IAS Garima Singh: आईएएस गरिमा सिंह ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा अपने पहले ही प्रयास में क्रैक कर डाली थी, जिसमें उन्हें आईपीएस का पद प्राप्त हुआ था. हालांकि, इसके बाद उन्होंने प्रमोशन के जरिए आईएएस का पद भी हासिल कर लिया.
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IAS Garima Singh UPSC Success Story: बचपन में डॉक्टर बनने के सपने से लेकर आईएएस अधिकारी के रूप में अपने शानदार करियर तक पहुंचने की गरिमा सिंह की यात्रा, जीवन में आने वाले अप्रत्याशित मोड़ों का प्रमाण है. जब वह कॉलेज की छात्रा थीं, तब उन्हें जीवन बदलने वाला एक एहसास हुआ, जिसने उनकी दिशा बदल दी और उन्हें सिविल सेवाओं की ओर ले गई. साल 2012 में, उन्होंने सिविल सेवा में प्रवेश करने का निर्णय लिया और अंतत: एक आईपीएस अधिकारी बन गईं. हालांकि, वह केवल यहां तक नहीं रुकीं, वह दो साल तक ट्रेनी आईपीएस रहीं. उन्होंने झांसी में एसपी सिटी के पद पर भी काम किया. एसपी पद पर रहते हुए ही साल 2016 में 55वीं रैंक हासिल करके आईएएस बन गईं.
डीयू से की ग्रेजुएशन
बता दें कि गरिमा का जन्म और पालन-पोषण उत्तर प्रदेश के बलिया में हुआ है. उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से पूरी की, जहां उन्होंने अपने भविष्य के शैक्षणिक प्रयासों की नींव भी रखी.
पुलिस ने मांगी घूस, तो गरिमा ने...
गरिमा ने एक बार उन्होंने इंटरव्यू में बताया था कि उनसे एक पुलिसकर्मी ने 100 रुपये घूस मांग ली थी. दरअसल, वह सेंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन कर रही थीं और उस दौरान वह एक बार देर रात मॉल से अपने हॉस्टल रिक्शे से लौट रही थीं. रास्ते में चेकिंग के लिए एक पुलिसवाले ने उनका रिक्शा रोक लिया. पुलिस वाले ने गरिमा से पूछा कि वह इतनी रात में कहां से आ रही हो और कहां जाना है और इसके बाद पुलिस ने 100 रुपये घूस मांगी. लेकिन, पैसे देने से मना करने पर वह परिवार को फोन करके घूमने की शिकायत करने की धमकी देने लगा. थोड़ी सी बहस के बाद उसने बिना पैसे लिए जाने तो दिया लेकिन इस घटना ने गरिमा सिंह का पुलिस के प्रति मन कड़वा कर दिया.
यूपी कैडर की मिली जिम्मेदारी
उन्हें सामुदायिक सेवा करने के लिए उत्तर प्रदेश कैडर सौंपा गया, जहां उन्होंने एक आईपीएस अधिकारी के रूप में कर्तव्यनिष्ठा से अपना करियर शुरू किया. लेकिन क्योंकि वह अपने पिता की महत्वाकांक्षाओं पर खरा उतरना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने आईएएस की पढ़ाई की और झारखंड में सफल होने के लिए उन्हें कठिन यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण करनी पड़ी.
परीक्षा में सफल होने के लिए दोस्तों से बनाई दूरी
अपने स्वयं के जीवन से उदाहरणों का उपयोग करके, गरिमा एक आईपीएस अधिकारी और एक आईएएस अधिकारी की जिम्मेदारियों के बीच अंतर पर जोर देती हैं. आईएएस अधिकारियों के विपरीत, जिनके पास अधिक विस्तृत और विविध पोर्टफोलियो तक पहुंच है, वह इस बात पर जोर देती हैं कि आईपीएस अधिकारियों की जिम्मेदारियां अधिक समान हैं. उनकी टिप्पणियां महत्वाकांक्षी सिविल सेवकों के लिए गहन मार्गदर्शन प्रदान करती हैं, और कोचिंग के रिसर्च की आवश्यकता पर जोर देती हैं. यूपीएससी की तैयारी के दौरान गरिमा ने अपनी परीक्षा पास करने के लिए सोशल मीडिया और अपने दोस्तों से भी दूरी बना ली थी.