Kissa Kursi Ka: जब हाई प्रोफाइल पॉलिटिकल ड्रामे के बीच सोनिया गांधी ने अमेठी से किया चुनावी डेब्यू, फिर बेटे राहुल के लिए छोड़ी सीट
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Kissa Kursi Ka: जब हाई प्रोफाइल पॉलिटिकल ड्रामे के बीच सोनिया गांधी ने अमेठी से किया चुनावी डेब्यू, फिर बेटे राहुल के लिए छोड़ी सीट

Amethi Lok Sabha Seat: उत्तर प्रदेश का अमेठी लोकसभा सीट कांग्रेस और गांधी-नेहरू परिवार के लिए पारंपरिक और सबसे सुरक्षित दुर्ग कहा जाता रहा है. संजय गांधी और राजीव गांधी के बाद सोनिया गांधी ने भी इस सीट से हाई प्रोफाइल ड्रामे के बीच चुनावी डेब्यू किया था. अगली बार बदलाव हुआ और राहुल गांधी ने अमेठी से सियासी एंट्री की थी.

Kissa Kursi Ka: जब हाई प्रोफाइल पॉलिटिकल ड्रामे के बीच सोनिया गांधी ने अमेठी से किया चुनावी डेब्यू, फिर बेटे राहुल के लिए छोड़ी सीट

Lok Sabha Chunav 2024 News: उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट लगातार सुर्खियों में बनी हुई है. कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अमेठी से उम्मीदवार उतारने में देरी करने के साथ ही सियासी कयासों को हवा दे दी. पहले और आखिर में राहुल की दावेदारी के बीच अमेठी सीट पर गांधी फैमिली से पहले प्रियंका गांधी वाड्रा और फिर उनके पति रॉबर्ट वाड्रा को उम्मीदवार बनाए जाने की अटकलें भी सामने आईं.

अमेठी सीट से गांधी-नेहरू परिवार के चार सदस्यों की चुनाव और संसद में एंट्री

गांधी-नेहरू परिवार के लिए पारंपरिक और सबसे सुरक्षित दुर्ग कही जाने वाली अमेठी सीट से संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने चुनावी डेब्यू किया था.  इसलिए कयास लगाए जा रहे थे कि अमेठी से इस बार प्रियंका-रॉबर्ट दंपति से कोई एक सियासी एंट्री कर सकते हैं. हालांकि, अब इस पर 26 अप्रैल तक के लिए विराम लग गया है. 

26 अप्रैल की शाम अमेठी सीट से राहुल गांधी के नाम की हो सकती है घोषणा

रिपोर्ट के मुताबिक, माना जा रहा है कि दूसरे चरण में केरल के वायनाड में वोटिंग खत्म होने के साथ ही 26 अप्रैल की शाम को यूपी की अमेठी सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में फिर से राहुल गांधी के ही नाम की घोषणा हो सकती है. इस सियासी सरगर्मी को देखकर अमेठी सीट से सोनिया गांधी की चुनावी डेब्यू के दौरान हुए हाई प्रोफाइल ड्रामे की चर्चा लाजिमी है. आइए, किस्सा कुर्सी का में उस वाकए के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं.

लोकसभा चुनाव 2019 में राहुल गांधी हार के बाद अमेठी में भाजपा का दबदबा

लोकसभा चुनाव 2019 में जब भाजपा उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने यूपी की अमेठी सीट पर राहुल गांधी को शिकस्त दी तो बड़ी खबर बन गई. तीन दशक से भी ज्यादा की राजनीति में अमेठी सीट पर इक्का-दुक्का मौका ही आया जब वहां गांधी-नेहरू परिवार से बाहर का कोई सांसद हो. लोकसभा चुनाव 1999 में सोनिया गांधी अमेठी से पहली बार सांसद बनीं और लोकसभा चुनाव 2004 में उन्होंने रायबरेली से नामांकन दाखिल किया. अमेठी से राहुल गांधी ने अपना डेब्यू किया था.

सोनिया गांधी का अमेठी से चुनावी डेब्यू किसी फिल्म से कम दिलचस्प नहीं

सोनिया गांधी का अमेठी सीट से चुनाव लड़ने का बैकग्राउंड स्टोरी किसी फिल्म से कम दिलचस्प नहीं है. इसमें इमोशन, ड्रामा, एक्शन वगैरह का भरपूर मसाला है. साल 1991 में  राजीव गांधी की हत्या से खाली हुई अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर सतीश शर्मा सांसद बन गए. हालांकि, राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के सीनियर नेताओं ने सोनिया गांधी से राजनीति में आने और कांग्रेस का अध्यक्ष बनने की मांग की, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.

फैमिली लाइफ में मशगूल सोनिया गांधी को मनाने में जुटे रहे थे कांग्रेस नेता

अपनी फैमिली लाइफ में मशगूल सोनिया गांधी खुद को और अपने परिवार को राजनीति से दूर रखना चाहती थीं. हालांकि, उनके घर रोजाना कांग्रेस का कोई बड़े नेता उन्हें मनाने के लिए जरूर पहुंचता था, लेकिन सोनिया गांधी ने किसी की बात नहीं सुनी. लोकसभा चुनाव 1996 में सोनिया गांधी ने प्रचार तक नहीं किया. अमेठी लोकसभा सीट का रिश्ता भी गांधी परिवार से खत्म हो गया. 

सोनिया गांधी ने 1997-98 में किया एक्टिव पॉलिटिक्स में आने का बड़ा फैसला 

करीब सात साल तक सक्रिय राजनीति से दूर रहने के बाद सोनिया गांधी ने 1997-98 में पॉलिटिक्स में आने का फैसला किया. उन्होंने पहले कांग्रेस की सदस्यता ली और फिर प्रचार अभियान में शामिल हुईं. कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष सीताराम केसरी को हटाकर सोनिया गांधी को सर्वेसर्वा बनाने की मुहिम तेज हुई. कांग्रेस में केसरी समर्थकों ने भी आवाज उठाई तो पार्टी में दो गुट बन गए.

अध्यक्ष सीताराम केसरी को अपमानजनक तरीके से कांग्रेस हेडक्वार्टर से निकाला गया

कांग्रेस पर चर्चित किताब 24, अकबर रोड के लेखक राशिद किदवई ने एक इंटरव्यू में इस पूरे हाई प्रोफाइल ड्रामे का काफी दिलचस्प तरीके से जिक्र किया था. उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव 1998 से ठीक पहले तय हो गया कि सोनिया गांधी ही कांग्रेस की अध्यक्ष होंगी. इसके बाद नाटकीय तरीके से कांग्रेस हेडक्वार्टर में घुसकर सीताराम केसरी को ऑफिस से जबरदस्ती बाहर निकाला गया और उनका नेमप्लेट तोड़कर फेंक दिया गया था.

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अमेठी में करीब 70 फीसदी वोट हासिल कर पहली बार सांसद बनी थीं सोनिया गांधी

इस तरह सोनिया गांधी ने 1998 में राजनीति में एंट्री तो कर ली, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिरने के बाद लोकसभा चुनाव 1999 में उन्होंने अमेठी सीट से नामांकन दाखिल कर चुनावी डेब्यू किया. हालांकि, वह राजीव गांधी के चुनाव प्रचार में पहले भी अमेठी आ चुकी थीं. विधवा बहू के ऑंचल फैलाकर टूटी-फूटी हिंदी में वोट मांगने से सहानुभूति की लहर में करीब 70 फीसदी वोट हासिल कर जीतीं और पहली बार सांसद बनीं.

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