GK: क्या आपको पता है कितना है हमारी पृथ्वी का वजन और कैसे इसे मापा गया?
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GK: क्या आपको पता है कितना है हमारी पृथ्वी का वजन और कैसे इसे मापा गया?

How Weight of Earth Measured: आपने साइंस की क्लास में शायद यह तो जरूर पढ़ा होगा कि आखिर हमारी पृथ्वी का वजन कितना है, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि आखिर पृथ्वी के वजन को कैसे मापा गया था.

GK: क्या आपको पता है कितना है हमारी पृथ्वी का वजन और कैसे इसे मापा गया?

Weight of the Earth: क्या आप कभी पृथ्वी के वजन के बारे में सोचते हैं? यह एक दिलचस्प सवाल है जो लोगों में जिज्ञासा जगाता है. पृथ्वी के भार को जानने के लिए सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि भार से हमारा तात्पर्य क्या है. भार किसी वस्तु पर ग्रेविटी के कारण लगने वाला फोर्स है. किसी वस्तु का द्रव्यमान (Mass) उसका भार निर्धारित करता है.

अब सवाल यह है कि वैज्ञानिक पृथ्वी का मास (Mass) कैसे निर्धारित करते हैं?

प्राथमिक तरीकों में से एक पृथ्वी द्वारा इसके चारों ओर की वस्तुओं पर लगाए गए ग्रेविटेशनल पुल को मापना है. अवलोकनों और गणनाओं के माध्यम से, वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि पृथ्वी का मास लगभग 5.9722×10^24 किलोग्राम (13.1 सेप्टिलियन पाउंड) है.

यह विशाल आंकड़ा हमारे इस ग्रह के विशाल पैमाने और इसके आस-पास की हर चीज पर इसके ग्रेविटेशनल प्रभाव को दर्शाता है.

हालांकि, बता दें कि इस गणना की यात्रा काफी कठिन रही है. वैज्ञानिकों ने पहले आइजैक न्यूटन (Isaac Newton) के यूनिवर्सल ग्रेविटेशन के नियम का लाभ उठाया था. 1797 में फिजिक्स साइंटिस्ट हेनरी कैवेंडिश के प्रयोगों के साथ मिलकर न्यूटन के इक्वेशन ने पृथ्वी के मास को समझने का मार्ग प्रशस्त किया.

कैवेंडिश के एक्सपेरिमेंट

कैवेंडिश के एक्सपेरिमेंट्स में ग्रेविटेशनल फोर्स को मापने के लिए एक टॉर्शन बैलेंस (Torsion Balance) का उपयोग किया गया था.

कैवेंडिश के एक्सपेरिमेंट की स्थापना अत्यंत सरल थी. इसमें एक टॉर्शन बैलेंस शामिल था, जो एक डिवाइस है, जिसमें एक पतली तार से निलंबित एक हॉरिजॉन्टल बार होती है, जिसके प्रत्येक छोर पर दो छोटे सीसे (Lead) के गोले लगे होते हैं.

ये सीसे के गोले बड़े सीसे के गोले के पास स्थित थे. इसने उनके बीच एक ग्रेविटेशनल अट्रैक्शन पैदा किया और एक महत्वपूर्ण मूल्य प्रदान किया, जिसे ग्रेविटेशनल कांस्टेंट (G). यह वैल्यू, हालांकि समय के साथ थोड़े बदलाव के अधीन रहा, लेकिन पृथ्वी के मास की गणना में आधारशिला बना रहा.

सैन डिएगो में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक फिजियोलॉजिस्ट, जॉन वेस्ट ने कथित तौर पर लाइव साइंस मीडिया पोर्टल को बताया, "उनका काम काफी ओरिजनल था और इसने उस समय एक बड़ा प्रभाव डाला था."

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