MBA Vs MMS: बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन या मैनेजमेंट स्टडीज, किस कोर्स में मास्टर्स करना होगा ज्यादा फायदे का सौदा
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MBA Vs MMS: बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन या मैनेजमेंट स्टडीज, किस कोर्स में मास्टर्स करना होगा ज्यादा फायदे का सौदा

MBA Vs MMS: ग्रेजुएशन के बाद आप एमबीए, एमसीए, पीजीडीएम जैसे कोर्स कर सकते हैं. ये दुनिया भर के ट्रेंडिंग कोर्सेस में शामिल है. हालांकि, एमएमएस ऐसा कोर्स हैं, जिसके के बारे में कम ही लोग जानते हैं. यहां जानिए MBA और MMS के बीच क्या अंतर है...

MBA Vs MMS: बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन या मैनेजमेंट स्टडीज, किस कोर्स में मास्टर्स करना होगा ज्यादा फायदे का सौदा

Difference Between MBA And MMS: ग्रेजुएशन के बाद हर साल बड़ी संख्या में युवा एमबीए करना पसंद करते हैं. एमबीए की कई ब्रांचेस होती है, जिसमें सिलेबस और जॉब प्रोफाइल भी अलग-अलग होते हैं. हालांकि, अगर आप एमबीए की पढ़ाई किए बिना मैनेजमेंट फील्ड में उतरना चाहते हैं तो ऐसा पॉसिबल है. इसके लिए आप मास्टर इन मैनेजमेंट स्टडीज कोर्स कर सकते हैं, जो अब बड़ी तेजी से उभर रहा है.

हालांकि, अभी एमएमएस की पॉपुलैरिटी एमबीए जितनी नहीं है, लेकिन आने वाले समय में यह ग्लोबल जॉब मार्केट में संभावनाएं तलाशने वालों के लिए फायदेमंद साबित होगा. मैनेजमेंट में मास्टर्स करना चाहते हैं तो आपको इन दोनों के बीच फर्क पता होना चाहिए. आइए जानते हैं एमबीए और एमएमएस के बीच क्या अंतर है... 

बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स
अगर आप देश के टॉप मैनेजमेंट कॉलेज में एमबीए करना चाहते हैं तो इसके लिए CAT, MAT, GMAT जैसे एंट्रेंस एग्जाम क्वालिफाई करना पड़ता है. एमबीए कोर्स करके स्टूडेंट्स बिजनेस मैनेजमेंट में महारत हासिल कर सकते हैं. एमबीए के सिलेबस में फाइनेंस, मार्केटिंग, ह्यूमन रिसोर्स, ऑपरेशन्स मैनेजमेंट जैसे टॉपिक्स को कवर किया जाता है. एमबीए करने के कई फायदों में से एक तो यह है कि एमबीए पासआउट युवाओं के लिए बिजनेस से जुड़े फैसले लेना काफी आसान हो जाता है. वे, प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स सीखकर मैनेजमेंट और लीडरशिप रोल्स के लिए तैयार होते हैं. 

क्या है एमएमएस कोर्स?
एमएमएस का फुल फॉर्म मास्टर ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज है. यह भी विशेषज्ञता वाला मैनेजमेंट कोर्स ही है. एमएमएस में एडमिशन के लिए एंट्रेंस एग्जाम और इंटरव्यू क्लियर करना जरूरी है. इसके सिलेबस में मैनेजमेंट नॉलेज, फाइनेंस, मार्केटिंग के बारे में पढ़ाया जाता है. इसमें आप बिजनेस प्रॉब्लम्स को एनालाइज करके उनका सॉल्यूशन निकालना सीखते हैं. इससे युवा अलग-अलग इंडस्ट्रीज में एक्सपर्ट मैनेजमेंट रोल के लिए तैयार होते हैं. 

ये हैं एमबीए और एमएमएस में अंतर

  • एमबीए और एमएमएस दोनों ही बिजनेस मैनेजमेंट में पोस्ट-ग्रेजुएट डिग्री कोर्स हैं, लेकिन इनमें कुछ अंतर हैं-
  • एमबीए की डिग्री 2 साल की पढ़ाई के बाद मिलती है, जबकि एमएमएस 1 से 2 साल का कोर्स है.
  • एमबीए में बिजनेस मैनेजमेंट पर फोकस होता है, जबकि एमएमएस विशेषज्ञता वाला मैनेजमेंट कोर्स है.
  • एमबीए के लिए CAT, MAT, GMAT जैसे एंट्रेंस एग्जाम पास करना जरूरी है, जबकि एमएमएस के लिए एंट्रेंस एग्जाम और इंटरव्यू के आधार पर चयन होता है.
  • एमबीए में फाइनेंस, मार्केटिंग, ह्यूमन रिसोर्स और ऑपरेशन्स मैनेजमेंट शामिल हैं, वहीं एमएमएस में विशेषज्ञता वाले मैनेजमेंट कोर्स होते हैं.
  • एमबीए मैनेजमेंट और लीडरशिप भूमिकाओं के लिए तैयार करता है, जबकि एमएमएस विशेषज्ञ मैनेजमेंट रोल्स के लिए तैयार करता है.
  • आपकी सैलरी  इंडस्ट्री और कंपनी पर निर्भर करती है.
  • एमबीए की डिग्री कई इंडस्ट्रीज में काम आती है, जबकि एमएमएस डिग्री विशेष क्षेत्रों में उपयोगी हो सकता है.
  • एमबीए का सिलेबस काफी व्यापक है, जबकि एमएमएस में विशेषज्ञता पर जोर दिया जाता है. 
  • एमबीए डिग्री होल्डर्स को शुरुआत में 8-12 लाख रुपये सालाना तक मिलता है, जबकि एमएमएस करके आप शुरू में 6-10 लाख रुपये सालाना कमाते हैं.

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