AI Learning Experiences: एआई टेक्नोलॉजी यहां तक एडवांस हो गई है कि यह स्टूडेंट्स की एक-दूसरे के प्रति अंडरस्टेंडिंग और सराहना करने के लिए माहौल बना सकती है.
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Artificial Intelligence in Education: एआई का इस्तेमाल हर फील्ड में किया जा रहा है. आज हम एजुकेशन में एआई के बारे में बात कर रहे हैं. एक सर्वे के मुताबिक, दुनियाभर के 70 फीसदी एम्प्लॉयर्स जॉब देने से जुड़े फैसले करते समय इमोशनल इंटेलीजेंसी को सबसे खास फैक्टर्स में से एक मानते हैं. इसीलिए एजुकेशन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का रोल तेजी से इंपोर्टेंट होता जा रहा है, खास करके युवा स्टूडेंट्स के बीच इन जरूरी स्किल्स को बढ़ावा देने में. हालांकि, सिर्फ 25 फीसदी स्कूलों ने करिकुलम में सोशल और इमोशनल एजुकेशन (SEL) को शामिल किया है. एंपेथी, सेल्फ-कंट्रोल, टीमवर्क और कम्युनिकेशन, सोशल और इमोशनल एजुकेशन (SEL) स्किल्स के उदाहरण हैं जो पर्सनल ग्रोथ और भविष्य में सफल होने के लिए जरूरी हैं. हमने शार्ड सेंटर फॉर इनोवेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर पंकज कुमार से इस बारे में बात की, कि कैसे AI बच्चों में सोशल और इमोशनल स्किल्स बढ़ाने में मदद कर सकता है.
Personalized Learning Experiences
एजुकेशन में AI के फायदों में से एक लर्निंग एक्सपीरियंस को पर्सनलाइज्ड बनाना है. AI ड्रिवेन टूल्स चेहरे के हाव-भाव, आवाज के उतार-चढ़ाव या अलग-अलग सामानों के साथ इंटरेक्शन के जरिए सीखने वाले की भावना को पहचानते हैं. इस तरह की जानकारी सिखाने वालों को उन एक्सपीरिएंस को डिजाइन करने में मदद करती है जिससे स्टूडेंट्स को हर समय आरामदायक और संतुष्ट महसूस करते हैं. उदाहरण के लिए, जब कोई स्टूडेंट सीखने-पढ़ने के दौरान चिड़चिड़ापन महसूस करता है, तो सिस्टम, लेसन के ऑब्जेक्टिव्स में सुधार कर सकता है या उसे किसी और तरह से एक्सप्लेन करता है.
Enhanced Empathy through Virtual Interactions
यह तकनीक यहां तक एडवांस हो गई है कि यह स्टूडेंट्स की एक-दूसरे के प्रति समझ और सराहना में बढ़ोतरी करने के लिए माहौल बना सकती है. स्टूडेंट्स खुद को दूसरों की सिचुएशन में रखकर सोचने, सीखने और यहां तक कि उनके आईडियाज़ और लाइफस्टाइल को अपनाने के लिए वर्चुअल रियलिटी (VR) या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सिमुलेशन का इस्तेमाल कर सकते हैं. उदाहरण के लिए, एक वर्चुअल रियलिटी सिनेरियो में इस सब्जेक्ट को पेश किया जा सकता है कि किसी दूसरे बच्चे को यह कैसा महसूस हो सकता है, जिससे युवा स्टूडेंट्स को उस एक्सपीरिएंस को समझने और उस पर सोचने-विचारने का मौका मिलेगा. इस तरह की एक्टिविटीज़ बच्चो मे एंपेथी पैदा करती हैं, और बच्चों को सिखाती हैं कि भले ही लोगों की भावनाएं अलग-अलग हों, उन्हें स्वीकार और महत्त्व देना चाहिए, जो टीमवर्क के लिए जरूरी है.
Social Skills Practice in Safe Environments
AI चैटबॉट और वर्चुअल पार्टनर युवा स्टूडेंट्स के बीच सोशल इंटरेक्शन के अवसर पैदा करते हैं. इन AI यूनिट्स को अलग-अलग तरह के सिनेरियो के साथ पेश किया जा सकता है, जिनका इस्तेमाल स्टूडेंट्स बातचीत, समस्या का समाधान और भावनाओं की प्रतिक्रिया का एक्सपीरिएंस करने में बिना असल नतीजों के डर सकते हैं. उदाहरण के लिए, कोई स्टूडेंट अपना कॉन्फिडेंस बढ़ाने और अपने कम्युनिकेशन स्किल्स को निखारने के लिए AI पार्टनर के साथ भावनाओं को व्यक्त करने या लॉजिक्स को सुलझाने की प्रैक्टिस कर सकता है. यह एक्टिविटी नर्वस और इंट्रोवर्ट स्टूडेंट्स के लिए बहुत कारगर है क्योंकि इससे उन्हें अपने सोशल स्किल को धीरे-धीरे डेवलप करने का मौका मिलता है.
Emotional Literacy Development
AI टूल्स स्टूडेंट्स को उनकी भावनाओं को पहचानने और व्यक्त करने में मदद करके इमोशनल लिटरेसी के डेवलप करने में हेल्प करते हैं. AI से लैस ऐप्स, स्टूडेंट्स को इमोशनल पहचान और अभिव्यक्ति को बढ़ावा देने की प्रैक्टिस करने में हेल्प कर सकते हैं, जैसे कि AI एप्लीकेशन को चलाना, जो स्टूडेंट को अपने रोजाना के जीवन के बारे में सोचने-विचारने के लिए मोटिवेट करता है, और यह बताता है कि उन्होंने खास एक्सपीरिएंस के बारे में क्या महसूस किया, जिससे बच्चे में इमोशन को समझने के साथ-साथ अपने शब्दों को भावनाओं में व्यक्त करने की क्षमता डेवलप होती है. यह रिफ्लेक्टिव प्रैक्टिस सेल्फ-कंट्रोल का अटूट हिस्सा है, जो सोशल और इमोशनल स्किल का एक ख़ास पहलु है.
Data-Driven Insights for Educators
AI स्टूडेंट्स के इंटरैक्शन लेवल्स और इमोशनल रिस्पांसेस का एनालाइज करके टीचर्स को उनकी क्लास के सोशल और इमोशनल डायनामिक्स से जुड़े इनसाइट्स प्राप्त करने में मदद करता है. फिर यह इन फिनोमेना के आस-पास के पैटर्न की पहचान करता है और सोशल-इमोशनल एजुकेशन के संबंध में उनकी ज़रूरतों को पूरा करने से जुडी स्ट्रेटेजीज को अपनाने के लिए टीचर्स को सोचने-विचारने की और बढ़ने का इशारा कर सकता है. उदाहरण के लिए, अगर डेटा से यह पता लगता है कि किसी क्लास के स्टूडेंट्स को आपस में मिलकर किसी भी काम को करने में परेशानी हो रही है, तो टीचर स्टूडेंट्स को ग्रुप एक्टिविटीज में कुछ इस तरह से शामिल कर सकता है, जिससे किसी भी काम को आपस में मिलकर करने के तरीके को बेहतर बनाने में खासी मदद मिलेगी. डेटा-ड्रिवेन नजरिया टीचर्स के आत्मविश्वास में बढ़ोतरी करते हैं, क्योंकि वे अपने स्टूडेंट्स की जरूरतों के मुताबिक इमोशनली सीखने-सिखाने का माहौल बनाने में मदद करते हैं.
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AI बच्चों के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि यह उन्हें उनके सोशलाइजेशन और इमोशनल फंक्शन को डेवलप करने में मदद करता है. यह अनोखे पर्सनल लर्निंग एक्सपीरियंस के मौके देता है, वर्चुअल इंटरेक्शंस के ज़रिए एंपेथी को बढ़ाता है, इमोशनल लिट्रेसी को बढ़ाता है, और इंक्लूसिव इंस्ट्रक्शन को बढ़ावा देता है, जिससे यह जीवन में सफलता के लिए ज़रूरी सोशल और इमोशनल क्षमताओं को डेवलप करने में एक शानदार सहयोगी बन जाता है. चूंकि टीचर्स और टेक्नोलॉजिस्ट्स AI की संभावित क्षमताओं का पता लगाने में लगे हुए हैं, इसलिए इन टेक्नोलॉजीज का इस्तेमाल कर ऐसे वर्सेटाइल लोगों का निर्माण करने पर जोर दिया जाना चाहिए जो मुश्किल, परस्पर इंटरकनेक्टेड दुनिया में सफल होने योग्य हों. इस टेक्नोलॉजी को अपनाने से न सिर्फ एकेडमिक लेवल में बदलाव आएगा, बल्कि उन जरूरी स्किल्स में भी बदलाव आएगा जो फ्यूचर जेनरेशन के बीच समझ और मिलकर काम करने की भावना को जन्म देगी.
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