Avadh Ojha: बीजेपी कैसरगंज से काट सकती है बृजभूषण शरण सिंह का टिकट? अवध ओझा के नाम की चर्चा तेज, जानें पूरी सच्चाई
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Avadh Ojha: बीजेपी कैसरगंज से काट सकती है बृजभूषण शरण सिंह का टिकट? अवध ओझा के नाम की चर्चा तेज, जानें पूरी सच्चाई

Lok Sabha Election 2024: बीजेपी कैसरगंज से काट सकती है बृजभूषण सिंह का टिकट? उनकी जगह अवध ओझा के नाम पर बीजेपी लगा सकती है मुहर. पिछले कई दिनों से मीडिया में इस तरह की खबरें चल रही हैं. आइए जानते हैं कौन हैं अवध ओझा. जानें क्या है इस तरह की खबरों की सच्चाई. 

Avadh Ojha: बीजेपी कैसरगंज से काट सकती है बृजभूषण शरण सिंह का टिकट? अवध ओझा के नाम की चर्चा तेज, जानें पूरी सच्चाई

Avadh Ojha in Poltics: "चुनाव आ रहा है, अगर परमात्मा चाहेंगे तो लड़ूंगा. बस ये मत पूछियेगा की कहां से लड़ना है.चुनाव लड़ने की बिल्कुल ख्वाहिश है. अगर संसद चले गए तो लोहिया जी, डॉ. अंबेडकर जी,नेहरू जी और सरदार पटेल जी के अधूरे काम और सपनों को पूरा करने की कोशिश करूंगा. मैं चाहे जिस पद पर पहुंच जाऊं लेकिन पढ़ाना नहीं छोड़ सकता हूं".

यह लाइन है अवध ओझा की. एक टीवी इंटरव्यू में अवध ओझा ने चुनाव लड़ने पर यह सारी बातें कही हैं. इसके बाद यह वीडियो वायरल हो गया. वायरल होते ही अटकलों का बाजार गर्म हो गया. आइए जानते हैं कौन हैं अवध ओझा. जिनके चुनाव लड़ने के बयान पर इतना  हल्ला-गुल्ला मच रहा है. 

कौन हैं अवध ओझा
अगर आप सोशल मीडिया पर एक्टिव होंगे तो अवध ओझा का कोई न कोई वीडियो जरुर देखा होगा. अवध ओझा, जिनका पूरा नाम अवध प्रताप ओझा है, 3 जुलाई 1984 को उत्‍तर प्रदेश के गोंडा में जन्में अवध प्रताप ओझा के पिता का नाम माता प्रसाद ओझा है. वह गोंडा में पोस्टमास्‍टर की नौकरी करते थे. माता प्रसाद ओझा ने अपनी पांच एकड़ जमीन बेच कर अपनी पत्‍नी को पढ़ाया था और अवध ओझा की मां वकील बनी थीं. ऐसा अवध अपने वीडियो में कहते हैं. अवध एक मशहूर शिक्षक, एंटरप्रेन्योर, काउंसलर और यूट्यूबर हैं. अवध एक कोचिंग सेंटर चलाते हैं. जहां पर सिविल सर्विस की तैयारी कराई जाती है. उनकी सोशल मीडिया पर रील्स काफी वायरल रहती हैं.  

अवध ओझा की पढ़ाई लिखाई गोंडा में ही हुई है
अवध ओझा की पढ़ाई लिखाई गोंडा में ही हुई है. 10वीं से आगे की पढ़ाई उन्‍होंने गोंडा के ही फातिमा इंटर स्कूल से पूरी की. फिर ग्रेजुएशन भी यहीं से किया. शुरू से ही अवध ओझा का सपना आईएएस अधिकारी बनने का था.  यूपीएसएसी मेंस परीक्षा में फेल होने के बाद इलाहाबाद में अवध ओझा ने दोस्त का इंस्‍टीट्यूट ज्‍वाइन किया लेकिन कोचिंग सेंटर में स्‍टूडेंट को उनके पढ़ाने का स्‍टाइल बिल्‍कुल नहीं भाया. जिसके बाद अवध कोचिंग सेंटर छोड़कर चले गए. इसके बाद अवध ओझा ने पढ़ाने की शैली में बदलाव करना शुरू किया.

पढ़ाने की शैली से हैं लोकप्रिय
धीरे-धीरे स्‍टूडेंट्स को उनके पढ़ाने का अनूठा अंदाज पसंद आने लगा. उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी. अब वह सिर्फ इतिहास ही नहीं पढ़ाते, बल्कि जिंदगी के भी सिखाते हैं. सोशल मीडिया पर उनके पढ़ाने के वीडियो से अधिक उनके जीवन के बारें में बताए गए ज्ञान को लोग अधिक देखना और सुनना पसंद करते हैं. ये तो अवध ओझा का रहा जीवन. लेकिन अब बात करते हैं कैसे अवध ओझा के चुनाव लड़ने की चर्चा होने लगी. 

बीजेपी नेता डिप्टी सीएम केशव और सांसद दिनेश शर्मा से मुलाकात
अवध ओझा ने इसी साल 4 मार्च को यूपी सरकार में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा से मुलाकात की थी. इस मुलाकात की तस्वीरें केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा ने अपने आधिकारिक एक्स पर शेयर भी की है. दोनों ही नेताओं से मुलाकात के बाद से अवध ओझा के चुनावी दंगल में उतरने की चर्चाओं को और तूल दे दिया है.  हालांकि अभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. 

इंटरव्यू ने दिया और हवा
एक इंटरव्यू में जिस तरह अवध ओझा बात करते हुए दिख रहे हैं. इससे लोगों ने अंदाजा लगाना शुरू किया कि ओझा अब चुनाव लड़ने के मूड में हैं. इंटरव्यू में उन्होंने कहा था सत्ता से ही असली सुधार की शुरुआत होती है. अवध ओझा ने कहा कि बस ऐसा ही कुछ मैं भी सोच रहा हूं. 

पीएम मोदी की करते हैं तारीफ
अवध ओझा हमेशा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते नजर आए हैं. अवध ओझा की एक फोटो वायरल होने के बाद ये कयास लगाए जाने लगे कि बीजेपी उन्हें चुनाव मैदान में उतार सकती है.

कैसरगंज से ही अवध को टिकट क्यों ?
बृजभूषण सिंह बीते कुछ समय से विवादों में घिरे हुए हैं. जिसके बाद उनके टिकट काटने की संभावना बनी हुई है. उनके जगह अवध ओझा चुनावी मैदान में नजर आ सकते हैं. जिसकी बड़ी वजह अवध का गोंडा का निवासी होना भी है. आज के समय में यूपी में ही नहीं पूरे उत्तर भारत में अवध ओझा एक जाना पहचाना नाम बन गया है. ऐसे में बीजेपी उन पर भरोसा दिखा सकती है. बीजेपी की दूसरी लिस्ट आते ही यह सारे कयास खुद ब खुद खत्म हो जाएंगे. अब बस देखना यह है ‌कि क्या बीजेपी बृजभूषण सिंह के जगह अवध ओझा को टिकट देती है, या फिर अवध ओझा को किसी और सीट से चुनावी मैदान में उतार सकती है. 

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