेंस मेनेटन नहीं करने वाले ग्राहकों से बैंक जितनी रकम वसूलता है, मिनिमम बैलेंस मेनटेन करने वाले हर अकाउंट पर रकम जोड़कर टैक्स की गणना की जाएगी.

ये है बैंकों के लिए चिंता
इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, बैंकों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि वह ग्राहकों से पांच साल के टैक्स की डिमांड नहीं कर सकते. हालांकि, अगर इस टैक्स को लगाया जाता है तो आगे चलकर इसका बोझ सीधे तौर पर ग्राहकों को उठाना पड़ेगा. बैंकों के पास विकल्प है कि वह DGGST की डिमांड को चुनौती दे सकते हैं. बैंक इस मामले में सरकार से भी अपील करेंगे. यह जानकारी एक ऐसे बैंक के अधिकारी ने दी है, जिसे यह नोटिस मिला है. अधिकारी ने बताया, ‘कुछ नोटिस इशू किए गए हैं और कुछ भेजने की तैयारी हो रही है. जिन बैंकों ने ये चार्ज वसूले हैं, उन सबको कारण बताओ नोटिस भेजा जा रहा है.’

6 हजार करोड़ की बैंकों पर देनदारी
एक्सिस बैंक के प्रवक्ता ने कहा, ‘हमें यह नोटिस मिला है. हमारी समझ से यह पूरी इंडस्ट्री के लिए मसला है. कारण बताओ नोटिस में जिन बातों का जिक्र किया गया है, हम उन पर अभी एक्सपर्ट्स से सलाह ले रहे हैं.’ इस नोटिस में जीएसटी के लॉन्च पीरियड को भी कवर किया गया है, जब सर्विस टैक्स सिस्टम लागू था.’ इस अधिकारी ने बताया कि बैंकों पर कुल टैक्स लायबिलिटी 6,000 करोड़ रुपये की हो सकती है, लेकिन बैंकों का मानना है कि वास्तविक रकम इससे ज्यादा होगी.

ग्राहकों को मिल रही छूट पर नजर
DGGST की नजर बैंकों की तरफ से ग्राहकों को दी जाने वाली छूट पर भी है. ऐसी सेवाएं जिनके लिए बैंक कुछ शुल्क वसूलते हैं. मिनिमम बैलेंस मेनटेन करने पर फ्री सेवाओं की भी पड़ताल हो सकती है. आपको बता दें, जिन सेवाओं पर शुल्क वसूला जाता है उनमें तय सीमा से अधिक एटीएम ट्रांजैक्शंस, फ्यूल सरचार्ज रिफंड, चेक बुक इशू करने, डेबिट कार्ड आदि शामिल हैं. हालांकि, प्रिविलेज्ड कस्टमर्स से मिनिमम बैलेंस मेनटेन करने पर चार्ज नहीं लिया जाता.

Trending news