NEET UG 2024: मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम को लेकर जारी विवाद के बीच फार्मर एचआरडी मिनिस्टर ने मोदी सरकार पर हमला बोला है. वहीं, उन्होंने इस पूरे मामले की जांच कोर्ट द्वारा नियुक्त अफसरों से कराने की मांग की है. पढ़िए पूरी खबर...
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NEET NTA Controversy: मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए आयोजित की जाने वाली नीट यूजी 2024 को लेकर बवाल बढ़ता ही जा रहा है. अब पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने रविवार को अनियमितताओं के आरोपों की जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त अधिकारियों से कराने की मांग की है. इतना ही नहीं उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह परीक्षा आयोजित करने के तौर तरीकों को लेकर सभी राज्यों के साथ गहन विचार-विमर्श करे. यहां जानए कि डॉक्टर बनने के लिए आयोजित की जाने वाली नीट परीक्षा को लेकर पूर्व एटआरडी मिनिस्टर ने और क्या कहा...
राज्यसभा सांसद ने इस मुद्दे पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा और कहा कि अगर किसी परीक्षा में परीक्षण प्रणाली भ्रष्ट हो जाती है तो प्रधानमंत्री का कुछ न कहना वास्तव में अच्छा नहीं है. नीट के प्रश्नपत्रों को पहले ही मुहैया कराने के भ्रष्ट आचरण को मीडिया संस्थानों ने उजागर किया है. उनका कहना है कि एनटीए ने इसमें धांधली की है, उसे इन गंभीर सवालों का जवाब देना चाहिए.
पीएम मोदी पर साधा निशाना
राज्यसभा सदस्य सिब्बल ने नीट मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी घेरा. उन्होंने पीएम पर निशाना साधते हुए कहा, "अगर किसी परीक्षा में परीक्षा तंत्र ही भ्रष्ट हो जाए तो प्रधानमंत्री के लिए चुप्पी साधना ठीक नहीं है."
सिब्बल ने सभी राजनीतिक दलों से आगामी संसद सत्र में नीट मामले को जोर-शोर से उठाने का आग्रह किया. उन्होंने यह भी कहा कि इस पर चर्चा होने की उम्मीद कम है, क्योंकि सरकार इस मामले के अदालत में विचाराधीन होने का हवाला देकर इसकी मंजूरी नहीं देगी. इससे भी ज्यादा आश्चर्यजनक और निराशाजनक बात यह है कि जब ऐसा कुछ होता है या वर्तमान सरकार में भ्रष्टाचार होता है, तो अंधभक्त इसके लिए यूपीएस सरकारी को दोषी ठहराना शुरू कर देते हैं, जो सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि इस तरह के बयान देने से पहले वे पूरी तरह से जानकारी ही नहीं जुटाते हैं.
उन्होंने इस बात को अंडरलाइन किया कि नीट विनियमन साल 2010 में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडियन द्वारा इसके निदेशक मंडल के माध्यम से पेश किया गया था. वहीं, एमसीआई स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन था, न कि शिक्षा मंत्रालय के...
सिब्बल ने कहा, "इसलिए मानव संसाधन विकास मंत्री के रूप में मेरा इससे कोई ताल्लुक नहीं था. एमसीआई के निदेशक मंडल ने एक विनियमन पेश किया, जिसमें कहा गया था कि एमबीबीएस में प्रवेश पाने वाले छात्रों के लिए एक राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा होनी चाहिए. रिट याचिकाकर्ताओं द्वारा इस विनियमन को चुनौती दी गई थी और 18 जुलाई 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए इसे खारिज कर दिया था कि एमसीआई के पास नीट शुरू करने का कोई विधायी अधिकार नहीं है."
उन्होंने कहा, "यही वजह है कि इसे खारिज किए जाने के बाद 11 अप्रैल 2014 को एक समीक्षा याचिका दायर की गई. समीक्षा की अनुमति दी गई और 2013 का आदेश वापस ले लिया गया."
भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम में संशोधन
सिब्बल ने कहा, "भाजपा सरकार सत्ता में आई और 28 अप्रैल 2016 को शीर्ष अदालत में एक रिट याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि चूंकि नीट विनियमन को रद्द करने वाला आदेश वापस ले लिया गया है, तो एमसीआई द्वारा जारी विनियमन को लागू क्यों नहीं किया जा रहा है? इसके बाद चार अगस्त 2016 को भाजपा सरकार ने धारा 10डी पेश की और भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम में संशोधन किया."
सिब्बल ने कहा, "8 अगस्त 2019 को इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट 1956 की जगह नेशनल मेडिकल काउंसिल एक्ट पारित किया गया. इसमें एक और धारा 14 शामिल की गई जो नीट परीक्षा का प्रावधान करती है. इसके बाद 29 अक्टूबर 2020 को शीर्ष अदालत ने इस कानून को बरकरार रखा. यह विधेयक वर्तमान सरकार द्वारा लाया गया था, इसका यूपीए से कोई लेना-देना नहीं है."
(इनपुट- भाषा)