स्टूडेंट्स हों तो ऐसे! पूर्व छात्रों ने IIT Bombay को दान किए 57 करोड़
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स्टूडेंट्स हों तो ऐसे! पूर्व छात्रों ने IIT Bombay को दान किए 57 करोड़

IIT Bombay: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे के 1998 के एक बैच ने संस्थान को करोड़ों रुपये का दान दिया. इस बैच ने सिल्वर जुबली रीयूनियन सेलिब्रेशन के हिस्से के रूप में अपने अल्मा मेटर को 57 करोड़ का तोहफा दिया है. 

स्टूडेंट्स हों तो ऐसे! पूर्व छात्रों ने IIT Bombay को दान किए 57 करोड़

IIT Bombay Alumni: कहते हैं कि शिक्षा में पैसा लगाना एक ऐसा निवेश करना है जो आपको पूरी लाइफ फायदा ही देता है. अगर आपने पढ़ाई में बेहतर इन्वेस्टमेंट कर दिया तो आपका फ्यूचर बहुत ब्राइट होता है. शिक्षा एक ऐसा माध्यम है, जिसके जरिए आप खुद का जीवन तो संवारते ही हैं, दूसरों की मदद के लिए हाथ बढ़ाने की काबिलियत रखते हैं.

ऐसे ही एक मिसाल पेश की है, आईआईटी बॉम्बे के पूर्व छात्रों ने, हाल ही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) बॉम्बे ने अपना सिल्वर जुबली रीयूनियन बड़ी धूमधाम से मनाया. इस सिल्वर जुबली रीयूनियन सेलिब्रेशन में आईआईटी बॉम्बे के साल 1998 बैच ने अपने 'अल्मा मेटर' को 55 करोड़ रुपये से ज्यादा का योगदान दिया है. 

इन पूर्व छात्रों ने दिया सबसे ज्यादा योगदान
आईआईटी बॉम्बे को यह कॉन्ट्रीब्यूशन 200 से ज्यादा पूर्व छात्रों द्वारा किया गया था. इस कॉन्ट्रीब्यूशन में बड़ा योगदान शीर्ष वैश्विक अधिकारी निजी इक्विटी फर्म सिल्वर लेक के प्रबंध निदेशक अपूर्व सक्सेना, पीक XV के प्रबंध निदेशक शैलेन्द्र सिंह, वेक्टर कैपिटल के एमडी अनुपम बनर्जी, एआई रिसर्च के दिलीप जॉर्ज, गूगल डीपमाइंड, ग्रेट लर्निंग के सीईओ मोहन लकहमराजू, कोलोपास्ट एसवीपी मनु वर्मा, सिलिकॉन वैली के उद्यमी सुंदर अय्यर, इंडोवेंस के को- फाउंडर और सीईओ संदीप जोशी और अमेरिका के एचसीएल के मुख्य विकास अधिकारी श्रीकांत शेट्टी की ओर से दिया गया. 

आईआईटी बॉम्बे के निदेशक सुभासिस चौधरी ने कहा, "1998 की कक्षा का योगदान आईआईटी बॉम्बे के विकास में तेजी लाने में मदद करेगा और उत्कृष्टता के हमारे साझा दृष्टिकोण में योगदान देगा. पूर्व छात्रों द्वारा जुटाई गई इस धनराशि से आईआईटी बॉम्बे को प्रमुख शैक्षणिक परियोजनाओं और अनुसंधान परिदृश्य का समर्थन करने में मदद मिलेगी."

स्थायी बंधन को दर्शाता है पूर्व छात्रों का ये योगदान
सुभासिस चौधरी ने कहा, "सामूहिक भावना और साझा प्रतिबद्धता से बंधे साल 1998 के बैच के स्टूडेंट्स के योगदान ने उनके अल्मा मेटर में उनकी विरासत पर एक महत्वपूर्ण छाप छोड़ी है. आईआईटी बॉम्बे के प्रति उनका समर्पण उनके प्रारंभिक वर्षों के दौरान बने स्थायी बंधन को दर्शाता है, जो सभी पूर्व छात्रों के लिए प्रेरणा का काम करता है. हम साथ मिलकर एक ऐसे भविष्य को आकार दे रहे हैं, जहां आईआईटी बॉम्बे हमारे विविध और निपुण समुदाय के सामूहिक प्रयासों से दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों में से एक होगा."

बेहतरीन यादें और टाइमलेस बॉन्ड
अपनी बैच की ओर से रीयूनियन और धन जुटाने के प्रयासों के प्रमुख  अमित खंडेलवाल, अपूर्व सक्सेना, आशुतोष गोरे और शरद गोयनका ने कहा, "हम एक बहुत ही डायवर्स बैच हैं, जिसमें दुनिया भर के 100 शहरों में फैले लोग हैं, जिसमें स्टार्टअप से लेकर कॉरपोरेट्स, सामाजिक सरोकारों और गैर-लाभकारी संस्थाएं शामिल हैं , लेकिन हम सभी कुछ बेहतरीन यादें और टाइमलेस बॉन्ड शेयर करते हैं, जो हमारे जीवन के प्रारंभिक वर्षों के दौरान बने थे और वर्षों से कई पारिवारिक यात्राओं और कनेक्शनों के माध्यम से कायम रहे हैं."

वापस देने की प्रेरणा
इस साल जब हम एकत्र हुए तो हमारे लिए एक और बड़ा फोकस वापस देने की भावना थी, जो नंदन नीलेकणि और पिछले सिल्वर जुबली बैच जैसे पूर्व छात्रों से मिली. हमें खुशी है कि सभी दानदाताओं और स्वयंसेवकों द्वारा समर्थित इस रिकॉर्ड बढ़ोतरी में यह सब एक साथ आया. हमें उम्मीद है कि यह आने वाले वर्षों में आईआईटी बॉम्बे को प्रमुख वैश्विक विश्वविद्यालयों में से एक बनाने में मदद करेगा और अन्य पूर्व छात्रों को भी वापस योगदान करने के लिए प्रेरित करेगा."

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