17,500 का नहीं कर पाया जुगाड़, गंवा दी IIT सीट; SC में लगाई गुहार
Advertisement
trendingNow12447076

17,500 का नहीं कर पाया जुगाड़, गंवा दी IIT सीट; SC में लगाई गुहार

IIT Admission: युवक के माता-पिता ने सीट बचाने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, झारखंड विधिक सेवा प्राधिकरण और मद्रास उच्च न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया था.

17,500 का नहीं कर पाया जुगाड़, गंवा दी IIT सीट; SC में लगाई गुहार

IIT Dhanbad: उच्चतम न्यायालय ने कड़ी मेहनत के बाद अपने आखिरी अटेंप्ट में आईआईटी की परीक्षा पास करने वाले उस गरीब दलित युवक को मदद का आश्वासन दिया है, जो धनबाद स्थित इस संस्थान में आखिरी तारीख तक 17,500 रुपये फीस जमा नहीं करा सका और अपनी सीट गंवा दी. प्रमुख न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मंगलवार को 18-साल के अतुल कुमार के वकील से कहा, "हम आपकी यथासंभव मदद करेंगे, लेकिन आप पिछले तीन महीनों से क्या कर रहे थे, क्योंकि फीस जमा करने की तय समय सीमा 24 जून को खत्म हो गई है.” कुमार के माता-पिता सीट पक्की करने के लिए 17,500 रुपये की फीस 24 जून तक जमा करने में विफल रहे थे. 

युवक के माता-पिता ने सीट बचाने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, झारखंड विधिक सेवा प्राधिकरण और मद्रास उच्च न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया था. युवक के वकील ने पीठ को बताया कि कुमार ने अपने दूसरे और आखिरी अटेंप्ट में जेईई एडवांस्ड पास कर लिया और अगर शीर्ष अदालत उसकी मदद नहीं करती है तो वह परीक्षा में फिर से शामिल नहीं हो पाएगा. 

पीठ ने दलीलें सुनने के बाद इस साल की प्रवेश परीक्षा आयोजित करने वाले आईआईटी, मद्रास के संयुक्त सीट आवंटन प्राधिकरण को नोटिस जारी किया. वकील ने युवक के परिवार की आर्थिक स्थिति का हवाला दिया. वकील ने दलील दी कि आईआईटी, धनबाद में सीट आवंटित होने के महज चार दिन बाद यानी 24 जून की शाम पांच बजे तक 17,500 रुपये का इंतजाम करना छात्र के लिए बहुत मुश्किल काम था. 

Indian Students: इंडियन स्टूडेंट्स अमेरिका कनाडा के बजाय क्यों चुन रहे हैं जर्मनी?

कुमार एक दिहाड़ी मजदूर का बेटा है और उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के टिटोरा गांव में गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले (बीपीएल) परिवार से है. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने भी उसकी मदद करने में असमर्थता जताई है. वकील ने दलील दी कि युवक ने झारखंड के एक केंद्र से जेईई की परीक्षा दी थी, इसलिए युवक ने झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण का भी रुख किया, जिसने उसे मद्रास उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का सुझाव दिया, क्योंकि परीक्षा आईआईटी, मद्रास ने आयोजित की थी. उच्च न्यायालय ने उसे शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए कहा.

बचपन में चली गई थी आंखों की रोशनी, पहले JEE और फिर यूपीएससी क्रैक करके बने IAS

Trending news