Dilip Kumar Kissa Kursi Ka: दशकों पहले से ही फिल्मी जगत के सितारे नेताओं के लिए वोट मांगते आए हैं. नेहरू ने भी कांग्रेस कैंडिडेट के लिए दिलीप कुमार से चुनाव प्रचार करवाया था. कुछ साल बाद यूपी में एक हैरान कर देने वाकया पेश आया. हापुड़ में चुनावी रैली में किसी ने दिलीप कुमार पर जूता फेंक दिया.
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Dilip Kumar News: पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश से लेकर यूपी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य तक जूता कांड के शिकार हो चुके हैं. हालांकि कम लोगों को पता होगा कि एक बार हिंदी सिनेमा के सुपरस्टार दिलीप कुमार पर भी जूता उछाला गया था. उस समय वह यूपी में चुनाव प्रचार कर रहे थे. जी हां, वो साल था 1977 और बॉलीवुड के ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में वोट मांगने के लिए हापुड़ आए हुए थे. लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार जोरों पर था.
हापुड़ आए थे दिलीप कुमार और जॉनी वॉकर
हापुड़ लोकसभा सीट से तब कांग्रेस के प्रत्याशी थे बीपी मौर्य. उनके लिए वोट मांगने के लिए रैली आयोजित हुई थी. दिलीप साहब मंच पर पहुंच गए. उन्हें देखते ही तालियां बजने लगीं. दिलीप कुमार के साथ कॉमेडियन जॉनी वॉकर भी आए थे.
नगरपालिका परिसर में मंच पर मौजूद दिलीप कुमार रैली को संबोधित करने लगे. तभी कुछ ऐसा हुआ कि सब अवाक रह गए. हालांकि जॉनी वॉकर की टाइमिंग कमाल की रही. असहज स्थिति पैदा होने के बावजूद उन्होंने हंसी के गुब्बारे छोड़ दिए. दरअसल, हुआ यूं कि भीड़ में से किसी शख्स ने दिलीप कुमार पर जूता फेंक दिया. वह जूता जॉनी वॉकर ने लपक लिया.
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जूता लपकते ही जॉनी मंच पर माइक के सामने आ गए. उन्होंने अपने अंदाज में कहा कि भाई, दूसरा जूता भी दे दो. एक से क्या होगा? इतना सुनते ही पब्लिक हंस पड़ी. बताते हैं कि वहां जुटी भीड़ इस उम्मीद में आई थी कि दिलीप कुमार के साथ उनकी पत्नी और मशहूर फिल्म अभिनेत्री सायरा बानो भी आएंगी पर ऐसा हुआ नहीं. इससे लोग नाराज थे. एक शख्स से रहा नहीं गया तो उसने जूता ही उछाल दिया.
नेहरू ने किया जब फोन
दिलीप कुमार की बात चली है तो नेहरू से नजदीकी भी जान लीजिए. साल 1962 में नेहरू ने उन्हें फोन कर वीके कृष्ण मेनन से मिलने की बात कही. मेनन मुंबई से चुनाव लड़ रहे थे और नेहरू चाहते थे कि दिलीप कुमार उनके लिए चुनाव प्रचार करें. दिलीप ने नेहरू का मान रखा और मेनन के लिए प्रचार किया. बिना तैयारी किए वह क्या बोलें, इस पर दिलीप कुमार काफी टेंशन में रहते थे. फिर उनसे कहा गया कि वह मंच पर बस एक्टिंग करें.
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बताते हैं कि दिलीप कुमार पर नेहरू का एक एहसान था. गंगा जमना उनकी फिल्म सेंसर बोर्ड में रुकी हुई थी और वह तत्कालीन पीएम के कारण ही पास हो सकी थी इसीलिए वह नेहरू के फोन पर झट से प्रचार करने के लिए राजी हो गए थे.