UPSC Success Story in Hindi: ये कहानी आईएएस अनिल बसाक (IAS Anil Basak) की है जो एक साइकिल की दुकान चलाते थे. आइये जानते हैं कि आईएएस अनिल ने कैसे सफलता हासिल की.
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Success Story of IAS Anil Basak: सफलता हासिल करने के बाद जब आप पीछे मुड़कर देखते हैं तो पता चलता है कि यहां पहुंचने के लिए आपने किन चुनौतियों और बाधाओं का सामना किया है. दरअसल, जब आप संघर्ष कर रहे होते हैं, तब इतने जुनून और दृढ़ता से भरे होते हैं कि आपको इसका अंदाजा ही नहीं लगता कि आप कितनी मेहनत कर रहे हैं. कुछ ऐसा ही कहना है आईएएस अनिल बसाक (IAS Anil Basak) का भी. उन्होंने साइकिल की दुकान से सिविल सर्विस तक का सफर कैसे तय किया, ये बेहद प्रेरणादायक है. आइये अनिल बसाक की जर्नी के बारे में जानते हैं. यह भी पढ़ें : मिलिए टीना डाबी और उनकी IAS बहन रिया डाबी से, जानिये कितनी है दोनों की सैलरी
परिवार और शिक्षा :
विपरीत परिस्थितियों में भी दृढ़ता के साथ कामयाबी कैसे पाई जा सकती है, आईएएस अनिल बसाक की सक्सेस जर्नी से सीखा जा सकता है. अनिल एक बेहद साधारण परिवार से आते हैं. उनके पिता बिहार में सड़क किनारे कपड़ा बेचते थे. रिपोर्ट्स के अनुसार अनिल के घर में आर्थिक तंगी थी इसलिए उन्होंने साइकिल की दुकान भी चलाई. लेकिन अपनी पढ़ाई के साथ कभी कॉम्प्रोमाइज नहीं किया. अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), दिल्ली में एडमिशन ले लिया.
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IIT दिल्ली से ग्रेजुएशन करने के बाद बसाक ने UPSC परीक्षा में बैठने का फैसला लिया. ये उनका बचपन का सपना था कि वो IAS ऑफिसर बनें. आईएएस बनने की ललक और आग जो उनके भीतर थी, उसे उन्होंने कभी बुझने नहीं दिया. हालांकि पहली बार में ही उन्हें सफलता नहीं मिली. वो प्रारंभिक परीक्षा में ही असफल हो गए. अनिल बसाक का मानना है कि आईआईटी दिल्ली जैसे संस्थान में एडमिशन पाकर उनके अंदर शायद घमंड आ गया था कि वो किसी भी परीक्षा को पास कर सकते हैं. इसलिए जब पहली असफलता मिली तो समझ आया कि अपनी रणनीति और सोच दोनों गलत दिशा में जा रहे हैं. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.
एक बार और प्रयास किया और इस बार उन्हें 616वां रैंक मिला. इसमें उन्हें इंडियन रेवेन्यू सर्विस (IRS) मिली. इससे भी वो संतुष्ट नहीं थे. उन्होंने तीसरी बार कोशिश की. फाइनली बसाक के मेहनत का फल आया. उन्होंने यूपीएससी (UPSC 2020 final results) में 45वां रैंक हासिल किया था. अनिल बसाक अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता और प्राइमरी स्कूल के टीचर को देते हैं. उन्होंने कहा कि इन दोनों के सपोर्ट और गाइडेंस की वजह से ही वह आईएएस बन पाए.