Bengal Lok Sabha Chunav: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पश्चिम बंगाल में TMC के एक नेता ने पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर जातिसूचक टिप्पणी की तो भाजपा बरस पड़ी. शिकायत चुनाव आयोग तक जा पहुंची. सुवेंदु अधिकारी ने ओबीसी समाज का अपमान बताते हुए राज्य की ओबीसी लिस्ट की भी चर्चा छेड़ दी, जिस पर काफी समय से सवाल उठते रहे हैं. दरअसल, राज्य की ममता बनर्जी सरकार ने ओबीसी स्टेटस (OBC List in Bengal) को लेकर जो लिस्ट तैयार की है उसमें राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग रेड सिग्नल दे चुका है. अब सुवेंदु ने टीएमसी को घेरा है तो यह समझना महत्वपूर्ण है कि ममता बनर्जी की सरकार में ओबीसी स्टेटस पर कैसा खेला हुआ है?
- आज की तारीख में पश्चिम बंगाल की ओबीसी लिस्ट में कुल 180 जातियां हैं, जिसमें 118 मुस्लिम समुदाय से हैं. भाजपा आरोप लगाती रही है कि पिछड़ा वर्ग के हिस्से का आरक्षण धर्म परिवर्तन कर हिंदू से मुस्लिम बने लोगों और बांग्लादेशी घुसपैठियों को बांटा गया है.
- राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर भी बंगाल में ओबीसी आरक्षण व्यवस्था पर प्रश्नचन्ह लगा चुके हैं. बंगाल सरकार की ओर से बताया गया है कि कल्चरल रिसर्च इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट के आधार पर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने इसे लागू किया है.
- दरअसल, 2011 से पहले पश्चिम बंगाल में 108 ओबीसी जातियां थीं, जिसमें 53 मुस्लिम और 55 हिंदुओं की थीं. हालांकि 10 साल में सीन पलट गया है और अब ओबीसी लिस्ट में मुस्लिम जातियां ज्यादा हो गई हैं. राज्य सरकार ने 72 नई जातियों को इस लिस्ट में शामिल कराया. इसमें केवल 7 हिंदू जबकि 65 मुस्लिम हैं. (बंगाल की ओबीसी लिस्ट देखिए)
- बंगाल में ओबीसी लिस्ट पर सवाल इसलिए भी उठते हैं कि राज्य की आबादी में हिंदू 70 प्रतिशत और मुस्लिम 27 प्रतिशत ही हैं. राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के आंकड़ों से पिछले साल यह जानकारी सामने आई थी कि उच्च शिक्षण संस्थानों और मेडिकल कॉलेज में भर्तियों में 91 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मुस्लिम ओबीसी समुदाय को मिला.
- केंद्रीय ओबीसी आयोग के अध्यक्ष ने कहा था कि बंगाल में मुस्लिमों को उनकी वंशावली के आधार पर नहीं बल्कि व्यवसाय देखकर ओबीसी लिस्ट में शामिल किया गया. मुस्लिमों को लाभ देने के लिए इस तह गलत प्रक्रिया अपनाई गई.
- इतना ही नहीं, पिछले महीने मतलब चुनाव से ठीक पहले मार्च में ममता सरकार ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग से केंद्रीय ओबीसी लिस्ट में 83 जातियों को शामिल करने की सिफारिश कर दी. इसमें 73 मुस्लिम समुदाय से संबंधित हैं. तब आयोग ने कुछ समुदायों को राज्य की ओबीसी लिस्ट में शामिल करने पर आपत्ति जताई थी.
- पिछले महीने पिछड़ा वर्ग आयोग की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार ने इन जातियों के सामाजिक और शैक्षिक पिछड़पन को समझाने वाले ताजा आंकड़े नहीं दिए हैं. हंसराज अहीर ने कहा था कि यह मामला छह महीने से ज्यादा समय से उनके संज्ञान में है. बंगाल के अधिकारियों को चार बार तलब किया गया लेकिन वे न तो आए और न ही सिफारश के पक्ष में कोई डेटा दिया.
- कुछ हफ्ते पहले भाजपा आईटी सेल के प्रमुख और बंगाल के सह प्रभारी अमित मालवीय ने सोशल मीडिया पर लिखा कि बंगाल में रोहिंग्या और बांग्लादेशी ओबीसी प्रमाणपत्र और आरक्षण का फायदा उठा रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी की तुष्टिकरण की राजनीति ने बंगाल के सामाजिक ताने-बाने को तोड़ दिया है.
- इस समय केंद्रीय ओबीसी लिस्ट में बंगाल की 98 जातियां शामिल हैं. ममता बनर्जी चाहती हैं कि इसमें 83 और जातियों को शामिल किया जाए. दरअसल, ओबीसी वर्ग को सरकारी नौकरी और उच्च शिक्षा में 27 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलता है. इस लिस्ट में नई जातियों को सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक फैक्टर के हिसाब से जोड़ा या घटाया जाता है.